Sunday, 8 September

भेंगापन (Squint) एक बीमारी है, जिसमें दोनों आंखें एक ही दिशा में नहीं देख पातीं. इस बीमारी को स्ट्राबिस्मस (Strabismus) या हेटेरोट्रापिया (Heterotropia) भी कहते हैं.

भेंगापन तीन प्रकार का होता है. एक में दोनों आंखें एक दूसरे की तरफ देखती हैं, दूसरे में नीचे की तरफ और तीसरे में ऊपर की तरफ, आंखों का किसी भी दिशा में देखने पर यदि भेंगापन स्थायी रहता है, तो उसे ‘कमिटेंट’ भेंगापन कहते हैं. दूसरी तरह के भेंगापन को ‘नानकमिटेंट’ कहते हैं, जिसमें भंग नजर की दिशा के साथ-साथ कम-ज्यादा होता है.

भेंगापन स्नायु-नियंत्रण में कुछ गड़बड़ी होने से होता है. वास्तव में पुतलियों का घूमना 6 पेशियों से कंट्रोल होता है, जिनमें से 4 सीधी होती हैं और 2 मुड़ी हुई. यदि इन पेशियों के स्नायुओं में कोई खराबी आ जाए तो आंखों में भेंगापन आ जाता है.

बच्चों की आंखों की दूर की नजर कमजोर होने से उनकी आंखों की पुतली एक तरफ आने लगती है. पास की नजर कमजोर होने के कारण ऊपर की ओर उठने वाला भेंगापन पैदा होता है. यदि एक या एक से अधिक पेशियां बिल्कुल निष्क्रिय हो जाएं तो नॉनकमिटेंट भेंगापन पैदा हो जाता है.

चिकित्सा विज्ञान के विकास से आंखों की इस खराबी को अब ठीक संभव हो गया है. पर इसे आरंभ में ही ठीक करा लेना चाहिए, इसके लिए खास तरह के शीशों वाला चश्मा लगाना होता है. इसके शीशे काले होते हैं, जिससे उस आंख का प्रयोग रोका जा सके, जिसमें कोई खराबी न हो. इससे खराब वाली आंख और खराब नहीं हो पाती.

आंखों का फिरना आंखों के व्यायाम (Orthoptic Exercise) से भी ठीक किया जा सकता है. व्यायाम से आंखों की पेशियां शक्तिशाली हो जाती हैं. कुछ मामलों में कमजोर पेशी को शक्तिशाली बनाने या ज्यादा शक्तिशाली पेशी को थोड़ा कमजोर बनाने के लिए आपरेशन की भी जरूरत पड़ती है. इस आपरेशन से पहले कुछ दिनों के लिए सही आंख को बंद रखा जाता है. यह इसलिए किया जाता है कि रोगी उस आंख के प्रयोग का अभ्यास डाल सके, जिसे पहले वह इस्तेमाल नहीं कर रहा था और दृष्टि को स्थिर कर सके.

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