Friday, 20 September

शरीर विज्ञान चिकित्सा द्वारा ऐसे अनेक रोगों को दूर करने में सफलता मिली है जो दवाओं या ऑपोशन से ठीक नहीं हो सके थे

शरीर विज्ञान चिकित्सा (physiology) आयुर्विज्ञान की वह शाखा है, जो किसी बीमारी या चोट को ठीक करने के लिए किसी प्राकृतिक उपकरण या व्यायाम का उपयोग करती है. इसे फिजिकल थैरेपी या फिजियोथेरेपी (Physiotherapy) भी कहते हैं. एक तरह से इस पद्धति में शरीर की कमी को पूरा किया जाता है. इस चिकित्सा पद्धति को फिजियाट्रिक्स (Physiatrics) कहते हैं. इस पद्धति के अनुसार इलाज करने वाले डॉक्टर को फिजिकल धेरैपिस्ट (Phyisical Therapist) या फिजियोथेरेपिस्ट (Physiotherapist) कहते हैं.

शरीर विज्ञान चिकित्सा पद्धति से अनेक बीमारियों और शारीरिक पंगुताओं का इलाज किया जा सकता है. यह कई प्रकार के फालिजों और पेशियों की कमजोरी के इलाज में बहुत कारगर सिद्ध होती है.

इस पद्धति से हृदय और फेफड़ों के रोगों का इलाज भी किया जाता है. इस चिकित्सा पद्धति का उपयोग अंगच्छेदन (Amputation), फ्रैक्चर और अन्य चोटों में भी होता है. इस पद्धति की सहायता से अनेक पंगु व्यक्ति रचनात्मक और स्वस्थ जीवन बिता सके हैं.

इस पद्धति में बहुत से इलाज और साधन इस्तेमाल किए जाते हैं. विकिरक (Radiant) ऊष्मा लैंपों का प्रयोग बदन को गर्म करने के काम आता है, जिससे पीठ की हड्‌डी का दर्द ठीक हो जाता है. बिजली की ऊष्मा, गद्दियां, डायाथमें, हाइड्रोथेरैपी (पानी का इलाज) और विशेष प्रकार के स्नान से बीमार आदमी के पूरे शरीर या शरीर के प्रभावित अंग को गर्मी पहुंचाई जाती है.

शरीर में गर्मी पहुंचती है, तो दर्द कम होता है और रक्त संचार तेज गति पकड़ लेता है. किसी-किसी चोट के बाद शरीर को ठंडा करने के तरीके भी इस्तेमाल किए जाते हैं, जिनसे दर्द और सूजन कम हो जाती है. अल्ट्रावायलेट लैंप (Ultraviolet Lamps) कुछ बीमारियों के कीटाणुओं को मारने के काम आता है. अल्ट्रासोनिक तरंगों का प्रयोग पेशियों में या जोड़ों पर आई सूजन को ठीक करने के लिए किया जाता है.

शरीर विज्ञान चिकित्सा पद्धति में व्यायाम का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है. आम आदमी यह समझता है कि इस चिकित्सा का संबंध केवल शारीरिक व्यायाम से है. लेकिन शरीर विज्ञान का चिकित्सक विभिन्न उपकरणों का प्रयोग करता है. जैसे घिरनी, भार, पैरेलल बार, स्थिर बाइसिकिल, डंबेल इत्यादि. खपच्चियां, बाहु-कवच, बैसाखी और पहियों वाली कुर्सियों का भी इस पद्धति में प्रयोग होता है. शरीर विज्ञान के चिकित्सक मरीजों को इन उपकरणों को प्रयोग करने की विधि सिखाता है और उनमें रोजाना का काम करने के लिए आत्मविश्वास पैदा करता है. शरीर विज्ञान चिकित्सक अस्पतालों में, स्कूलों में और अपने चिकित्सालय खोल कर पंगु मरीजों की सेवा करते हैं. इन दिनों इस पद्धति का प्रचलन निरंतर बढ़ रहा है.

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