Sunday, 8 September

केंद्रीय मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने कहा है कि हर तीसरे भारतीय को फैटी लिवर है जो टाइप-2 मधुमेह और अन्य मेटाबॉलिक डिसऑर्डर्स का कारण है। उन्होंने कहा कि नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर एक कॉमन मेटाबॉलिक लिवर डिसऑर्डर है और यह सिरोसिस व प्राइमरी लिवर कैंसर में बदल सकता है। यह मधुमेह, हाइपरटेंशन, हृदय रोग और अन्य बीमारियों को बढ़ाता है।

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यकृत और पित्‍त विज्ञान संस्‍थान (ILBS) में चयापचय यकृत रोगों की रोकथाम और इलाज के लिए एक वर्चुअल नोड, इंडो-फ्रेंच लिवर एंड मेटाबोलिक डिजीज नेटवर्क (INFLIMEN) का शुभारंभ किया। इस पहल का उद्देश्य गैर-मादक वसायुक्त यकृत रोग (NAFLD) जैसी प्रमुख समस्याओं का समाधान करना है, जो अंततः सिरोसिस और प्राथमिक यकृत कैंसर में बदल सकती है।

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इंडो-फ्रेंच लिवर एंड मेटाबोलिक डिजीज नेटवर्क (INFLIMEN) का शुभारंभ किया

कार्यक्रम के दौरान, डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारतीय उपमहाद्वीप और यूरोप दोनों में जीवनशैली में बदलाव, आहार और चयापचय संबंधी लक्षण जैसे मधुमेह और मोटापा, इस रोग की वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत में लगभग 3 में से 1 व्यक्ति को फैटी लीवर है, जिसमें 20 प्रतिशत गैर-मोटापे के रोगी शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि एनएएफएलडी और अल्कोहोलिक यकृत रोग (ALD) दोनों ही स्टीटोसिस से सिरोसिस और हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा (HCC) में विकसित हो सकते हैं। उन्होंने भारत की स्वास्थ्य सेवाओं में प्रगति पर भी प्रकाश डाला, विशेष रूप से निवारक स्वास्थ्य सेवाओं में।

डॉ. सिंह ने बायोमार्कर की खोज के लिए ओमिक्स दृष्टिकोण का उपयोग करके यकृत रोगों की वृद्धि और प्रबंधन के लिए आईएनएफएलआईएमईएन जैसे संयुक्त बहु-विषयक सहयोगी कार्यक्रम की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सरकारी और निजी क्षेत्र के सहयोग की महत्ता पर भी बल दिया।

इस वर्चुअल नोड में 11 फ्रांसीसी और 17 भारतीय डॉक्टर संयुक्त रूप से काम करेंगे। डॉ. सिंह ने इस नए दृष्टिकोण को अपनाने के लिए ILBS और इंडो-फ्रेंच सेंटर फॉर द प्रमोशन ऑफ एडवांस्ड रिसर्च (CEFIPRA) के साथ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के सचिव प्रो. अभय करंदीकर की सराहना की। उन्होंने ILBS के सचिव डॉ. शिव कुमार सरीन और उनकी टीम तथा फ्रांसीसी सहयोगियों को बधाई दी।

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