Sunday, 8 September

पोलारॉयड कैमरा (polaroid camera) एक ऐसा कैमरा है, जो मिनट भर किसी भी वस्तु का फोटो तैयार कर देता है. इससे साथ के साथ ही पोजिटिव प्रिंट तैयार हो जाते हैं. इसका आविष्कार अमेरिका के एडविन एच लैंड ने किया था. पहला कैमरा बाजार में बिकने के लिए सन् 1948 में आया. इस समय इससे केवल श्वेत और काले (Black and White) फोटो ही खींचे जा सकते थे. बाद में ऐसे कैमरे भी विकसित हो गए, जिनसे रंगीन चित्र भी खींचे जा सकते हैं.

पोलारॉयड कैमरा की रील यानी फिल्म दोहरी होती है. इसका एक हिस्सा नेगेटिव बनाने का काम करता है, तथा दूसरा हिस्सा पोजिटिव प्रिंट बनाता है. प्रिंट बनाने वाले रोल के साथ रसायनों से भरी कुछ छोटी-छोटी थैलियां लगी रहती हैं. जब फिल्म पर फोटो खींच लिया जाता है, तो इसे दो बेलनों के बीच दबाकर खींचा जाता है. इससे रसायन पदार्थों से भरी थैलियां फट जाती हैं. इन रासायनिक पदार्थों की क्रिया द्वारा ही नेगेटिव विकसित हो जाता है. नेगेटिव में चित्र के काले भाग सफेद और सफेद भाग काले दिखाई देते हैं. कुछ और रासायनिक क्रियाओं द्वारा पोजिटिव रोल पर नेगेटिव से प्रिंट बन जाता है. प्रिंट में वस्तु के सभी भाग मूल रूप में आ जाते हैं. ये सभी क्रियाएं अपने आप संपन्न हो जाती हैं. इन क्रियाओं में श्वेत और काला चित्र बनाने में लगभग 10 सेकेंड का समय लगता है, तथा रंगीन चित्र तैयार करने में लगभग एक मिनट का समय लगता है.

जब फिल्म पर प्रकाश पड़ता है, तो चांदी के लवण धातु चांदी में परिवर्तित हो जाते हैं. जब चित्र खिंच जाता है, तो रसायनों द्वारा फिल्म पर लगे पदार्थ धुल जाते हैं. इनकी क्रिया द्वारा चित्र स्थायी हो जाता है. रसायन अपनी क्रिया करते ही रहते हैं और वे पोजिटिव प्रिंट वाले कागज पर प्रिंट बना देते हैं. इस प्रकार वस्तु का सच्चा चित्र प्राप्त हो जाता है.

सन् 1972 में लैंड महोदय ने इस कैमरा का छोटा मॉडल तैयार किया, जिसे कहीं पर भी आसानी से लाया ले जाया जा सकता है. इसमें बहुत से इलेक्ट्रोनिक परिपथ हैं, जो कैमरे के सभी कार्यकलाप स्वचालित ढंग से करते रहते हैं. जैसे ही इस कैमरे में शटर को दबाते हैं, उसके एक सेकेंड बाद कैमरे से चित्र प्राप्त हो जाता है. यह चित्र रोशनी में थोड़े ही समय में रंगीन चित्र में बदल जाता है.

सन् 1978 में लैंड ने पोलरविजन नामक मूवी कैमरा बनाया, जिसके द्वारा किसी भी घटना की मूवी क्षण-भर में तैयार की जा सकती है. इस पद्धति द्वारा मूवी लेने के कुछ मिनटों बाद उसे प्रोजेक्टर द्वारा दिखाया जा सकता है. आजकल पोलारॉयड कैमरे का उपयोग वैज्ञानिक और व्यापारिक क्षेत्रों में भी किया जाने लगा है.

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