जबलपुर
नेताजी सुभाषचंद्र बोस केंद्रीय कारागार के अंदर से एक बंदी अचानक गायब हो गया। प्रहरी उसे पूरी रात ढूंढते रहे। उसका कुछ पता नहीं चला। लगभग 11 घंटे बाद वह अगले दिन कारागार परिसर की झाड़ियों के अंदर छिपा बैठा मिला। कटनी जिले के कैमोर का निवासी रमेश कोल वर्ष 2014 के दुष्कर्म एवं पाक्सो के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। उसे वर्ष 2015 में कटनी से जबलपुर जेल स्थानांतरित किया गया था।
गिनती के दौरान बैरक नंबर नौ में एक बंदी कम था
बंदी दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। आशंका जताई गई कि उसने कारागार से भागने के प्रयास में यह हरकत की है। घटनाक्रम में लापरवाही पर दो जेल प्रहरियों को निलंबित कर दिया गया है। गुरुवार की शाम को गिनती के दौरान बैरक नंबर नौ में एक बंदी कम था। कई बार गिनती के बाद पता चला कि बंदी रमेश बैरक में नहीं है। उसके अचानक गायब होने और ढूंढने पर नहीं मिलने से हड़कंप मच गया। तुरंत अलार्म बजाया गया। समस्त अधिकारी मौके पर पहुंच गए। सभी ने मिलकर पूरी रात अस्पताल का कोना-कोना छान मारा। बंदी का कुछ पता नहीं चला।
लगभग आधा किलोमीटर दूर तालाब बगीचा में था
बंदी रमेश ने गुरुवार की शाम को बड़ी आसानी से प्रहरियों की आंखों में धूल झोंककर बैरक से गायब हो गया। लगभग आधा किलोमीटर दूर तालाब बगीचा तक पहुंच गया। यह लगभग सात से आठ एकड़ क्षेत्र में फैला है। जहां, अंधेरे की आड़ में झाड़ियाें के बीच जाकर छिपकर बैठ गया।
सुबह उजाला होने पर ढूंढना आरंभ किया तो मिला
जेल अधीक्षक अखिलेश तोमार सहित समस्त अधिकारी रात भर उसके तलाशते रहे। सुबह उजाला होने पर पुन: उसे ढूंढना आरंभ किया। तब वह झाड़ियों के बीच बैठा मिला। बंदी के विरुद्ध सिविल लाइंस थाना में धारा 264 के अंतर्गत् मामला पंजीबद्ध कराया गया है।
बंदी के गायब होने के मामले में काराबार प्रबंधन कार्रवाई
बैरक के से बंदी के गायब होने के मामले में काराबार प्रबंधन कार्रवाई की है। ड्यूटी में तैनात जेल प्रहारी सुरेंद्र तुरकर और विजय गुप्ता को निलंबित कर दिया गया है। जेल प्रहरी की जिम्मेदारी होती है कि वह हर घटनाक्रम पर नजर रखें। सतर्क रहें। कारागार प्रबंधन ने दोनों जेल प्रहरी पर अपने कार्य के प्रति लापरवाही बरतने के लिए कार्रवाई की है।
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