Friday, 20 September

केवल 3% लोग ही दोनों आंखों का इस्तेमाल करते हैं, अधिकतर लोगों की दायीं आंख बायीं आंख की अपेक्षा अधिक समर्थ होती है

हम लोग ‘दायां हत्था’ (Right-Handed) और ‘बायां-हत्या’ (Left-Handed) के अर्थ से तो भलीभांति परिचित हैं, लेकिन हम में से बहुत कम लोग दक्षिण-दृष्टि (Right-Sight) और वाम-दृष्टि (Left-Sight) का अर्थ जानते हैं. अर्थात् हम कभी अपने दोनों नेत्रों का उपयोग समान रूप से नहीं करते. एक आंख दूसरी से ज्यादा सक्रिय या समर्थ होती है.

विभिन्न अध्ययनों से यह सिद्ध हुआ कि मनुष्य देखने में 65 प्रतिशत इस्तेमाल अपनी दायीं आंख का करता है, 32 प्रतिशत बार्थी आंख का तथा कुल 3 प्रतिशत दोनों आंखों का अर्थात् कुल प्रतिशत का केवल 3 प्रतिशत दोनों आंखों का समान रूप से इस्तेमाल होता है.

एक व्यक्ति के वाम-दृष्टि या दक्षिण-दृष्टि होने पर वह कैसा महसूस करता है, यह जानना तो मुश्किल है, परन्तु निम्न परीक्षण से आप यह अवश्य जान जाएंगे कि आप वाम-दृष्टि हैं या दक्षिण-दृष्टि…….

हाथ में एक पेंसिल लें और हाथ को अपने मुंह के सामने आंखों को सीध में तान लें. दोनों आंखें खुली रखें सामने दीवार के किसी चित्र, शेल्फ या अन्य वस्तु पर पेंसिल को उसकी सीध में करें. पहले एक आंख को बंद कर दूसरी आंख से वह वस्तु देखें. उसके बाद दूसरी आंख बंद कर पहली से वह वस्तु देखें. यदि दार्यों आंख से रेखांकित वस्तु आपको स्थिर दीखती है और बायीं से देखने पर वह वस्तु बाईं ओर हटती-सी महसूस होती है, तो आपकी दायीं आंख बायीं से ज्यादा समर्थ है और आप दक्षिण-दृष्टि हैं और यदि इसके विपरीत अनुभव हो तो आप वाम-दृष्टि हैं.

दृष्टि-प्रबलता निर्धारित करने के अन्य दूसरे कई तरीके हैं. इस विषय में स्टेन्ली कोरेन नामक व्यक्ति ने ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी में कुछ परीक्षण किए, उन्होंने अपने परीक्षणों से यह निष्कर्ष निकाला कि जब हम कोई वस्तु अपनी अधिक समर्थ आंख से देखते हैं, तो वह दूसरी की अपेक्षा कुछ ज्यादा बड़ी हो जाती है. उन्होंने विभिन्न प्रकार की 45 वस्तुएं चुनीं और उनसे नेत्र-प्रबलता संबंधी परीक्षण किए. उनमें से 25 व्यक्ति दक्षिण-दृष्टि और 20 व्यक्ति वाम-दृष्टि के पाए गए. इसमें भी एक रोचक बात यह थी कि दक्षिण-दृष्टि वाले व्यक्तियों में से 17 व्यक्ति ऐसे थे, जिन्हें वस्तुएं अपेक्षाकृत कुछ बड़ी दिखाई दीं. यही बात वाम-दृष्टि वाले व्यक्तियों में से 13 व्यक्तियों के साथ हुई.

वैज्ञानिकों के अनुसार हर व्यक्ति की दोनों आंखों का अपवर्तन एक समान था और दायीं और बार्यों आंख से वस्तु का अपेक्षाकृत बड़ा दीखना केवल मनोवैज्ञानिक था.

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