Tuesday, 17 September

हृदय शरीर का एक बहुत हो महत्वपूर्ण अंग है. यह पूरे शरीर में खून पहुंचाता है. जब इसका बायां निलय (Ventricle) सिकुड़ता है, तो रक्त इससे धमनियों में जाना शुरू करता है. रक्त के दबाव के कारण धमनियां फैल जाती हैं.

इन धमनियों के आंतरिक आवरण में पेशियां होती हैं, जो इस दबाव को रोकती हैं. इस तरह रक्त इनमें से दबकर छोटी नाड़ियों में जाता है. रक्त द्वारा धमनियों की दीवारों पर डाले गए दबाव को ही रक्त-चाप या ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) कहते हैं. रक्त-दाब की मात्रा हृदय की शक्ति, प्रणाली में रक्त की मात्रा और धमनियों की हालत पर निर्भर करती है.

यह दबाव दो प्रकार का होता है- अधिकतम और न्यूनतम. अधिकतम दबाव तब होता है, जब बायां निलय सिकुड़ता है. इसे प्रकुंचक (Systolic) दाब कहते हैं. इसके फौरन बाद हृदय के धड़कने के समय न्यूनतम दबाव होता है. इसे संप्रसारण (Diastolic) दाब कहते हैं.

डॉक्टर रक्त-चाप को एक ऐसे यंत्र से मापता है, जिसमें पारा दाब के बढ़ने घटने के साथ-साथ उठता- गिरता है. इस यंत्र पर मिलीमीटर में निशान लगे होते हैं. किसी भी स्वस्थ व्यक्ति का औसत प्रकुंचक दबाव 120 मिमी. और संप्रसारण दबाव लगभग 80 मिमी. होता है. इन अंकों को 120/80 लिखा जाता है. यूरोपिन गाइडलाइन में ब्लड प्रेशर की सामान्य रेंज 140/90 है.

रक्त-चाप उम्र के साथ-साथ बढ़ता जाता है, क्योंकि उम्र के साथ धमनियों का लचीलापन कम होता जाता है. किसी प्रकार का भय या आशंका या अधिक व्यायाम भी रक्त-चाप को अस्थायी तौर पर बढ़ा देता है. अनेक बीमारियां भी इसे बढ़ाती हैं. कोई भी व्यक्ति अति रक्त-चाप का रोगी माना जाता है, यदि उसका अधिकतम दाव 100 जमा उसकी उम्र के ऊपर निकल जाए या संप्रसारण दबाव 100 से ऊपर निकल जाए, उच्च रक्त-चाप हृदय की गति को बंद कर सकता है. इससे रक्तसंघात हो सकता है. यह गुर्दों की बीमारी भी पैदा कर सकता है.

असामान्य तौर पर निम्न रक्त-चाप तब होता है, जब या तो दिल का दौरा पड़े या किसी चोट वगैरह के कारण आदमी के शरीर में से बहुत अधिक मात्रा में खून निकल जाए. जब रक्त-चाप बहुत गिर जाता है, तो दिमाग और शरीर के अन्य अंगों में आक्सीजन कम मात्रा में पहुंचती है. इससे व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है. डॉक्टर इस समय ऐसी दवाइयां देते हैं, जो धमनियों में सिकुड़ाव पैदा कर सकें, जिससे रक्त-चाप बढ़ जाए.

उच्च रक्त-चाप धमनियों की बनावट के कारण भी हो सकता है. यह दोनों या एक गुर्दे के फेल हो जाने के कारण भी होता है, जिससे शरीर में रेनिन (Renin) नाम का पदार्थ बढ़ जाता है. मोटापा और आवश्यक व्यायाम न करने से भी उच्च रक्तचाप हो जाता है. उच्च रक्त- चाप से हृदय-गति तो रुक ही सकती है, आंख या दिमाग की कोई धमनी भी इससे फट सकती है, जिससे आदमी अंधा हो सकता है. इससे ब्रेन हैमरेज (Brain Haemorrhage) भी हो जाता है, जिससे व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है.

किसी भी व्यक्ति को इस बीमारी में किसी अच्छे डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और समुचित इलाज कराना चाहिए.

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