Friday, 20 September

आधुनिक कृत्रिम अंग बहुत ही प्राकृतिक दिखते हैं और पहनने में काफी आरामदायक होते हैं. इलेक्ट्रोनिक से चलने वाले आधुनिकतम अंग शरीर की मांसपेशियों की सूक्ष्म विद्युतीप प्रभावों से काम करते हैं. कृत्रिम अंगों के अलावा शरीर के अन्य अंग जिनके स्थान पर कृत्रिम अंग लगाये जा सकते हैं- आंख, दांत, हृदय का वाल्व और हृदय का पेस मेकर आदि हैं.

First Artificial Limbs: आज चिकित्सा विज्ञान ने इतनी उन्नति कर ली है शरीर के कई अंग कृत्रिम रूप से बनाये जाने और योग्य सर्जन डॉक्टरों द्वारा लगाये जाने लगे हैं. यह प्रगति एक लंबे समय तक बहुत से प्रयत्नों के बाद हो पाई है. पहला व्यक्ति जिसने कृत्रिम अंगों का निर्माण किया, फ्रांस का एक शल्य चिकित्सक (surgeon) थे. उसका नाम एंब्रोइजे परे (Ambroise Pare) थे (सन् 1510-1590).

सन् 1500 आदि तक शल्य चिकित्सा डॉक्टरों द्वारा नहीं होती थी. इसे बाल बनाने वाले नाइयों की विशेषता माना जाता था. एक युवा लड़के के रूप में ‘परे’ ने बाल काटने आदि की ट्रेनिंग ली थी. सन् 1541 में वह सेना में नाई शल्य चिकित्सक नियुक्त हुआ. उन्नति करते-करते अंत में वह फ्रांस के राजा हेनरी द्वितीय और उसके तीन पुत्रों का (जो राजा के बाद उसके उत्तराधिकारी बने) सर्जन बन गया.

एंब्रोइजे परे बहुत ही लोकप्रिय शल्य चिकित्सक (Surgeon) था. उसने अपने समय में प्रचलित कृत्रिम अंगों में अनेक सुधार किये. उदाहरण के लिए उसने जख्मों को उबलते हुए तेल से जलाने की क्रिया को बंद कर दिया. इसकी जगह वह जख्मों पर मामूली मरहम-पट्टी कर दिया करता था और दिखने वाली धमनियों पर बंध लगा दिया करता था.

‘परे’ ने कई प्रकार के कृत्रिम (बनावटी) अंगों जैसे हाथों, बाहों का विकास किया. उसने एक ऐसी बांह बनाई जो कुहनी से मुड़ सकती थी, उसने ऐसा हाथ भी बनाया जिसकी उंगलियां गति कर सकती थीं. आज भी ‘परे’ कृत्रिम अंगों को बनाने वाला प्रथम व्यक्ति समझा जाता है.

आज ऐसे कृत्रिम पैर और मांसपेशियों से गति करने वाले विद्युत के हाथ बन गए हैं जो छोटी सी इलेक्ट्रिक मोटरों से चलते हैं. ये अंग उन मरीजों के लिए बहुत उपयोगी होते हैं, जिनके प्राकृतिक अंग किसी कारण से नष्ट हो जाते हैं.

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