Friday, 20 September

जीरो (Zero) के आविष्कार से मानवता के इतिहास में एक क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है, क्योंकि इसके द्वारा ही उच्चतर गणित का विकास संभव हो सका है. यद्यपि विश्वास के साथ यह नहीं कहा जा सकता कि शून्य का आविष्कार किस व्यक्ति ने किया, परंतु यह निश्चयपूर्वक कहा जा सकता है कि इसका आविष्कार दूसरी तीसरी शताब्दी में भारत में हुआ था.

सभ्यता के विकास के आरंभ से ही मानव संख्याओं को अलग-अलग विधि से लिखने की चेष्टा करता रहा है. इसके लिए यूनान के लोग अपनी वर्णमाला के अक्षरों को प्रयोग करते थे. मिस्र के लोग उचित चित्रों द्वारा संख्याएं लिखते थे. रोम के लोगों की विधि बहुत ही जटिल थी. वे 10 के लिए X, 100 के लिए C, 1000 के लिए M, 1 के लिए 1,5 के लिए V, 50 के लिए L, और 500 के लिए D का प्रयोग करते थे. वे 4 को IV की तरह लिखते थे. यदि उन्हें 1648 लिखना होता था, तो वे MDCXLVIII लिखते थे. यह निश्चय ही बहुत जटिल तरीका था.

जो भी कुछ हो यह सच है कि ईसा के जन्म से बहुत पहले भारत में हिन्दू लोगों ने संख्याओं को लिखने का एक उचित तरीका विकसित कर लिया था, किन्तु उस समय जीरो का आविष्कार नहीं हुआ था. बाद में जीरो का आविष्कार हुआ और लगभग 900 ईस्वी में यूरोप के लोगों को इससे परिचित कराया गया. इसे अरब के व्यापारी वहां ले गए और यह हिन्दू- अरबी विधि कहलाई.

इस विधि में सभी संख्याएं 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 अंकों और एक शून्य (0) की सहायता से लिखी जाती थीं. इस विधि में हर अंक का मूल्य लिखी संख्या में उसके स्थान के अनुसार होता है. रोमन लोगों की पद्धति में उस समय जीरो नहीं था.

जीरो में कुछ विशेष गुण हैं. यदि इसे किसी अंक में जोड़ें या किसी अंक में से घटाएं तो परिणाम वही रहता है. किसी अंक को यदि जीरो से गुणा करें तो परिणाम जीरो आता है. जीरो एक मात्र ऐसा अंक है, जिसे किसी भी अंक से भाग दे सकते हैं, लेकिन यह और अंक को विभाजित नहीं कर सकता.

यदि हम % लिखें तो न यह अर्थपूर्ण है और न ही निरर्थक है. वास्तव में यह संख्या अनिर्धार्य (Indeterminate) है. जीरो भी अन्य प्राकृतिक अंकों के समान ही है.

यह अंकों में सबसे छोटा है लेकिन ऋणात्मक संख्याओं जैसे 10,20 आदि से बड़ा है. किसी अंक के आगे जीरो लगा देने से यह उसके मूल्य में कोई वृद्धि नहीं करता, (जैसे 01, 02 आदि) लेकिन उसके पीछे लगा देने से दस गुनी वृद्धि कर देता है. उदाहरण के लिए 2 के बाद 0 लगा देने से वह 20 बन जाता है.

सभ्यता और संस्कृति के विकास में जीरो का आविष्कार बहुत ही महत्वपूर्ण रहा है. इसके बिना आधुनिक विज्ञान, उद्योग और व्यापार की ऐसी उन्नति की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी.

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