Sunday, 8 September

ई.सी.जी. (Electrocardiography- ECG) या विद्युत हृदयलेखन हृदय के धड़कने के कारण पैदा हुए विद्युत-कंपनों का ग्राफ बनाने की एक विधि है. इस ग्राफ को विद्युतहृदयलेख (Electrocardiography) कहते हैं. हृदय की सभी क्रियाएं विद्युत- कंपनों द्वारा ही संचालित होती हैं. हृदय का प्रत्येक भाग जिसमें से रक्त बहता है, अपना स्वतंत्र विद्युत लहरों का पैटर्न बनाता है. इन्हीं कंपनों के अलग- अलग आरेख को मशीन द्वारा रिकार्ड करके इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram) बना लिया जाता है.

यह ग्राफ हृदय की हालत और गतिविधियों के विषय में अत्यंत उपयोगी सूचनाएं देता है. यह हृदय की बीमारियों का इलाज करने में बहुत काम आता है.

इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम लेने के लिए अलग-अलग इलेक्ट्रोड शरीर के अलग-अलग भाग में लगा दिए ऐसा करने पर हृदय से आने वाली बहुत सूक्ष्म विद्युत-धारा मशीन तक पहुंचती है. हाथ और पैरों के चार सिरे और छाती इलेक्ट्रोड लगाने के मानक स्थान हैं. जब मशीन को चालू किया जाता है, तो एक स्वचालित पेन ऊपर-नीचे गति करता है और प्रत्येक विद्युत तरंग को चार्ट पेपर पर रिकार्ड करता है.

सामान्य कार्डियोग्राम (Cardiogram) में ऊपर-नीचे खिंची लाइनें एक के बाद एक होने वाले हृदय के ऊपरी दो भागों और निचले दो भागों की सिकुड़न प्रदर्शित करती हैं. पहली ऊपर निकली गोलाई P एट्रायल काम्प्लेक्स (Atrial Complex). दूसरे मोड़ और गोलाइयां Q, R, S, T, सभी निलयों (Ventricle) की गति को दर्शाती हैं, इसीलिए इन्हें वेंट्रिकुलर काम्पलेक्स (Ventricular Complexes) कहते हैं.

किसी भी कार्डियोग्राम में सदि सामान्य ग्राफ से अंतर हो तो समझना चाहिए कि अमुक व्यक्ति को कोई हृदय की बीमारी है. कार्डियोग्राम की मदद से हृदय की अलग-अलग बीमारियों को पहचाना जा सकता है. इससे यह पता लगता है कि हृदय बढ़ तो नही गया और बढ़ गया है, तो किस जगह पर. क्या हृदय की गति में कोई खराबी है और खराबी है तो किस कारण है. क्या कोई धमनी बंद हो गई है. यदि हुई है तो किस स्थान पर. हृदय की धड़कनों की रफ्तार में कमी केवल शारीरिक कमजोरी के कारण है या हृदय में रक्त का बहाव कहीं अटक रहा है. उच्च रक्तचाप, गलग्रंथि (Thyroid) तथा और भी अनेक बीमारियों का पता इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम से चल जाता है.

इस सदी के सातवें दशक में बहुत से बड़े अस्पतालों में कंप्यूटर से चलने वाले विद्युतहृदयलेखो (ECG) प्रचलित हो गए हैं. इनसे सीधे स्पष्ट रूप से हृदय से संबंधित, असामान्यताओं और गड़बड़ियों या रोगों का पता चल जाता है. हृदय से संबंधित असामान्यताओं का पता लगाने के लिए आजकल और भी सूक्ष्म और वैज्ञानिक रूप से आगे बढ़ी हुई परीक्षाएं (Test) जैसे ट्रेड मिल टैस्ट, हॉल्टर, थेलियम, स्ट्रेस टैस्ट आदि होती हैं, इको कार्डियोग्राफी (Echocardiography) को भी हदय रोगों का पता लगाने की एक महत्वपूर्ण विधि माना जाता है.

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