Friday, 18 October

प्लेटो (Plato) यूनान का एक प्राचीन दार्शनिक था, जिसकी शिक्षाओं और लेखों का आज भी बहुत महत्व है. प्लेटो को अफलातून भी कहते हैं. इस महान् विचारक की रचनाएं सारे संसार में बड़ी रुचि से पढ़ी जाती हैं. वह सुकरात (Socrates) का शिष्य और अरस्तू (Aristotle) का गुरु था. वास्तव में सुकरात के महान् विचारों को ही उसके शिष्य प्लेटो ने अपनी रचनाओं में लिखा है. अरस्तू (Aristotle) की प्रतिभा को विकसित करने का श्रेय भी प्लेटो को जाता है.

प्लेटो का जन्म ईसा से 427 वर्ष पहले यूनान के एथेंस नगर में हुआ था एवं मृत्यु 80 वर्ष की आयु में एथेंस नगर में ही हुई थी. वह एक धनवान और कुलीन परिवार का था. बीस वर्ष की आयु में वह सुकरात का शिष्य बना. जब सुकरात को 399 ईसा पूर्व जहर देकर मृत्युदंड दिया गया, प्लेटो को बहुत दुख पहुंचा. वह एथेंस नगर छोड़ कर चला गया और कुछ वर्षों तक यात्राएं करता रहा. यात्राओं से लौट कर आने के बाद इस महान् दार्शनिक ने एथेंस में 388 ईसा पूर्व अपनी प्रसिद्ध अकादमी (Academy) स्थापित की जिसे विश्व का प्रथम विश्वविद्यालय माना जाता है.

प्लेटो ने बहुत से विषयों पर अपने विचार प्रकट किए हैं. लेकिन शिक्षा, न्याय, आदर्श राज्य और आदर्श शासक विषयों पर प्रकट किए गए उसके विचारों पर आज भी बुद्धिमान लोग गहराई से आपस में बहस करते हैं. उसके अनुसार दर्शनशास्त्र (Philosophy) सबसे अधिक महत्व का विषय है और उसकी जानकारी के बिना कोई भी शिक्षा पूरी नहीं होती.

प्लेटो दार्शनिकों के शासन की वकालत की. उसका कहना था, “या तो दार्शनिकों को राजा होना चाहिए या राजाओं को दार्शनिक होना चाहिए.” उसके विचारों के अनुसार अपने कर्तव्यों को पूरा करना ही न्याय है. आदर्श राजाओं के पास न तो कोई निजी संपत्ति होनी चाहिए. और न उन्हें विवाह करना चाहिए, उसका कथन था कि वास्तविक संसार के अलावा एक आदर्श संसार होता है जो वास्तविक संसार से परे होता है और उसका अनुभव व्यक्ति अपने मन में कर सकता है. व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने वास्तविक संसार को अपने आदर्श संसार के निकट लाने का प्रयत्न करता रहे.

प्लेटो के पढ़ाने का दूसरा रोचक पहलू यह था कि वह अकादमी में जो व्याख्यान देता था, उनको लिखित रूप में कभी नहीं बांटता था क्योंकि उसे भय था कि बाहरी लोग उसके विचारों को सही रूप में नहीं समझ सकेंगे.

प्लेटो तर्क था कि व्यक्ति को वाद-विवाद में अपने विचारों को सही सिद्ध करने के लिए कहने का अवसर मिल जाता है लेकिन लिखने के बाद वह यह अवसर नहीं पा सकता. यही कारण है कि जब उसने अपने विचारों को लिखना शुरू किया तो उन्हें बातचीत या वार्तालाप के रूप में रखा ताकि उसके अपने विचारों अलावा दूसरों के दृष्टिकोण भी उनमें आ सकें.

प्लेटो की पुस्तकों में सबसे प्रसिद्ध द रिपब्लिक (The Republic) है. इसमें आदर्श राज्य की आवश्यकताओं के बारे में वार्तालाप है.

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