Friday, 20 September

नाइट्रोजन (Nitrogen) सभी जीवित प्राणियों के लिए एक अत्यंत आवश्यक तत्व है. हमारे वायुमंडल में लगभग 78% नाइट्रोजन गैस है. इस नाइट्रोजन की कुछ मात्रा जीवित प्राणियों द्वारा निरंतर इस्तेमाल होती है और लगभग उतनी ही मात्रा वायुमंडल में वापस आती है. इस प्रकार पृथ्वी, जल, वायु और जीवित प्राणियों के बीच नाइट्रोजन के निरंतर आदान-प्रदान को नाइट्रोजन चक्र (nitrogen cycle) के नाम से जाना जाता है.

वायुमंडल में नाइट्रोजन की मात्रा स्थिर रहना

नाइट्रोजन-चक्र को भली-भांति समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि वायुमंडल से किस प्रकार नाइट्रोजन प्राप्त की जाती है और प्रयोग में लाई हुई यह नाइट्रोजन किस प्रकार वायु में वापस पहुंचती है.

वायुमंडल में व्याप्त नाइट्रोजन की कुछ मात्रा बादलों में अचानक बिजली चमकने की क्रिया में हो जाती है. वायु में अचानक बिजली चमकने से नाइट्रोजन की कुछ मात्रा ऑक्सीजन से संयोग करके नाइट्रोजन के आक्साइडों में बदल जाती है. नाइट्रोजन के ये आक्साइड वर्षा की बूंदों के साथ घुलकर धरती पर आ जाते हैं और दूसरे तत्वों के साथ ऐसे यौगिक बनाते हैं, जो पेड़-पौधों द्वारा होते हैं.

वायुमंडल की नाइट्रोजन में से एक भाग को बैक्टीरिया और एल्गी (Algae) लेते रहते हैं. चना, मटर आदि पौधों की जड़ों में उपस्थित सिम्बायटिक बैक्टीरिया होते हैं, जो सीधे ही वायुमंडल की नाइट्रोजन को लेकर पौधों में भेज देते हैं. पौधों द्वारा प्राप्त किए गए नाइट्रोजन के यौगिक प्रोटीनों में बदल जाते हैं. इन्हीं प्रोटीनों को जंतु भोजन के रूप में अपने शरीर में ले जाते हैं. जीवन के लिए आवश्यक प्रोटीन और न्यूक्लिक एसिड में भी नाइट्रोजन पाई जाती है. इस प्रकार वायुमंडलीय नाइट्रोजन धरती तक आती रहती है.

जीवित प्राणियों के मरने, उनके द्वारा मल आदि अवांछित पदार्थों के त्याग करने और पेड़-पौधों के सड़ने से उनमें उपस्थित कार्बनिक पदार्थ मिट्टी में अमोनिया लवणों में बदल जाते हैं. अमोनिया के इन लवणों को कुछ विशेष बैक्टीरिया नाइट्रोजन के लवणों में बदलते रहते हैं, जिन्हें पेड़-पौधे मिट्टी से ले लेते हैं. इन्हीं पेड़-पौधों को शाक-सब्जी, फलों तथा दूसरे रूपों में जंतु खाते हैं और इस प्रकार नाइट्रोजन यौगिकों का इस्तेमाल करते हैं.

कुछ ऐसे बैक्टीरिया भी हैं, जो मिट्टी में उपस्थित नाइट्रोजन यौगिकों को नाइट्रोजन में बदलकर वापस वायुमंडल में भेजते रहते हैं.

इस प्रकार हम देखते हैं कि वायुमंडलीय नाइट्रोजन अनेक क्रियाओं द्वारा धरती, पौधों और जंतुओं तक पहुंचती है और फिर वापस वायुमंडल में चली जाती है. इस प्रक्रम में नाइट्रोजन के एक अणु को वायुमंडल में वापस जाने में हजारों या लाखों वर्ष लग सकते हैं. लेकिन यह निश्चित है कि जितनी नाइट्रोजन वायुमंडल से जैविक प्रकियाओं द्वारा ली जाती है, उतनी ही नाइट्रोजन वायुमंडल में वापस भी भेज दी जाती है.

इस प्रकार वायुमंडल में नाइट्रोजन की प्रतिशत मात्रा सदा ही स्थिर रहती है. नाइट्रोजन के इसी आवागमन को नाइट्रोजन-चक्र कहते हैं.

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