अलवर.
सरिस्का में टाइगरों की संख्या बढ़ने से अब पर्यटकों को सफारी के दौरान टाइगर आराम से दिखाई दे रहा है। इससे न केवल सरिस्का में पर्यटकों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है, बल्कि यह के जंगल और अन्य जानवर भी पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। दिल्ली गुरुग्राम से आने वाले पर्यटक दीपांशु पराशर तो बेहद भग्यशाली हैं, जिनको सत्रह बार टाइगर और लेपर्ड के दीदार हो चके हैं।
दीपांशु ने बताया कि वह 2018 से लगातार सरिस्का आ रहा है और उसे सत्रह बार टाइगर दिख चुका है। दीपांशु ने बताया कि उसे सबसे ज्यादा एसटी 21 और एसटी 15 की साइटिंग सबसे ज्यादा हुई है। हालांकि उसे एसटी 3, एसटी 9, और एसटी 6 की साइटिंग भी हुई है, लेकिन सबसे ज्यादा एसटी 21 और एसटी 15 की साइटिंग हुई है। दीपांशु ने बताया कि सरिस्का का जंगल अपने आप में यूनिक है। यहां जंगल भी गहन है और पहाड़ भी हैं। यहां टाइगर ओर लेपर्ड के अलावा अनेक तरह के जंगली जानवर है, जिनको देखकर आनंद मिलता है। गाइड अर्जुन मीणा और रामहेत ने बताया कि एसटी 21 की साइटिंग हमेशा आकर्षक रहती है। इसको देखकर ही आनंद मिलता है, क्योंकि इसे सरिस्का का युवराज भी कहा जाता है। सरिस्का वन विभाग का कहना है कि सरिस्का जैसे जंगलों से ही आमजन को शुद्ध हवा मिलती है। इन्हें बचाए रखना सबकी जिम्मेदारी है। हम सबको वन्य जीवों का ख्याल रखना चाहिए, ताकि मानव जीवन बचा रह सके। ऐसे प्रयास सरकारों को भी आमजन को साथ लेकर करने चाहिए, जिससे मानव जीवन सुरक्षित रह सके। पर्यटकों को भी सरिस्का में आने के बाद एक अलग ही सुकून मिलता है। उनका कहना है कि शहरों में जीवन अस्तव्यस्त हो चुका है। यहां आते ही जीवन का असली आनंद मिल जाता है। वन विभाग का कहना है कि 42 टाइगरों के होने के बाद अब जंगल भी छोटा लगने लगा है और इसे फैलाने और बफर एरिया बढ़ाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे है। पहले 43 टाइगर थे, लेकिन उनमें से एक बूंदी जिले में रामगढ़ के जंगलों में भेज दिया गया है।
Source : Agency