अन्य मशीनों की तरह शरीर को भी काम करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है. यह ऊर्जा उपापचय (Metabolism) के माध्यम से भोज्य पदार्थों द्वारा प्राप्त होती है. उदाहरण के लिए, यदि हम एक टुकड़ा रोटी का, या आलू का अथवा किसी अन्य भोजन का खाते हैं, तो इसके अंदर विद्यमान स्टार्च शर्करा (Sugar) में बदलकर रक्त मिल जाता है. सांस द्वारा ली गई वायु में मिश्रित रक्त में पहुंचकर इसके साथ जलती है जिससे ऊर्जा पैदा होती है, इससे हमारे शरीर को शक्ति प्राप्त होती है. इसी तरह की अन्य रासायनिक क्रियाएं हमारे शरीर में ये रूपांतरण करती रहती हैं. ये प्रक्रियाएं प्रोटीन (Protein) के एक अंश द्वारा होती हैं, जो जीवित से उत्पन्न होता है. इसी को किण्वक या एंजाइम (Enzyme) कहते हैं.
सभी प्रकार के एंजाइम अपने आप में प्रोटींस हैं और अमीनो एसिड की एक लंबी कड़ी से निर्मित होते हैं. ये किण्व-भोज (Substrate) से मिलकर एक मध्यस्थ यौगिक (Intermediate Compound) बनाते हैं. यह इंटरमीडिएट कंपाउंड एक अस्थिर संकुल (Unstable complex) हैं, जो उत्पादन अभिक्रिया (Reaction) और ओरिजिनल एंजाइम (Original Enzyme) को परिवर्तित कर नया रूप देता है. एंजाइम द्वारा पाचन क्रिया के कार्य बड़ी कुशलता से किए जाते हैं.
एंजाइम के हमारे शरीर में कार्य
एंजाइम जीवित-कोशिकाओं से उत्पन्न जैव उत्प्रेरक (Organic Catalyst) है. मानव शरीर में सैकड़ों विभिन्न एंजाइम होते हैं. इनमें से कुछ कोशिकाओं के अंदर होते हैं और कुछ ऐसे जो पाचन क्रिया में उपयोगी हैं, आंतों में कोशिकाओं के बाहर सक्रिय रहते हैं. मानव शरीर में होने वाली लगभग सभी रासायनिक क्रियाओं (Chemi- cal Reactions) में ये एंजाइम सहायक होते हैं.
बहुत सी शारीरिक क्रियाएं जैसे पाचन क्रिया (Digestion), ऊतकों (Tissues) का निर्माण और टूट- फूट, श्वसन क्रिया तथा मांस-पेशियों का संकुचन (Contraction) आदि एंजाइम के सहयोग के बिना असंभव हैं. एंजाइम क्रिया तापक्रम, अम्लता और क्षारीयता की मात्रा और उस पदार्थ जिस पर एंजाइम क्रिया करता है, के अनुरूप होती है.
किण्व-भोज (Substrate) के सैकड़ों अणुओं में एक अकेला एंजाइम कुछ सेकेंडों में ही अपेक्षित परिवर्तन ला देता है.
एंजाइम की क्रिया पारा, सीसा, संखिया जैसे विषैले पदार्थों से रुक जाती है. इन विषैले पदार्थों से एंजाइम को इंटरमीडिएट कंपाउंड की अवस्था में आने में बाधा पड़ती है और पाचन क्रिया में विकार उत्पन्न हो जाता है.
एंजाइम हमारे शरीर के अलावा उद्योग-धंधों, औषधि निर्माण और रासायनिक विश्लेषण (Analytical Chemistry) में भी बहुत उपयोगी हैं, इनका उपयोग स्टार्च को ग्लूकोज में, और ग्लूकोज को फ्रक्टोज में बदलने में किया जाता है. सेमी सिंथेटिक पेनिसिलीन, पनीर- निर्माण तथा कृत्रिम मिठास और सुगंध बनाने में भी एंजाइम बहुत सहायक होते हैं.
एंजाइम को छः मुख्य वर्गों में विभाजित किया गया है-ऑक्सीडेशन से उत्पन्न ऑक्सिडेज, संक्रमण- समूह से उत्पन्न ट्रांसफेरेस, हाइड्रोलीसिस क्रिया से उत्पन्न हाइड्रोलेसेज, पृथक्करण समूह (Group Re- moval) से उत्पन्न लाइसेज, आइसोमेराइजेशन क्रिया में आइसोमेरेज एंजाइम तथा अणुओं के संयोजन से उत्पन्न लिगेसेज.