Friday, 20 September

एल्बिनिज्म (Albinism) लैटिन शब्द एल्बस (Albus) से बना है, जिसका अर्थ है-सफेद, एल्बिनिज्म या रंजकहीनता या रंगहीनता एक पैतृक रोग है, जो जीन्स (Genes) में परिवर्तन आ जाने से होता है. रंजकहीनता केवल मनुष्यों में ही नहीं, बल्कि जानवरों और पौधों में भी मिलती है. रंजकहीनता  आंखों, खाल पर और बालों में से पीले, लाल, भूरे और काले रेशों की अनुपस्थिति से पैदा होती है. इसकी वजह से शरीर में धब्बे पड़ जाते हैं. 

एल्बिनिज्म छुआछूत का रोग नही है यह एक जेनेटिक रोग है जो ज्‍यादातर मामलों में बच्‍चों को माता-पिता से मिलता है और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को पहुंच जाता है. या किसी अन्य कारण से शरीर में शरीर में मेलानिन या मेलेनिन (Melanin) का उत्‍पादन कम हो जाए, तो भी ये रोग हो सकता है.

प्राकृतिक रेशे शरीर के हिस्सों को सुरक्षात्मक रंग देते हैं, जिससे उनकी रोशनी के बुरे प्रभावों से रक्षा हो सके. इस बीमारी के रोगियों में ये रेशे समाप्त हो जाते हैं.

एल्विनिज्म के लक्षण

यह बीमारी सभी मानव जातियों में पाई जाती है. मनुष्यों में यह मेलेनिन की कमी से होती है. मेलेनिन खाल, बालों, आंखों में पाया जाने वाला गहरा भूरा रेशा है. यह बीमारी कभी पूरे शरीर में होती है, तो कभी शरीर के कुछ हिस्सों में धब्बों के तौर पर भी हो जाती है.

पूरे एल्विनिज्म में शरीर के किसी भी कोष्ठक में रंग प्रदान करने वाले सभी रेशे समाप्त हो जाते हैं. रोगी के बाल और खाल दूधिया सफेद या भूरा हो जाते हैं. रोगों की आंखें रक्त नलिकाओं के कारण एकदम गुलाबी दिखती हैं. और आईब्रो, आईलैशेज का रंग पीला या गोल्डन होता है क्योंकि इस रोग के रोगों में प्रकाश अवशोषित करने वाले रेशे नहीं रहते. इसलिए वह तेज रोशनी (जैसे सूरज की) में आने से बचते हैं उनकी त्वचा रोशनी के प्रति अतिसंवेदनशील होती है.

आंशिक एल्विनिज्म में शरीर के कुछ हिस्सों में रंग देने वाले रेशों की कमी होती है. आंशिक एल्विनिज्म कुछ पशुओं में भी होता है. यह देखा गया है कि 20,000 व्यक्तियों में से एक व्यक्ति ऐसा होता है, जिसका पूरा शरीर रंजकहीन हो गया हो.

यहां तक कि सफेद फूलों वाले कुछ पौधे भी आंशिक एल्विनो (Albino) होते हैं. पूरे एल्विनो पौधे में क्लोरोफिल नाम का हरा रेशा समाप्त हो जाता है. इसी कारण प्रकाश संश्लेषण विधि से यह पौधा अपना भोजन तैयार नहीं कर पाता और बीज में से प्राप्त होने वाले भोजन के समाप्त होते ही मर जाता है.

WHO द्वारा लोगों को एल्बिनिज्म रोग की जागरुकता फैलाने के उद्देश्‍य से हर साल 13 जून को International Albinism Awareness Day मनाया जाता है.

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