Friday, 18 October

पेरिस्कोप (Periscope) एक ऐसा दूरवीक्षक यंत्र है जो अपारदर्शी परदों के पीछे छिपी वस्तुओं को देखने के काम आता है. इसका उपयोग जल और थल युद्ध और पनडुब्बियों में है. इसके द्वारा सैनिक समुद्र के अंदर से कवच या बख्तर (बंदगाड़ी) में से धरती पर होते हुए युद्ध का या अपने चारों तरफ के वातावरण को देख सकते हैं. इसके द्वारा पनडुब्बियों में से समुद्री लड़ाई को देखा जा सकता है. युद्ध में यह बहुत ही उपयोगी यंत्र है.

पेरिस्कोप किस सिद्धांत के अनुसार काम करता है?

यह यंत्र दो समानांतर समतल दर्पणों से प्रकाश के परावर्तन के सिद्धांत पर कार्य करता है. इसमें एक लंबो नली प्रयोग में लाई गई है, जो दो स्थानों पर समकोण पर मुड़ी हुई है. इसमें दो समतल दर्पण लगाए गए हैं. इन दोनों दर्पणों के परावर्तन सतह को नली के अक्ष के साथ 45° के कोण बनाते हुए फिक्स कर दिया है. पेरिस्कोप के सामने किसी वस्तु से आने वाली प्रकाश की किरणें पहले दर्पण पर पड़कर परावर्तित हो जाती हैं और दूसरे दर्पण पर पहुंच जाती हैं, वहां से ये किरणें फिर परावर्तित हो कर देखने वाले की आंख तक पहुंच जाती हैं और इस प्रकार दर्शक को वस्तु दिखाई देने लगती है. इस प्रकार यदि मनुष्य किसी खाई के अंदर से जमीन की वस्तु को देखना चाहे तो आसानी से देख सकता है.

कुछ उत्तम प्रकार के पेरिस्कोपों में परावर्तक प्रिज्मों तथा आवर्द्धक लेंसों का प्रयोग किया जाता है, जिससे दूर की वस्तुएं स्पष्ट और निकट दिखाई देने लगती हैं. उनमें वस्तु की दूरी मापने का भी प्रबंध होता है. कुछ पेरिस्कोपों में वस्तु का चित्र लेने का यंत्र भी होता है. गत्ते से बने साधारण पेरिस्कोप परेड और खेल के मैदान की घटनाओं को देखने में आमतौर से प्रयुक्त होते हैं. इनके द्वारा दर्शक दूसरे लोगों के सिर के ऊपर से देख सकते हैं.

पेरिस्कोप नाभिकीय प्रक्रियाओं को देखने के काम भी आते हैं. इनकी सहायता से भट्ठियों तथा दूसरे खतरनाक प्रक्रमों के अंदर देखा जा सकता है.

संसार का सबसे लंबा पेरिस्कोप 27 मीटर लंबा है. यह इदाहो (Idaho) के नेशनल रीएक्टर टैस्टिंग स्टेशन पर नाभिकीय प्रक्रियाओं को देखने के लिए लगा हुआ है.

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