नई दिल्ली: कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) अब ट्रेनी और सेवा में कार्यरत अधिकारियों के सर्टिफिकेट्स पर खास ध्यान दे रहा है। हालिया रिपोर्ट के अनुसार, विभाग ने 6 सिविल सेवकों के विकलांगता प्रमाणपत्रों की जांच का फैसला लिया है। पिछले बुधवार को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर की उम्मीदवारी रद्द कर दी थी, और भविष्य में उसके किसी भी परीक्षा में शामिल होने पर रोक लगा दी। खेडकर ने फर्जी विकलांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) सर्टिफिकेट जमा किए थे। इसके मद्देनजर, DoPT ने स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (DGHS) को इन प्रमाणपत्रों की पुनः जांच के लिए पत्र लिखा है।
रिपोर्ट के अनुसार, जिन 6 अधिकारियों के प्रमाणपत्र संदेह के घेरे में हैं, उनके मेडिकल सर्टिफिकेट हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। UPSC के नियमों के अनुसार, आरक्षण का लाभ उठाने के लिए उम्मीदवार का न्यूनतम 40 प्रतिशत दिव्यांग होना आवश्यक है। UPSC विकलांग उम्मीदवारों के लिए आयु सीमा, प्रयासों की संख्या और परीक्षा केंद्रों में छूट प्रदान करता है। पूजा खेडकर केस के संदर्भ में आयोग ने कहा कि पिछले 15 वर्षों में यह एकमात्र मामला है जिसमें वह पता नहीं लगा सका कि खेडकर ने निर्धारित प्रयासों से ज्यादा बार परीक्षा दी, क्योंकि उसने अपना नाम और माता-पिता के नाम बदल दिए थे।
पूजा खेडकर को अग्रिम जमानत से इनकार
दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को पूजा खेडकर को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेंद्र कुमार जंगला ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह यह जांच करे कि क्या UPSC में किसी ने खेडकर की मदद की थी। न्यायाधीश ने जांच का दायरा बढ़ाते हुए यह भी निर्देश दिया कि पुलिस यह जांच करे कि क्या अन्य उम्मीदवारों ने बिना पात्रता के OBC और PWD कोटे का लाभ उठाया है। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष और UPSC के वकील ने खेडकर की अर्जी का विरोध करते हुए दावा किया कि खेडकर ने व्यवस्था को धोखा दिया है।