प्रयागराज
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद द्वारा कुंभ मेले में शाही स्नान का नाम परिवर्तित कर राजसी स्नान और पेशवाई का नाम छावनी प्रवेश करने की औपचारिक घोषणा जल्द किए जाने की संभावना है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने बताया, ‘हाल ही में प्रयागराज में निरंजनी अखाड़ा में हुई बैठक में नाम परिवर्तन के संबंध में प्रस्ताव पारित किया गया है और इससे मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया है। मुख्यमंत्री जल्द ही इस संबंध में औपचारिक घोषणा कर सकते हैं।’
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पिछले महीने उज्जैन में महाकाल की सवारी को शाही सवारी के स्थान पर राजसी सवारी कहने की घोषणा की थी जिसके बाद अखाड़ा परिषद ने भी उर्दू शब्दों के स्थान पर हिंदी शब्दों के प्रयोग पर बल दिया। पुरी ने देश में विभिन्न स्थानों पर खाने-पीने की चीजों को अपवित्र किए जाने की घटनाओं को देखते हुए आस्था के सबसे बड़े समागम कुंभ मेले में दूसरे धर्म के लोगों द्वारा खान पान की दुकानें लगाने का विरोध किया है।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने कहा, “हाल ही में कई घटनाएं सामने आई हैं जिसमें जूस में पेशाब मिलाने, खाने में थूक लगाने जैसी चीजें देखने में आई हैं। कुंभ मेले में सभी सनातनी हिंदू होंगे। ऐसे में यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा कि कोई उन्हें चीजें अपवित्र करके खिलाए।” उन्होंने कहा, “गैर सनातनियों को मेले में खानपान की दुकानें नहीं लगाने दी जाएंगी। इसके लिए अखाड़ा परिषद दीपावली के बाद बैठक कर प्रस्ताव पारित करेगी जिसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपा जाएगा।”
पुरी ने बताया कि इसी तरह, अखाड़ा परिषद की इच्छा है कि कुंभ मेले में तैनात होने वाले कर्मचारी और अधिकारी सनातनी हों जिससे मेले की शुचिता बनी रहे। उन्होंने कहा कि इस संबंध में भी प्रस्ताव पारित किया जाएगा। इस बीच, मेले में ऐसे पुलिसकर्मियों को ड्यूटी पर लगाने का निर्णय किया गया है जो मांस मदिरा का सेवन ना करते हों।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (कुंभ मेला) राजेश द्विवेदी ने कहा कि महाकुंभ एक धार्मिक पर्व है और जब पूरे मेला क्षेत्र में ही मांस मदिरा का सेवन और बिक्री निषिद्ध है, तो पुलिसकर्मियों से भी अपेक्षा है कि वे ऐसा नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मियों की पृष्ठभूमि जांच कर उनकी तैनाती की जाएगी।
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