यमुनानगर
किसान सिर्फ अन्नदाता नहीं होता, वो ज़रूरत पड़ने पर देश का बेटा भी बन जाता है। इसका जीवंत उदाहरण हैं यमुनानगर के कैल गांव के किसान सुखदेव सिंह, जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 14 अप्रैल को होने वाली रैली के लिए अपनी 30 एकड़ उपजाऊ जमीन प्रशासन को सौंप दी। वो जमीन जहां गेहूं की बालियाे हवा में झूम रही थीं, जहां गन्ने की कतारें खड़ी थीं और हरा चारा पशुओं के लिए तैयार था। फसल पूरी तरह पकने में अभी कुछ दिन बाकी थे, लेकिन देशहित को प्राथमिकता देते हुए सुखदेव सिंह ने आधी कच्ची फसलों पर भी कंबाइन चलवा दी। अब खेतों में रोड रोलर दिन-रात चल रहे हैं, ताकि ज़मीन को रैली के लायक समतल किया जा सके।
किसान सुखदेव की आंखों में गर्व और बलिदान की चमक
किसान सुखदेव से जब इस बारे बात की गई तो उनकी आंखों में गर्व और बलिदान की चमक साफ दिखाई दे रही थी। उन्होंने कहा कि यह उनकी मेहनत थी, उनकी रोज़ी-रोटी थी। मगर जब सुना कि पीएम मोदी उनकी जमीन पर आएंगे तो लगा जैसे खुद देश उनकी चौखट पर आया है। ऐसे मौके ज़िंदगी में बार-बार नहीं आया करते।
यहां राजनीति नहीं, राष्ट्रभक्ति बोलती है
किसान सुखदेव सिंह ने यह भी बताया कि सिंचाई के लिए डाली गई पाइपलाइनें मशीनों से टूट गई हैं। उन्हें अब न सिर्फ अपने घर के लिए गेहूं मंडी से खरीदना पड़ेगा, बल्कि पशुओं का चारा भी बाहर से लाना पड़ेगा। लेकिन इन सबके बीच न उन्हें कोई शिकायत है, और न पछतावा। सुखदेव ने कहा किसी ने मजाक उड़ाया, किसी ने कहा- ‘फसल बर्बाद कर दी’, मगर वह मुस्कुरा कर जवाब देते हैं कि प्रधानमंत्री मेरे खेत में कदम रखेंगे, इससे बड़ी इज़्ज़त और क्या हो सकती है?
‘मैं’ की जगह ‘हम’ है, और ‘फायदे’ की जगह ‘फर्ज़’
किसान सुखदेव सिंह ने अपने भाइयों हुकुम चंद, बलिंद्र और परिवार का भी आभार जताया, जिन्होंने इस फैसले में उनका साथ दिया। उनका मानना है कि ये सिर्फ एक रैली की ज़मीन नहीं है ये उस सोच की जमीन है जहां ‘मैं’ की जगह ‘हम’ है, और ‘फायदे’ की जगह ‘फर्ज़’ झलकता है।
Source : Agency