Saturday, 21 December

श्रीनगर

श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) के अधिकारियों ने बताया कि पिछले 36 दिनों में 4.90 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने अमरनाथ यात्रा के दर्शन किए हैं। रविवार को 1,112 तीर्थयात्रियों का एक नया जत्था जम्मू से कश्मीर के लिए रवाना हुआ। 1,112 श्रद्धालुओं का जत्था भगवती नगर यात्री निवास से दो सुरक्षा काफिलों में घाटी के लिए रवाना हुआ। अधिकारियों ने बताया, “इनमें से 11 वाहनों का पहला काफिला 204 यात्रियों को लेकर उत्तरी कश्मीर के बालटाल बेस कैंप के लिए रवाना हुआ, जबकि 39 वाहनों का दूसरा काफिला 908 तीर्थयात्रियों को लेकर दक्षिण कश्मीर के नुनवान (पहलगाम) बेस कैंप के लिए रवाना हुआ।

सुबह गंदेरबल जिले के काव चेरवान गांव में श्रीनगर-लेह राजमार्ग पर बादल फटने से श्रीनगर से बालटाल बेस कैंप जाने वाला रास्ता अवरुद्ध हो गया।अधिकारियों ने बताया कि मलबा हटाने का काम चल रहा है और जब तक यात्रियों का काफिला गंदेरबल जिले में पहुंचेगा, तब तक बालटाल बेस कैंप और आगे लद्दाख क्षेत्र तक राजमार्ग बहाल हो जाएगा। जम्मू से लेकर दोनों बेस कैंपों तक 350 किलोमीटर से अधिक लंबे मार्ग पर पुलिस और सीएपीएफ सहित बड़ी संख्या में सुरक्षा बल चौबीसों घंटे ड्यूटी कर रहे हैं, ताकि तीर्थयात्रियों के लिए मार्ग सुरक्षित हो सके। इसके अलावा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए ट्रांजिट कैंप, बेस कैंप और गुफा मंदिर में पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।

स्थानीय लोग यह सुनिश्चित करने में पीछे नहीं हैं कि यात्रियों को पहाड़ी यात्रा को आसानी से करने में सहायता मिले। स्थानीय लोग तीर्थयात्रियों के लिए टट्टू उपलब्ध कराते हैं और अक्सर कमजोर और अशक्त भक्तों को अपनी पीठ पर ढोकर गुफा मंदिर ले जाते हैं। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) के अधिकारी पेशेवर दक्षता के साथ यात्रा के मामलों का प्रबंधन कर रहे हैं। इन सभी ने मिलकर इस वर्ष हिमालय के सबसे कठिन और जोखिम भरे पहाड़ी इलाकों से होकर गुफा मंदिर की सुरक्षित, सुचारू और परेशानी मुक्त तीर्थयात्रा सुनिश्चित की है।

गुफा मंदिर में बर्फ की एक संरचना है जो चंद्रमा के चरणों के साथ घटती-बढ़ती रहती है। भक्तों का मानना ​​है कि यह बर्फ की संरचना भगवान शिव की पौराणिक शक्तियों का प्रतीक है। यह गुफा कश्मीर हिमालय में समुद्र तल से 3,888 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। भक्त पारंपरिक दक्षिण कश्मीर पहलगाम मार्ग या उत्तर कश्मीर बालटाल मार्ग से गुफा मंदिर तक पहुँचते हैं। पहलगाम-गुफा मंदिर की धुरी 48 किलोमीटर लंबी है और तीर्थयात्रियों को मंदिर तक पहुँचने में 4-5 दिन लगते हैं। बालटाल-गुफा मंदिर की धुरी 14 किलोमीटर लंबी है और तीर्थयात्रियों को ‘दर्शन’ करने और बेस कैंप पर लौटने में एक दिन लगता है। उत्तर कश्मीर मार्ग पर बालटाल और दक्षिण कश्मीर मार्ग पर चंदनवारी दोनों जगहों पर तीर्थयात्रियों के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएँ भी उपलब्ध हैं। इस वर्ष की यात्रा 52 दिनों के बाद 19 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा और रक्षा बंधन त्योहारों के साथ समाप्त होगी।

 


Source : Agency

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