Sunday, 8 September

ओस्कार पुरस्कार (Oscar Award) वे वार्षिक पुरस्कार हैं जो यूनाइटेड स्टेट्स कैलिफोर्निया की अकादमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट एंड साइंसेज (Academy of Motion Picture Arts and Sciences – AMPAS) द्वारा फिल्म निर्माण के विभिन्न क्षेत्रों में ऊंचे स्तर की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि के लिये दिये जाते हैं. इसके मुख्य पुरस्कार सर्वोत्तम मुख्य तथा सहायक भूमिका करने वाले अभिनेता तथा अभिनेत्री, सर्वोत्तम निर्देशन, सर्वोत्तम स्क्रीन प्ले और सर्वोत्तम फिल्म को दिये जाते हैं. दूसरा विशेष पुरस्कार पूरे जीवन में सर्वोत्तम उपलब्धियां पाने वाले को दिया जाता है. सिनेमा संसार में इन पुरस्कारों को पूरे विश्व में सबसे अधिक प्रतिष्ठा और सम्मान प्राप्त है.

Academy of Motion Picture Arts and Sciences की स्थापना सन् 1927 में लुइस बी. मेयर द्वारा की गई थी. उस समय इसका उद्देश्य अभिनेताओं और कलाकारों की यूनियन को बनने से रोकना था. इसका दूसरा उद्देश्य गुणों और विशिष्टता के आधार पर विभिन्न पुरस्कारों का वितरण कर फिल्म उद्योग की छवि को ऊंचा उठाना था. पुरस्कारों की शुरुआत 16 मई, 1929 से की गई और ओस्कार नाम टेक्सास में गेहूं और फलों का उत्पादन करने वाले ओस्कार पाइर्से (Oscar Pierce) नामक एक प्रसिद्ध व्यक्ति के नाम पर रखा गया. प्रारंभ में ये पुरस्कार हॉलीवुड फिल्म उद्योग तक ही सीमित थे. इसमें मिलने वाली धनराशि बहुत अधिक नहीं थी. इनके साथ प्रशंसा-पत्र भी मिलता था. लेकिन पुरस्कारों का महत्व बराबर बढ़ता चला गया, क्योंकि समाचार पत्रों, रेडियो और टी वी द्वारा इनका बहुत प्रचार हो गया. जिन फिल्मों को ओस्कार पुरस्कार मिल जाता था. वे बॉक्स ऑफिस पर सफलता प्राप्त करती थीं और बड़ी संख्या में दर्शकों द्वारा देखे जाने के कारण लाभ भी खूब होता था. फिल्मों की सफल्ता के लिए ओस्कार पुरस्कार एक प्रकार का प्रमाण पत्र बन गया.

Academy of Motion Picture Arts and Sciences में लगभग 3 हजार चुने हुए सदस्य होते हैं. ये सभी ऐसे फिल्मी कार्यकर्ता होते हैं जिन्हें अपने-अपने क्षेत्र का जाना-माना सफल व्यक्ति समझा जाता है. इन सदस्यों में से 13 सेक्शंस के विशेषज्ञ पुरस्कार जीतने के योग्य नामों को चुनते हैं. आमतौर पर पांच नाम छांटे जाते हैं. लॉस एंजिल्स में होने वाले वार्षिक समारोह में पुरस्कार जीतने वालों को सोने को एक छोटी सी मूर्ति दी जाती है जिसे ओस्कार कहते हैं. इसे सोने की मूर्ति का डिजाइन संड्रिक गिब्बन्स (Cedric Gibbons) ने बनाया था. मूर्ति की लंबाई 13.5 इंच होती है. यह सोने के पत्तर से बनी एक नग्न पुरुष की मूर्ति होती है जो हाथों में एक तलवार पकड़े होता है और एक फिल्म को रील पर खड़ा होता है. फिल्म की रील में 5 छेद बने होते हैं. जिनमें से हरेक अकादमी की एक-एक शाखा का प्रतीक होता है.

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सन् 1930 में नॉरमा शेरर (Norma Sheares) सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार लेते हुए

इस पुरस्कार का प्रचार और लोकप्रियता की दृष्टि से कितना अधिक महत्व है यह बात सन् 1929 के पहले पुरस्कार के बाद ही पता चल गई थी. अब तो इसका महत्व बहुत अधिक हो गया है. अब इसके वार्षिक समारोह को टी वी द्वारा प्रसारित किया जाता है. इसे देखने सुनने के लिए बहुत बड़ी संख्या में दर्शक आते हैं. सिने जगत मे यह पुरस्कार सबसे ऊंचा माना जाता है. इसको प्राप्त करने वाले के लिए प्रसिद्धि के सुनहरे द्वार खुल जाते हैं. यही कारण है कि सभी फिल्मी हस्तियों की यह इच्छा होती है कि जीवन में एक बार उन्हें यह पुरस्कार जरूर मिले. यह इतना महत्वपूर्ण माना जाता है कि फिल्मी संसार के हर व्यक्ति का उद्देश्य इसको प्राप्त करना होता है.

‘लास्ट कमांडो’ फिल्म के लिए एमिल जनिंग्स (emil jannings), ‘बेस्ट ओस्कार’ पुरस्कार जीतने वाला प्रथम अभिनेता

इस पुरस्कार को जीतने वालों में सबसे अधिक उल्लेखनीय डिस्नेलैंड के प्रसिद्धि वाल्ट डिस्ने (Walt Disney) हैं. उन्होंने सबसे अधिक ओस्कार जीते थे. उन्हें 20 ओस्कार मूर्तियां, 12 तमगे और प्रमाण-पत्र मिले थे. यही नहीं वरन् उन्हें मरने के बाद भी पुरस्कृत किया गया था. सबसे कम आयु का अभिनेता शिर्ले टेम्पिल (Shirley Temple) था, जिसे 5 वर्ष की उम्र में ऑनरेरी ओस्कार पुरस्कार मिला था. प्रतियोगिता के क्षेत्र में टाटुम ओ’ नील (Tatum O’Neal) ने यह पुरस्कार 10 वर्ष की आयु में जीता. सबसे अधिक ओस्कार पुरस्कार जीतने वाली फिल्म ‘बेनहुर’ थी जिसे कुल 11 पुरस्कार मिले थे. फिल्म अभिनेत्री केथेरीन हेपबर्न को 12 बार ओस्कार पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था.

ओस्कार पुरस्कार जीतने वाले भारतीयों में भानु अथाई (Bhanu Athaiya), सत्यजीत राय और रुथ झबवाला (Ruth Jhabwala) के नाम उल्लेखनीय हैं. भानु अथाई को सन् 1982 में ‘गांधी’ फिल्म में सर्वश्रेष्ठ वेश भूषा डिजाइन करने के लिए, सन् 1992 में सत्यजीत राय को जीवन भर की फिल्मी उपलब्धियों के लिए तथा रुथ झबवाला को सन् 1993 में ‘हावईस एंड’ फिल्म की सर्वोत्तम रूपांतरित स्क्रीनप्ले लिखने के लिए ओस्कार पुरस्कार प्रदान किए गये थे. रुथ झबवाला एक जर्मन महिला हैं. जिन्होंने एक भारतीय पुरुष से विवाह कर लिया था.

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