Friday, 20 September

मोनेट की एक प्रभाववादी पेंटिंग प्रभाववादी कला की प्रवृत्ति को सुर्योदय के दृश्य में आगे बढ़ाने में योग दिया

चित्रकला कला उतनी ही प्राचीन है जितनी मानव सभ्यता इसे कला का सबसे रचनात्मक रूप समझा जाता है. इतिहास के अलग अलग कालों में चित्रकला की भिन्न-भिन्न शैलियों का विकास हुआ. प्रत्येक शैली में अपनी विशेषता रखनेवाले महान चित्रकार हुये.

प्रभाववाद (Impressionism) इनमें से एक ऐसी शैली है जिसका सबसे पहले फ्रांस के चित्रकारों ने सन् 1870 आदि में उपयोग किया. इस प्रकार के चित्र या पेंटिंग्स किसी एक चीज का प्रभाव दिखाते हैं, चित्र में दिखाई सभी चीजों का नहीं. इंप्रेशनिज्म (Impressionism) शब्द जिसे हिन्दी में प्रभाववाद कहते हैं. क्लाउडे मोनेट् (Claude Monet) के एक चित्र इंप्रेशन सन राइज (Impres sion: Sun rise) से बना है. इसे सन् 1874 में पहली इंप्रेशनिस्ट प्रदर्शनी में दिखाया गया था. प्रभाववादी (Impressionist) चित्रों में चित्रकार शुद्ध रंगों का इस्तेमाल करते हैं, रंगों को आपस में मिलाते नहीं हैं. वे चीजों को वैसा दिखलाने की कोशिश करते हैं. जैसी कि प्राकृतिक रोशनी में दिखलाई देती हैं. वे तरल रंगों को बूंदों और कूची (Brus) को बार-बार चला कर एक-एक चिन्ह बनाते हैं. दूसरी शैलियों के चित्रकारों की तरह वे विस्तार की बातों को हूबहू चित्रित नहीं करते थे.

प्रभाववादी चित्रकारों की दूसरी विशेषता यह थी कि वे स्टूडियो के अंदर पेंटिंग करने की बजाय बाहर खुली प्राकृतिक रोशनी में चित्र बनाते थे. अनेक बार उन्हें एक ही दृश्य को कई बार बनाना पड़ता था क्योंकि दिन में वस्तुओं पर पड़ने वाला प्रकाश सूर्य की बदलती हुई स्थिति के कारण बदलता रहता है. उनके लिए प्रकाश का सबसे प्रमुख महत्व था.

प्रभाववादी चित्रकारों का मानना है कि किसी भी चित्र में मुख्य तत्व प्रकाश होता है. इसका अर्थ यह है मनुष्य की आंखें एक समय में किसी भी दृश्य के एक छोटे से भाग पर केंद्रित होती हैं पूरे दृश्य पर नहीं. वे उस छोटे से भाग की हर चीज को विस्तार के साथ देखती हैं. शेष भाग के दृश्य की चीजें कम स्पष्ट होती हैं. प्रभाववादी चित्रकारों में मोनेट के अलावा अन्य प्रमुख चित्रकार हैं. केमिले पिसारो (Camille Pissaro) और एल्फ्रेड सिसले (Alfred Sisley).

सन् 1920 में चित्रकला की दूसरी महत्वपूर्ण शैली सुरेरियलज्म (Surrealism) का प्रारंभ फ्रांस के लेखक एंड्रे ब्रेटन (Andrew Breton) ने किया. चित्रकला की इस शैली में चीजों को उस रूप में दिखाया जाता है जैसी कि वे व्यक्ति के मन की गहराइयों में दबी होती हैं. इसमें विचित्र, अशांत कर देने वाले विचारों या वस्तुओं, बेतुके दृश्यों और अमूर्त भावों का चित्रण होता है. सुरेरियलिस्ट चित्रों में स्वप्नों के उस उत्सुकता भरे विकृत संसार का भी चित्रण होता है जिसे प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक फ्रायड ने अपने मनोवैज्ञानिक अध्ययनों के महत्वपूर्ण माना था.

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