Sunday, 8 September

मनुष्य प्राचीन काल से ही समय मापने के लिए अलग-अलग तरह की घड़ियों का इस्तेमाल करता आया है प्राचीन काल की घड़ियों में अधिक प्रामाणिकता नहीं थीं, परंतु आज के वैज्ञानिकों ने बहुत हो उच्च स्तर की घड़ियों का विकास कर लिया है, जिनसे छोटी से छोटी समय की गति को मापा जा सकता है.

सामान्य तौर पर प्रयोग में आने वाली आधुनिक पड़िया तीन प्रकार की हैं 1. चाबी से चलने वाली पड़ियों, 2 विद्युत से चलने वाली घड़ियां और 3. इलेक्ट्रोनिक पड़ियां चाबी वाली घड़ियां स्प्रिंग से चालती है, विद्युत घड़ि‌यां बेट्री से और इलेक्ट्रोनिक घड़ियों (Quartz) से. तीनों प्रकार की घड़ियां ही समय को एक सीमा तक प्रामाणिकता के साथ बताती हैं, लेकिन कुछ ही वर्षों में ये सुस्त या तेज हो जाती हैं.

कुछ वर्ष पहले वैज्ञानिकों ने एक बहुत हो उच्च स्तर को घड़ी विकसिकत को जिसे परमाणु घड़ी (Atomic Clock) के नाम से पुकारा जाता है. ये घड़ियां इतनी प्रामाणिक हैं कि 1,700,000 वर्षों के समय में ये अधिक से अधिक एक सेकेंड सुस्त या तेज होती हैं. क्या तुम जानते कि परमाणु घड़ी क्या है? परमाणु घड़ियों के विकास ने समय मापने के

इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया है. इन्हीं के आधार पर अब समय का अंतरराष्ट्रीय मानक ‘परमाणु- सेकेंड’ मान लिया गया है. इस मानक में सेकेंड वह समय है, जिसमें सोजियम 133 का परमाणु 9192631770 कंपन करता है. इससे पहले समय का मानक ‘सेकेंड’ था, यह पृथ्वी द्वारा एक दिन में अपनी धुरी पर घूमने में लगने वाले समय का 1/86400वां भाग था.

परमाणु घड़ियों का विकास परमाणुओं या अणुओं द्वारा पैदा होने वाली स्वाभाविक आवृत्तियों को मापने के आधार पर हुआ है. हम जानते हैं कि प्रत्येक परमाणु को एक स्वाभाविक आवृत्ति होती है. इस आवृत्ति को गिनकर समय को मापा जाता है. अधिकतर परमाणु घड़ियों में 1400 से 40,000 मैगाहर्ट्ज की आवृत्तियों को प्रयोग में लाया जाता है.

सबसे पहले अमोनिया के अणुओं की आवृत्ति के आधार पर परमाणु घड़ी बनाई गई थी. सन् 1947 में अमोनिया अणुओं की आवृत्ति द्वारा नियंत्रित औस्सीलेटर (Oscillator) बनाया गया. इस औस्सीलेटर से सन् 1949 में नेशनल ब्यूरो आफ स्टैंडर्ड्स, वाशिंगटन डी. सी. द्वारा परमाणु घड़ी बनाई गई. सन् 1955 में सीजियम (Cesium) धातु से निकलने वालों परमाणुओं की किरणों द्वारा बहुत ही शुद्ध घड़ी नेशनल फिजिकल लैबोरेटरी, टैडिंगटन (इंग्लैंड) में विकसित की गई. इसके बाद कई प्रयोगशालाओं ने सीजियम घड़ियों का निर्माण किया.

सीजियम घड़ी में, इसके परमाणुओं की एक धारा, सीजियम धातु को एक भ‌ट्ठी में गर्म करके पैदा की जाती है. एक क्वार्ट्ज घड़ी से 5 मैगाहर्ज की आवृत्ति को बढ़ाकर सीजियम आवृत्ति (9192631770) के बराबर लाकर विद्युत चुंबकीय क्षेत्र को नियंत्रित किया जाता है. 5 मैगाहर्ज आवृत्ति का कुछ भाग एक दूसरी घड़ी को नियंत्रित करता है. यही घड़ी समय प्रदर्शित करती है.

पिछले कुछ वर्षों में सीजियम परमाणु बड़ी से भी बेहतर घड़ियों का विकास किया जा चुका है. इनमें अमोनिया मेसर (Maser), हाइड्रोजन मेसर (Hydrozen Maser), और रूबोडियम (Rubidium) गैस सेल की परमाणु घड़ियां मुख्य हैं.

सन् 1960 में बनाई गई परमाणु बड़ी (Atomic Clock) आकार में बहुत बड़ी थी पर अब ऐसी परमाणु घड़ियां बनने लगी हैं जो आकार में छोटी होती हैं और उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर सरलता से ले जाया जा सकता है.

परमाणु घड़ियों को समय मानक (Standard of Time) के रूप में प्रयोग में लाया जाता है. इन्हें नैवीगेशन और अंतरिक्ष संचरण व्यवस्थाओं में भी काम में लाया जा रहा है.

Share.
Exit mobile version