बिलियर्ड्स खेल को कैसे खेला जाता है ?
बिलियर्ड्स का खेल तीन गेंदों (जिनमें दो सफेद तथा एक लाल) के साथ मेज पर खेला जाता है. खिलाड़ी का उद्देश्य दो गेंदों को एक सफेद गेंद से मारना होता है. इसे कैरम (Carom) कहते हैं. एक कैरम एक अंक देता है.
यह खेल मेज पर खेला जाता है, जिसकी लंबाई 10 फुट (305 सेमी.) चौड़ाई 5 फुट (152 सेमी.) और ऊंचाई 2 फुट 7 इंच (78.8 सेमी) होती है. इस मेज पर तीन निशान-मेज को बराबर-बराबर हिस्सों में बांटते हुए लगे होते हैं. इन निशानों को खिलाड़ी की तरफ से 1,2,3 कहा जा सकता है,
बिलियर्ड्स खेल शुरू होने से पहले खिलाड़ी एक सफेद गेंद चुनता है, जिसे वह स्टिक से स्ट्राइक करता हुआ पूरा खेल खेलता है. लाल गेंद को तीसरे निशान में और सफेद को पहले निशान में डालना होता है और पहला खिलाड़ी सफेद गेंद को छः इंचों के अंदर दोनों तरफ सफेद गेंद जो कि उसका उद्देश्य है, पर सीधा मारता है. जो सफेद गेंद खिलाड़ी शुरू चुनता है, पहले निशाने में लाल गेंद से टकरानी चाहिए, आगामी निशाने में लाल या सफेद गेंद पहली गेंद से टकरानी चाहिए, यदि खिलाड़ी ऐसा नहीं कर पाता तो दूसरा विरोधी उसके द्वारा छोड़ी गई गेंदों पर खेलता है.
यदि चुनी हुई गेंद मेज से बाहर आ जाती है, तो निशाना लगाने वाला एक अंक हार जाता है. इसके बाद गेंद दुबारा मेज पर रख दी जाती है और विरोधी खेल खेलता है. जिस गेंद का निशाना बनाया जाता है, यदि वह मेज छोड़ती है, तो खिलाड़ी को सिर्फ अपना नंबर खोना पड़ता है. यदि गेंद के मेज छोड़ने से पहले स्कोर बन गया हो, तो खिलाड़ी अपना खेल जारी रखता है. यदि सारी गेंदें मेज से बाहर आ जाती हैं, तो एक फाउल हो जाता है और खिलाड़ी को एक अंक तथा अपना नंबर खोना पड़ता है. गेंदों को फिर से मेज पर पहले की भांति लगा दिया जाता है और विरोधी निशाने लगाता है.
बिलियर्ड्स खेल में भारत ने पूरे विश्व में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है. भारत के गीत सेठी, माइकेल फेरेरा की गिनती विश्व के प्रसिद्ध खिलाड़ियों में की जाती है.
बिलियर्ड्स का सबसे पुराना उल्लेख फ्रांस में सन् 1429 में मिलता है. फ्रांस के राजा लुई XI (Louis- XI) के बारे में कहा जाता है कि उसके पास सन् 1461 से 1483 तक बिलियर्ड्स की मेज रही और वह इस खेल को खेला करता था. 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में पहला सार्वजनिक विलियर्ड्स रूम, इंग्लैंड, के लंदन नगर में ‘पियाता कोन्वेन्ट गार्डन’ (Piazza Convent Garden) था. अंग्रेजी में बिलियर्ड्स का प्रथम उल्लेख चार्ल्स कॉटन की सन् 1674 में प्रकाशित पुस्तक कंपलीट गेमस्टर (Complete Gamester) में पहली बार इस खेल का उल्लेख हुआ था. लगभग सन् 1800 तक ने बहुत कुछ आधुनिक रूप ले लिया था. इस खेल पर लिखी गई प्रथम पुस्तक सन् 1807 में प्रकाशित हुई. सन् 1807 में वर्ड प्रोफेशनल चैम्पियनशिप (Word Proffesional Championship) की स्थापना हुई. इसमें खिलाड़ियों की चुनौतियों के अनुसार उनकी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती थीं. सन् 1980 से इसे वार्षिक टूर्नामेंट के रूप में बदल दिया गया.
बिलियर्ड्स खेल का इतिहास
बिलियर्ड्स (Billiards) का खेल वास्तव में कब शुरू हुआ, यह ठीक से किसी को नहीं पता. कुछ प्रमाणों से यह पता चलता है कि ये खेल पहले मिस्र में खेला जाता था और ईसा से लगभग 400 वर्ष पूर्व यूनान के लोग इस खेल को जानते थे.
पुराने प्रमाणों के आधार पर फ्रांस के राजा लुई XI (1461-1483) के पास बिलियर्ड्स की एक सार्वजनिक मेज थी. 19वीं शताब्दी के शुरू में इंग्लैंड के पिआजा, कौवेंट बाग तथा लंदन में बिलियर्ड्स के सार्वजनिक- कक्ष का रिकॉर्ड मिलता है.
इस खेल का वर्णन चार्ल्स काटन द्वारा लिखी किताब ‘कंपलीट गेम्सस्टर’ में मिलता है, जो कि सन् 1674 में प्रकाशित हुई.
लगभग सन् 1800 में इस खेल ने एक नया रूप ले लिया. सन् 1807 में बिलियर्ड्स पर अंग्रेजी में एक पुस्तक इंग्लैंड में प्रकाशित हुई. इसमें विलियर्ड्स का लगभग ऐसा वर्णन है, जैसा कि आज हम खेलते हैं.