Sunday, 8 September

समय को व्यक्त करने के लिए हम सभी ए.एम. और पी.एम. (A.M. & P.M.) शब्दों का प्रयोग करते हैं. ए. एम. दोपहर से पहले और पी.एम. दोपहर के बाद के समय के लिए प्रयोग किया जाता है.

ए.एम. और पी.एम. अर्थ और इनका प्रयोग

हम जानते हैं कि अपनी धुरी पर धरती के घूमने के कारण दिन और रात होते हैं. घूमने में धरती का जो भाग सूर्य के सामने आता है, वहां दिन होता है और शेष भाग में रात होती है. जब सूर्य पूर्व में उदय होता है, तो दिन की शुरुआत होती है और सूर्य के पश्चिम में छिपने के साथ ही दिन का अंत हो जाता है. जब सूरज ठीक हमारे सिर के ऊपर होता है, तो हम कहते हैं कि दोपहर हो गई है.

प्राचीन काल में मनुष्य सूर्य की विभिन्न स्थितियों से समय का पता लगाता था. रात्रि में समय का ज्ञान प्राप्त करने के लिए वह तारों की मदद लेता था. सूर्य की स्थिति से ही ए. एम. और पी.एम. शब्दों की उत्पत्ति हुई, दोपहर के समय जब सूर्य ठीक हमारे सिर के ऊपर होता है, हम उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर आकाश में एक काल्पनिक रेखा की कल्पना करते हैं. इस रेखा को मेरीडिअन (Meridian) कहते हैं. जब सूर्य इस रेखा पर होता है, तब दोपहर का समय होता है. जब सूर्य इस रेखा से पूर्व की ओर होता है, तब दोपहर से पहले का समय अर्थात् सुबह का समय होता है और जब सूर्य इस रेखा से पश्चिम की ओर चला जाता है, तो दोपहर बाद का समय हो जाता है.

लेटिन भाषा में मेरीडीज (Meridies) से मेरीडिअन शब्द बना, जिसका अर्थ है दिन का मध्य यानी दोपहर ए.एम. शब्द एंटी मेरीडिअन (Anti Meridian) का संक्षिप्त रूप है. इसी प्रकार जब सूरज मेरीडिअन के पश्चिम की ओर जाता है, तब पी. एम. शब्द प्रयोग में लाया जाता है, जो पोस्ट मेरीडिअन (Post Meridian) का संक्षिप्त रूप है.

इस प्रकार दिन के 12 बजे के बाद रात के 12 बजे तक के समय के लिए पी. एम. का प्रयोग किया जाता है. रात के 12 बजे के बाद दिन के 12 बजे तक के समय के लिए ए.एम. प्रयोग होता है.

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