Sunday, 8 September

हम जानते हैं कि किन्ही भी दो व्यक्तियों के  उंगलियों के निशान एक से नहीं हो सकते, ठीक उसी प्रकार दो व्यक्तियों की आवाज भी एक जैसी नहीं होती. क्या आपको पता है ऐसा क्यों होता है ?

बोलने की क्रिया में सैकड़ों पेशियां सेकेंड से भी कम समय में एक सामंजस्य के साथ सक्रिय होती हैं. बोलने यंत्र जिसे लेरिंक्स या ध्वनि-बॉक्स कहते हैं, असंख्य आवाजें पैदा कर सकता है. यह गले का वह भाग है, जिसमें से हवा गुजरती है. जब हम सांस लेते हैं, तो पहले हवा मुंह और नाक में से लेरिंक्स में नीचे की ओर सांस की नली में जाती है और फेफड़ों में पहुंच जाती है. लेरिक्स कड़ी उपास्थियों से बना होता है. इसकी भीतरी तह में दो तंतु होते हैं, जो बीच में जगह छोड़ते दोनों तरफ फैले होते हैं. इन्हीं को वोकल कॉर्ड कहते हैं. जब हम सामान्य रूप से सांस लेते हैं, तो इनके बीच छूटी जगह एकदम खुली रहती है और ये तंतु ढीले रहते हैं. पर बात करते हुए गाते हुए या चिल्लाते हुए ये तंतु कस जाते हैं. बाहर निकलने वाली हवा इन वोकल कॉडों में कंपन पैदा करती है और इन कंपनों से ही आवाजें होती हैं. वोकल कॉर्ड 170 से भी अधिक अलग- अलग स्थितियों में हो सकते हैं.

यदि बोलने वाले ये तंतु ढीले हों तो इनमें एक सेकेंड में 80 कंपन हो सकते हैं. इनसे निकलने वाली आवाज गहरी होती है. यदि ये तंतु तने हुए हों तो ये एक सेकेंड में एक हजार से भी अधिक बार कंपन कर सकते हैं और इस तरह ये या तो छोटी आवाजें पैदा करते हैं या बहुत स्वर. क्योंकि बच्चे में वोकल कॉर्ड छोटे होते हैं, इसलिए वे छोटी-छोटी आवाजें निकालते हैं, पर उनकी आवाज की पिच बहुत ऊंची होती है. जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, वोकल कॉर्ड लंबे होते जाते हैं और क्रम में आवाज भी गहरी होती जाती है. इसीलिए बड़ों की आवाज

बच्चों से अधिक भारी और गहरी होती है. इसी तरह अधिकांश पुरुषों की आवाज महिलाओं से भारी होती है. ह है कि आदमी का लेरिक्स स्त्री से बड़ा इसका कारण यह • होता है और उनके कॉर्ड भी लंबे होते हैं.

आवाज की पिच वोकल कॉडौं की लंबाई पर निर्भर करती है. हर आवाज की अपनी एक आवृत्ति होती है. आदमी की आवाज का प्रकार भी आवृत्ति पर निर्भर होता है. आवाजों को छः श्रेणियों में बांटा जा सकता है. ये प्रकार हैं: पुरुषों के लिए मंद्र (Bass), बेरिटोन और पुंमध्यक (Tenor) तथा महिलाओं के लिए स्त्री मंद्रक (Alto) मंद्र सोप्रानो और सोप्रानो (Soprano).

मनुष्य की आवाज का गुण इसके अतिरिक्त अन्य बातों पर भी निर्भर करता है, जैसे फेफड़े, नाक के अंदर की खोखली जगह का रूप और अंदर स्थित गूंज पैदा करने वाले स्थान आदि. नाक की हड्डी के छिद्र और मज्जामय तंतु (Sinuses), गले की नली (Pharynx) और मुख छिद्र आवाज की गूंज पैदा करने वाले स्थानों की तरह कार्य करते हैं और वोकल कॉर्ड द्वारा उत्पन्न की गई आवाज में सुधार करते हैं. जिह्वा की तालू की ओर होने वाली गति, होठों की बनावट और दांतों की बनावट भी व्यक्ति की आवाज में परिवर्तन लाते हैं. प्रत्येक आदमी के ऊपर लिखे अंगों की बनावट और गति अलग-अलग तरह की होती है, इसलिए दुनिया के किन्ही भी दो व्यक्तियों की आवाज एक ही तरह की नहीं हो सकती.

मनुष्य की आवाज की मधुरता और भी कई चीजों पर निर्भर करती है. जैसे गूंज, फेफड़े यानी सांस रोकने की ताकत और नाक के छिद्रों की गड्राई इत्यादि, नाक, साइनस (नाक का कोटर) फेरिक्स (Pharynx) और ओरल कैविटी (Oral Cavity) आवाज में गूंज पैदा करते हैं और वोकल कॉर्ड द्वारा पैदा की गई आवाज की टोन को ठीक करते हैं. जीभ का तालु से टकराना, होंठों की बनावट और दांतों की कतार के बीच के स्थान आवाज को काफी सीमा तक प्रभावित करते हैं. क्योंकि इन सब अवयवों की बनावट अलग-अलग व्यक्तियों में अलग- अलग होती है, इसीलिए प्रत्येक व्यक्ति की आवाज भी अलग-अलग होती है.

Share.
Exit mobile version