Friday, 20 September

सबसे ज्यादा प्रोटीन मांस, मछली, सोयाबीन, पनीर, दाल, अंडे, सेम और कड़े छिलके वाले फालों में प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है..

प्रत्येक जीवित प्राणी के कोशिकाओं में प्रोटीन (Protein) होते हैं. वास्तविकता तो यह है कि सभी जीवधारियों के जीवित रहने के लिए प्रोटीन अत्यंत आवश्यक हैं. प्रोटीन शब्द की उत्पति ग्रीक भाषा से हुई है, जिसका अर्थ है ‘प्रथम’ इसका अर्थ है कि प्रोटीन हर जीवित प्राणी के लिए सबसे अधिक जरूरी है.

Protein की खोज सबसे पहले एक डच रसायनज्ञ रार्डस जोहान्स मुल्डर (Rardus Johannes Mulder) द्वारा सन 1837 में की गयी थी जबकि प्रोटीन नाम सन 1838 में जोन्स जैकब बर्जीलियस (Jons Jacob Berzelius) द्वारा दिया गया था। मुल्डर ने प्रोटीन की खोज करने के बाद इस पर बहुत अध्यन किया और प्रोटीन का सूत्र (Formula) C400H620N1000120P1S1 प्रतिपादित किया।

प्रोटीन ऐसे रासायनिक पदार्थ हैं, जो अमीनो अम्लों (amino acids) की क्रिया-प्रतिक्रियाओं से बनते हैं. अब तक प्रोटिन बनाने वाले 21 से अधिक अमीनो अम्लों का पता लगाया जा चुका है. प्रत्येक अमीनो अम्ल में कार्बन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और हाइड्रोजन होते हैं. इन तत्वों की विभिन्न अनुपात में संरचनाओं से ही अलग-अलग प्रोटीनों का निर्माण होता है. इन तत्वों के विभिन्न संयोगों से हजारों प्रकार के प्रोटीन निर्मित होते हैं.

पेड़-पौधे अपने लिए अनेक अमीनो अम्लों का निर्माण स्वयं करते हैं और इनसे विभिन्न प्रोटीन बनाते है. जानवर कुछ ही अमीनो अम्लों का निर्माण कर सकते हैं, सब आवश्यक अम्लों का नहीं. जिन अमीनो अम्लों का निर्माण जंतु स्वयं नहीं कर सकते, उन्हें अनिवार्य अमीनो अम्लों के नाम से पुकारा जाता है.

इन अमीनो अम्लों को ये जंतु अपने भोजन से प्राप्त करते हैं. जब जानवर प्रोटीनयुक्त भोजन करता है, तो ये प्रोटीन विभिन्न अमीनो अम्लों में टूट जाते हैं. ये अमीनो अम्ल शरीर में विभिन्न रासायनिक क्रियाओं द्वारा आवश्यक प्रोटीनों का निर्माण करते हैं. इस क्रिया को प्रोटीन सिन्थेसिस (Protein Syntheses) कहते हैं.

प्रोटीन शरीर में कई कार्य करते हैं. एंजाइम नाम के प्रोटीन पाचन क्रिया में उत्प्रेरक का काम करते हैं और भोजन को शीघ्र पचा देते हैं. एंजाइम शरीर की उपापचय (Metabolic) क्रियाओं के लिए अत्यंत आवश्यक हैं. इंसुलिन जैसे कुछ हार्मोन भी एक प्रकार के प्रोटीन हैं. इन्हें नियंत्रक प्रोटीन कहते हैं, क्योंकि ये रक्त-दबाव और शरीर में चीनी की मात्रा पर नियंत्रण रखते हैं. कुछ प्रोटीन शरीर को रोगों के आक्रमण से बचाते हैं. इन्हें इम्यून प्रोटीन (Immune Protein) कहते हैं. कुछ प्रोटीन ऐसे भी हैं, जो शरीर में महत्वपूर्ण पदार्थों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाते हैं. रक्त का हेमोग्लोबिन ऐसा ही प्रोटीन है. ऐसे प्रोटीनों को ट्रांसपोर्ट प्रोटीन (Transport Proteins) कहते हैं. कॉट्रैक्टाइल प्रोटीन (Contractile Proteins) मांसपेशियों की गति में सहायता करते हैं. इस प्रकार प्रोटीन शरीर के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण रासायनिक पदार्थ हैं.

कुछ भोज्य पदार्थों में प्रोटीन बहुत अधिक मात्रा में होते हैं. उदाहरण के लिए दूध, अंडा, मछली, मांस तथा पनीर में बहुत अधिक प्रोटीन मिलते हैं. इनसे शरीर के लिए आवश्यक अमीनो अम्ल भी प्राप्त होते हैं. कुछ भोज्य पदार्थ जैसे आलू और चावल में अमीनो अम्ल नहीं होते, अतः इन्हें प्रोटीन रहित भोजन माना जाता है.

प्रोटीन की कमी से शरीर में आलस्य पैदा होता है और इच्छा शक्ति कमजोर हो जाती है. शरीर में रोग- प्रतिरोधिता कम हो जाती है. प्रोटीनों की कमी से मस्तिष्क कमजोर हो जाता है, याददाश्त कम हो जाती है. अतः हर व्यक्ति के लिए यह आवश्यक है कि वह प्रतिदिन प्रोटीनयुक्त भोजन करे, क्योंकि  हम जितने भी किलो के हो उस अनुपात में उतने ग्राम प्रोटीन हमारे शरीर के लिए जरूरी होता है.

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