Sunday, 8 September

कुत्ता मनुष्य का बहुत ही वफादार दोस्त माना जाता है. शायद मानव ने इस जानवर को ही सबसे पहले पालना किया था. यह जानवर हमारे लिए बहुत ही उपयोगी है, लेकिन कुछ स्थितियों में यह के लिए बहुत ही घातक सिद्ध हो सकता है. मनुष्य को काटकर यह कई प्रकार के बैक्टीरिया, वायरस, पैरासाइट तथा फंगस से फैलने वाले रोंगों का निमित्त बना सकता है.

कुत्ते के काटने से बहुत से बैक्टीरिया हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जिनसे क्षय रोग, स्पलेनिक फोवर, स्कारलेट फीवर, डिप्थीरिया आदि भयंकर रोग पैदा हो सकते हैं. कुत्तों के साथ सैलमोनेला एंटरिटिडिस तथा टाइफिनुरियम पैथोजन नामक कीटाणु होते हैं, जो गैस रोग तथा टाइफाइड फैलाते हैं. कुत्ते दूसरे जानवरों के साथ दाद जैसे फंगस जनित रोग भी फैला हैं.

कुत्ते के काटने से फैले हुए विषाणुओं से रेबीज नामक भयंकर रोग हो जाता है. रेबीज के विषाणु पागल कुत्ते की लार में होते हैं. कभी-कभी पालतू कुत्ते के काटने से भी यह रोग हो सकता है. अतः यह जरूरी है कि हर तीन साल बाद पालतू कुत्ते के ऐंटीरेबीज इंजेक्शन लगवा देना चाहिए, पालतू कुत्तों को टी बी, (Scarlet Fever), खसरा, और कंठमाला (Mumps) के रोगियों से दूर रखना चाहिए वरना ये बीमारियां उनके द्वारा परिवार के दूसरे लोगों को हो सकती हैं.

कुत्तों को कभी-कभी खसरा और कनफेड़े हो जाते हैं. कुत्तों द्वारा ये रोग मनुष्य को भी हो सकते हैं.

कुत्ते के अंदर रिकेटसिया पल सकते हैं, जिनसे टिक बार्न फीवर हो जाता है. कुत्ते से बहुत-सी छूत की बीमारियां भी फैलती हैं. यह प्रोटोजोआ, हेलमिंथिक तथा आर्थोपोड नाम के पैरासाइट मनुष्य में पहुंचा सकता है.

कुत्ते द्वारा छूत के अनेक रोग संपर्क या भोजन के दूषित होने से होते हैं. चूंकि बच्चे कुत्तों के साथ खेलना बहुत अधिक पसंद करते हैं, इसलिए उन्हें छूत के रोग होने की अधिक संभावना रहती है.

कुत्तों से फैलने वाले रोगों की रोकथाम के लिए उन्हें एंटीरेबीज इंजेक्शन तथा कीटाणु विनाशक औषधियां देना बहुत जरूरी है. पालतू कुत्तों को क्षय, स्कारलेट फीवर, खसरा तथा कनफेड़े के रोगियों से दूर रखना अति आवश्यक है. कुत्ते इन रोगियों के कमरों तक में से इनफेक्शन प्राप्त करके दूसरे मनुष्यों में फैला सकते हैं.

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