Sunday, 8 September

हम जानते हैं कि प्रत्येक पदार्थ छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना इन कणों को परमाणु कहते हैं. परमाणु अत्यंत सूक्ष्म होते हैं, जिन्हें नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता. बीसवीं शताब्दी के शुरू में वैज्ञानिकों ने यह भी पता लगा लिया कि परमाणु और भी अत्यंत सूक्ष्म कणों से मिलकर बने हैं. ये अत्यंत सूक्ष्म कण हैं: इलेक्ट्रोन, प्रोटोन और न्यूट्रान. इन कणों को हम मूल कण (Elementary Particles) कहते हैं. इन मूल कणों के अतिरिक्त वैज्ञानिकों ने और भी बहुत से मूल कणों का पता लगा लिया है. कौस्मिक किरणों के अध्ययन से पता चला है कि ब्रह्मांड में बहुत से मूल कण हैं. इनमें मीसोन (Meson), म्युओन (Muon), न्यूट्रिनों, पोजीट्रोन (Posi- tron) आदि भी मुख्य मूल कण ही हैं.

कुछ ही पहले वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया है कि ये अत्यंत सूक्ष्म कण और भी बहुत ही सूक्ष्म कणों से बने हैं. मूल कणों को बनाने वाले इन कणों को क्वार्क (Quark) का नाम दिया गया है. अभी तक क्वार्क केवल काल्पनिक कण हैं. इन्हें प्रयोगशालाओं के परीक्षणों में नहीं देखा जा सका है. लेकिन कुछ वैज्ञानिक तथ्यों से यह निश्चित हो गया है कि क्वार्क नाम के कणों का अस्तित्व है और क्वार्कों के मिलने से ही दूसरे कण बने हैं. फोटोन (Photon), इलेक्ट्रोन (Electron) म्युओन (Muon) और न्यूट्रिनों (Neutrino) नाम के मूल कर्णो को छोड़कर शेष  सभी मूल कण क्वार्कों से मिलकर बने हैं. क्वार्क मूल कणों का निर्माण करने वाले काल्पनिक कण हैं, जिन पर आंशिक आवेश (Fractional Charge) होता है. इनके अस्तित्व के विषयों में सर्वप्रथम 1964 में अमेरिका के भौतिकशास्त्रियों, मुरे गेल-मान (Murray gell-mann) और जॉर्ज ज्चीग (George Jweig) ने कल्पना की थी. उन्होंने कहा कि मूल कण क्वार्क नाम के कणों से बने हैं.

वैज्ञानिकों की कल्पना के अनुसार क्वार्क चार प्रकार के होते हैं. प्रत्येक क्वार्क का एक एंटी क्वार्क है. सन् 1974 तक केवल तीन प्रकार के क्वार्क ही ज्ञात थे, जिनमें से दो लगभग समान द्रव्यमान (Mass) के थे, जो प्रोटोन, न्यूट्रान और पाई मोसोन का निर्माण करते हैं. तीसरा क्वार्क भारी द्रव्यमान का था, जो के मौसोन और हाइपरौन जैसे मूल कणों को बनाता है. इन तीन क्वाकों का नाम क्रमशः अपक्वार्क (Up Quark) डाउन क्यार्क (Down Quark) और स्ट्रेंज क्यार्क (Strange Quark) रखा गया. इन्हें अंग्रेजी वर्णमाला के यू डी और एस अक्षरों से प्रदर्शित किया जाता है. सन् 1974 में एक क्वार्क का और पता लगाया गया, जिसे चार्म क्वार्क (Charm Quark) के नाम से पुकारा गया. इसे सी अक्षर से प्रदर्शित करते हैं. एंटी-क्वाकों को इन अक्षरों के ऊपर एक रेखा खींच कर प्रदर्शित किया जाता है (U,D,S,C).

चारों क्वार्कों (U, D, S, C) पर इलेक्ट्रोन की तुलना में+2/3,-1/3, -1/3 और +2/3 आवेश होता है. एंटी- क्वार्कों पर इनका विपरीत आवेश होता है. सभी क्वाकों का अपने अक्ष पर घूमने का मान % होता है.

विभिन्न क्वार्कों के मिलने से अलग-अलग मूल कण बनते हैं, जैसे यू. यू. डी. क्वार्कों मिलने से प्रोटोन बनते हैं और यू. डी. डी. क्वार्कों से न्यूट्रान बनते हैं. प्रत्येक मीसोन एक क्वार्क और एंटी-क्वार्क से मिलकर बना है. वैज्ञानिक ऐसे प्रयोगों की खोज में हैं, जिनसे क्वार्कों की उपस्थिति को देखा जा सके.

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