Sunday, 22 December

पेंनगुइन (Penguin) स्फेनिस्सिफोर्स (Sphenisciformes) प्रजाति के बहुत विचित्र समुद्री पक्षी हैं. ये अत्यंत ठंडे प्रदेशों में रहते हैं. इनके विषय में सबसे विचित्र बात यह है कि ये आदमी की तरह पैरों पर सीधे खड़े हो सकते हैं.

पेंगुइन पक्षी के पाए जाने वाले स्थान

कुछ लोगों का मत है कि यह अनोखा पक्षी जहां भी ठंडा मौसम होता है, वहीं पाया जाता है, लेकिन यह धारणा गलत है, ये केवल धरती के दक्षिणी गोलार्ध में मिलते हैं, ये एंटार्कटिक महाद्वीप और टापुओं पर रहते हैं. ये अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, और दक्षिणी अमेरिका के ठंडे दक्षिणी समुद्र तटों पर भी मिलते हैं.

पेंगुइन की 17 किस्में होती हैं. इन में अदेली (Adelie) किस्म सबसे प्रसिद्ध है. इसकी दूसरी की तरह काली पीठ और सफेद पेट होता है. इन किस्मों को लंबाई और सिर के आकारों को अंतर के आधार पर पहचाना जाता है. इनका आकार 40 सेमी. से 120 सेमी. तक होता है. 40 सेमी. को परी पेंगुइन और 120 सेमी. वाली को शाही पेंगुइन कहते हैं. नर और मादा के आकार एक जैसे ही होते हैं.

इस पक्षी के पंख विकास क्रम में हाथों की तरह हो गए हैं. इस कारण ये उड़ तो नहीं सकते, परंतु तैरने में बहुत निपुण होते हैं. चलते भी ये बहुत अनोखे ढंग से हैं. विकास के आरंभिक काल में ये भी दूसरे पक्षियों की तरह उड़ थे, पर बीतते-बीतते इनके पंख बहुत छोटे होते गए. इसका कारण यह रहा कि पेंगुइन इतने सुनसान इलाकों में रहते रहे हैं कि उन्हें किसी शत्रु से कभी कोई खतरा ही नहीं रहा, ये आराम से अपना समय जमीन पर या पानी में बिताते थे. इसलिए जन्म से मृत्यु तक तक पंखों का कोई विशेष उपयोग नहीं करना पड़ा और इसीलिए समय गुजरते-गुजरते इनके पंख छोटे होते गए.

पेंगुइन पक्षी बहुत बड़े-बड़े समूहों में रहते हैं. इनके एक समूह में दस लाख से अधिक पेंगुइन हो सकते हैं, वे मछलियों, केंचुये, घोंघे जैसे कड़े खोल वाले कीड़ों आदि को खाते हैं. इनका पूरा शरीर बहुत घने परों से ढका होता है जिससे वे बेहद ठंडे मौसम में भी आराम से रह सकते हैं. इनके परों पर पानी का असर नहीं होता और उनमें छोटे- छोटे खाली स्थान होते हैं जिनमें हवा भरी रहती है जो उन्हें गर्म रखती है. परों की मोटी परत के नीचे इनके शरीर में चर्बी की परत होती है. यह उनको भोजन को सुरक्षित रखने और शरीर को गर्म रखने में सहायता देती है.

मादा पेंगुइन एक या दो अंडे देती है. नर और मादा पेंगुइन दोनों ही इन अंडों को सेते और उनकी देखभाल करते हैं. अंडों को सेने के समय ये भोजन नहीं करते. अंडों से बच्चे निकलने पर ये उन्हें अपनी चोंच के द्वारा, खाना खिलाते हैं. एंपरर (Emperor) और अदेली (Adelie) पेंगुइन अंटार्कटिका के तटों पर बच्चे देती हैं. किंग मेकारोनी (King Macaroni), चिनस्ट्रेप (Chinstrap) और जेनटू (Gentoo) पेंगुइनें उप-अंटार्कटिक द्वीपों में अंडे देती हैं. शेष 11 जातियों की पेंगुइन इसके और उत्तर की ओर अंडे देती हैं.

पेंगुइन विशाल समूहों में रहते हैं. इनकी एक बस्ती में लाखों पक्षी हो सकते हैं. इनका भोजन मछली, चारा, झींगें और समुद्री फेन होते हैं. ये अपना अधिकांश समय बर्फीले समुद्रों में तैरते हुए या भोजन की खोज में बिताते हैं. अब समझने की बात यह है कि इतनी जबर्दस्त ठंड पेंगुइन कैसे सहन करते हैं.

वास्तव में पेंगुइन के पूरे शरीर पर परों की एक मोटी गद्दी चढ़ी होती है, जिससे ठंडे से ठंडा मौसम भी उनको प्रभावित नहीं करता. पंखों की इस गद्दी में पानी प्रवेश नहीं कर सकता. इनमें बहुत महीन सूराख होते हैं, जो इनको गर्म रखने में सहायक होते हैं. पंखों की इस मोटी तह के नीचे चर्बी की एक और तह होती है, जो पूरे शरीर को बाहरी प्रभाव से बचाए रखती है, यह शरीर की गर्मी को बनाए रखने तथा पानी और भोजन को जमा करने के काम आती है.

मादा पेंगुइन एक बार में एक या दो अंडे देती है, जिसे नर और मादा दोनों सेते हैं, अंडे सेने के समय ये भोजन नहीं करते. छोटे पेंगुइन को माता-पिता अपनी चोंच से भोजन कराते हैं.

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