साम्राज्य (बड़े-बड़े राज्य) बनते-बिगड़ते रहते साह लेकिन राष्ट्र जीवित रहता हैड़ते रह महान राष्ट्र के रूप में इसलिए जीवित रहा क्योंकि हजारों वर्षों से हमारे देश में भिन्नताओं में भी एकता स्थापित करना एक विशेष परंपरा बन चुकी है. इस एकता के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक है देश की राजनैतिक एकता. यद्यपि भारतीय स्वतंत्रता से पहले ब्रिटिश साम्राज्य बहुत विशाल था तथापि हमारी आज की राजनैतिक एकता उसी की देन है. लेकिन ब्रिटिश साम्राज्य से बहुत पहले भारत ने इतिहास के भिन्न-भिन्न कालों में बड़े-बड़े राज्यों को बनते और बिगड़ते हुए देखा है, उदाहरण के लिए अशोक, समुद्रगुप्त, हर्षवर्धन, अकबर और औरंगजेब आदि के साम्राज्य.
भारत का सर्वप्रथम साम्राज्य कौन सा था और यह कब स्थापित हुआ ?
ईसा मसीह के जन्म से भी पहले भारत में कुछ महान सभ्यताओं का उदय हुआ था, लेकिन उनकी अपनी भौगोलिक और राजनैतिक सीमाएं थीं. उसके बाद पहले से बेहतर सरकारों वाले संगठित राज्यों का विकास हुआ, लेकिन वे बहुत छोटे-छोटे राज्य थे. सिकंदर के आक्रमण के बाद भारत में चंद्रगुप्त मौर्य के” नेतृत्व में एक महान साम्राज्य का उदय हुआ. यही भारत का प्रथम साम्राज्य था.
चंद्रगुप्त पहले पूर्वी भारत के दक्षिणी बिहार पर राज्य करने वाले राजा नंद की सेनाओं का प्रधान सेनापति था. किसी कारण चंद्रगुप्त ने राजा नंद के विरुद्ध विद्रोह कर दिया पर वह उसमें सफल नहीं हुआ. आचार्य चाणक्य उस समय के राजनीति में कुशल एक महान शिक्षक थे. वे भी राजा नंद की नीतियों के विरोधी थे. चंद्रगुप्त ने आचार्य चाणक्य को अपना गुरु बनाया और उनकी सहायता से नंद वंश को समाप्त कर स्वयं राजा बना. इस प्रकार ईसा से लगभग 321 वर्ष पूर्व मौर्य साम्राज्य का प्रारंभ हुआ. चंद्रगुप्त मौर्य ने अपना साम्राज्य गंगों के मुहाने से लेकर हिन्दुकुश पर्वत तक बढ़ा लिया. आज का अफगानिस्तान और पाकिस्तान भी चंद्रगुप्त मौर्य के साम्राज्य में शामिल थे.
चंद्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य भारत का पहला शक्तिशाली साम्राज्य था जो एक राजा के अधीन था. चंद्रगुप्त ने देश की रक्षा तथा शासन प्रबंध के क्षेत्रों में भी सराहनीय कार्य किए. यद्यपि उस समय ऊपर से एक राजा का राज्य था पर गांवों के स्तर पर जनतंत्र प्रणाली के अनुसार कार्य होता था. इतिहासकारों के अनुसार चंद्रगुप्त एक प्रजाप्रेमी, न्यायशील और अत्यन्त कुशल प्रशासक था. उसके शासन में प्रजा सुखी थी और चारों ओर सुख-शांति थी. चंद्रगुप्त मौर्य के प्रधानमंत्री तथा सलाहकार थे आचार्य चाणक्य, दूरदर्शी, देशभक्त और महान विचारक. वे एक संन्यासी जैसा सादा और संयमी जीवन व्यतीत करते थे. उनके द्वारा लिखित ‘कौटिल्य- अर्थशास्त्र’ आज भी पूरे संसार में राज्य शासन प्रबंध चलाने की एक आदर्श पुस्तक मानी जाती है.
इस विशाल साम्राज्य का तीसरा शासक अशोक महान था. उसने दक्षिण-पूर्व और बिल्कुल दक्षिण के राज्यों को छोड़कर पूरे भारत पर अपना साम्राज्य स्थापित किया.