लिवर (Liver) जिसे हिंदी में जिगर या यकृत भी कहते हैं उदर में एक बहुत ही महत्वपूर्ण और आवश्यक अंग है. इसे शरीर की रात दिन चलने वाली लेबोरेटरी, प्रयोगशाला या रसायन बनाने का कारखाना कहा जा सकता है. जिगर में सौ से भी अधिक प्रक्रियाएं चलती रहती हैं.
मूलरूप से जिगर का कार्य भोजन को मलोत्सर्जन, भोजन-सामग्री का संचयन और भोज्य पदाथों का रूपांतरण, रक्त-निर्माण की प्रक्रिया को बनाए रखना तथा विषैले तत्वों को नष्ट करना आदि है. यदि कसी मनुष्य का जिगर काम करना बंद कर दे तो कुछ ही घंटों में उसकी मृत्यु निश्चित है.
एक वयस्क मनुष्य के जिगर का भार लगभग 1.5 किलोग्राम होता है. मानव का जिगर उदर की दायीं ओर उदर को वक्षस्थल से अलग करने वाली पेशी (Diaphragm) के ठीक नीचे होता है. यह पसलियों के नीचे छिपा रहता है. पसलियां इसकी रक्षा करती हैं. यह गहरे लाल-भूरे रंग का होता है और इसका आकार अनियमित त्रिभुज जैसा होता है. इसकी ऊपरी सतह कुछ गोलाई लिए हुए होती है. यह पित्ताशय के साथ अच्छी तरह चिपका रहता है. जिगर चार खंडों में विभाजित रहता है.
जिगर को रक्त की भरपूर सप्लाई मिलती है. महाधमनी से आने वाला रक्त जिगर की कोशिकाओं को आक्सीजन की आवश्यकता पूरी करता है. रक्त महाधमनी की शाखा ‘हिपेटिक आर्टरी’ के माध्यम से हृदय से चलकर जिगर तक पहुंचता है. जिगर आंतों से भी रक्त प्राप्त करता है. इस रक्त में आंतों की दीवारों से छन कर आया भोज्य पदार्थ घुला होता है. यह रक्त ‘हिपेटिक पोरटल-वेन’ नामक शिरा द्वारा जिगर तक पहुंचता है. भोज्य पदार्थ जिगर को सौंप कर यह रक्त ‘हिपेटिक वेन’ से होकर पुनः हृदय में पहुंच जाता है.
जिगर भोज्य पदार्थों में उपस्थित शक्कर, ग्लूकोज और अमीनो अम्लों पर रासायनिक क्रिया करता है. अमीनो अम्ल प्रोटोन युक्त खाद्य पदार्थ के पाचन से प्राप्त होते हैं. शक्कर जिगर में ग्लाइकोजीन के रूप में संचित होती है. शरीर की कोशिकाओं को जब भी ईंधन की आवश्यकता होती है, ग्लाइकोजीन यहां से मुक्त होकर उसकी पूर्ति करता है. जिगर अमीनो एसिड को प्रोटीन में परिवर्तित कर रक्त के प्लाज्मा कणों को खुराक पहुंचाता है. कुछ अमीनो एसिड अतिरिक्त ग्लूकोज बनाने में काम आ जाते हैं. इसका कारण यह है कि जिगर में अमीनो एसिड ग्लूकोज की तरह संचित नहीं रखे जा सकते. उनका तुरंत उपयोग हो जाना चाहिए.
जिगर ‘बाइल’ (पित्त) नामक पाचक एंजाइम उत्पन्न करता है. यह कोशिकाओं के अंदर उत्पन्न होता है और ‘बाइल’ नलिकाओं में प्रवाहित हो जाता है. पित्त पाचन क्रिया में सहायक होता है. आंतों में प्रवाहित होने से पूर्व ‘बाइल’ पित्ताशय में एकत्र हो जाता है. जिगर विटामिन्स, आयरन और कॉपर को एकत्र करने के लिए भंडार-घर के रूप में भी प्रयुक्त होता है.
जिगर का सबसे महत्वपूर्ण कार्य रक्त में मिल जाने वाले हानिकारक रासायनिक तत्वों का नाश करना है. अल्कोहल, ड्रग्स और अन्य कई विषैले पदार्थ या तो नष्ट कर दिए जाते हैं, या फिर वे हानिरहित पदार्थों में परिवर्तित कर दिए जाते हैं. उसके बाद वे शरीर से मूत्र-मार्ग द्वारा बाहर निकाल दिए जाते हैं. लंबे समय तक, अधिक मात्रा में अल्कोहल लेने से जिगर नष्ट हो जाता है. जिगर की इस खराबी को सिरोसिस (Cirrhosis) रोग के नाम से पुकारते हैं. यदि साबधानी न बरती जाये तो व्यक्ति को पीलिया रोग हो जाता है और अंततः मनुष्य की मृत्यु भी हो सकती है.