Sunday, 8 September

उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति

हिमालय की तलहटी में बसा उत्तराखण्ड राज्य मध्य हिमालय में 29°5 से 31° 25′ उत्तरी अक्षांश एवं 77° 45′ से 81° पूर्वी देशान्तर के बीच स्थित है। राज्य की अंतरराष्ट्रीय सीमा चीन अधिकृत तिब्बत एवं नेपाल से लगी हुई है। इसकी सीमा पूर्व में काली नदी के पश्चिमी तट से शुरू होकर पश्चिम में टोंस नदी के पूर्वी तट तक, उत्तर में तिब्बत की दक्षिणी ढलान से लेकर शिवालिका पर्वत श्रृंखला की तराई तक फैली हुई है।

 राज्य को तीन उप प्रदेशों में बांट सकते हैं-

  1. हिमाद्रि (Himadri)– इसका निर्माण ऊपरी क्रिटेशस के परी इयोसीन काल में हुआ। इस क्षेत्र की धरातल से औसत ऊंचाई 4,500 से मीटर है। यहां की सर्वोच्च चोटी नंदा देवी 7,817 मीटर ऊंची है। 
  2. निम्न हिमालय क्षेत्र– करीब 75 किमी चौड़ी इस पट्टी की औसत ऊंचाई 1,500 से 2,700 मीटर तक है। इसमें बलित एवं कार्याांतरित शैलों से निर्मित पर्वत श्रेणियां एवं गहरी घाटियां स्थित हैं। इन श्रेणियों की ढालों पर घास के छोटे-छोटे मैदान स्थित है, जिन्हें बुग्याल व पयार कहते हैं।
  3. शिवालिक क्षेत्र (Shivalik region)– शिवालिक की ‘निम्न श्रेणियां 750 से 1,200 मीटर ऊंची है। इनकी उत्तरी ढाल सघन वनों से ढकी है। देहरा कोतरी, चौखम्भा पट्टी व कोटा यहां की प्रसिद्ध पाया है। उत्तराखंड राज्य का 87 प्रतिशत भू-भाग पर्वतीय है। यहां प्राकृतिक स्पति जैव विविधता, बर्फीले दरें, ग्लेशियर है। नंदादेवी (चमोली), कामेत (चमोली), माणा (चमोली), चौखम्भा (चमोली) बंदरपूछ (उत्तरकाशी), नंदाकोट (बारेश्वर) और पंचचूली (पिथौरागढ़़) पर्वत श्रेणियां हैं। राज्य में गंगा, भागीरथी अलकनंदा, मंदाकिनी, खोह, कालीनदी, यमुना, डबका निहाल प्रमुख नदियां हैं। गंगोत्री, सोना, यमुनोत्री, मिलान, पिण्डारी, बालिंग, पोटिंग मुख्य हिमनद हैं।

उत्तराखंड की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

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जानिए उत्तराखंड के बारे में 4

उत्तराखण्ड का उल्लेख प्राचीन हिन्दू धर्मग्रंथों केदारखंड व मानसखंड में हुआ है। पुरातन काल से ही यह क्षेत्र देव भूमि के रूप में जाना जाता है। यह भूमि देवगणों, ऋषि मुनियों की तपोस्थली रही है। यहां राजा भरत की जन्मस्थली भी है। इसी स्थल को पुराणों में मानस केदारखण्ड एवं कूमचल नाम दिया गया है। इस क्षेत्र पर कुषाणों, कुनिदों, कनिष्क, समुद्रगुप्त, पौरवों, कत्यूरियों, पालों, चंद्रों, पंवारों और ब्रिटिश शासकों ने समय-समय पर शासन किया।

वर्तमान उत्तराखण्ड पहले आगरा एवं अवध संयुक्त प्रांत का भाग था। 1935 में इसे संक्षेप में केवल संयुक्त प्रांत कहा जाने लगा तथा जनवरी, 1950 में इसका नाम उत्तर प्रदेश रखा गया। पृथक उत्तराखण्ड की मांग को लेकर हुए आन्दोलन में दर्जनों लोग मौत के मुंह में गए। उत्तराखण्ड राज्य के गठन के लिए ‘उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक’ लोकसभा में 27 जुलाई, 2000 को प्रस्तुत किया गया। उत्तराखण्ड का औपचारिक गठन 9 नवम्बर, 2000 को किया गया। तब इसका नाम उत्तरांचल था।

उत्तराखंड की आर्थिक स्थिति

प्रदेश में पहाड़ी ढालों पर सीढ़ीनुमा कृषि की जाती है। प्रमुख खाद्यान्न मोटे अनाज हैं। यहां ज्वार, बाजरा, चावल, गेहूं, जौ की खेती की जाती है। यहां चाय- गढ़वाल, नैनीताल, अल्मोड़ा व देहरादून, चावल- देहरादून, नीबू- अल्मोड़ा एवं नैनीताल, सेब- नैनीताल व अल्मोड़ा में पैदा किए जाते हैं। प्रदेश में चीनी, वस्त्र, बल्ब, चाय, कागज, लुग्दी, वैज्ञानिक उपकरण, लकड़ी चिराई आदि उद्योग लगे हुए हैं। यहां पर जिप्सम, चूना पत्थर, मैग्नेसाइट, सोपस्टोन, तांबा, बेराइट्स, डोलोमाइट, फॉरस्फोराइट एवं संगमरमर खनिज प्रचुर मात्रा में मिलते हैं।

उत्तराखंड राज्य का परिवहन

प्रदेश में सड़कों की कुल लम्बाई 33,547 कि.मी. है। राष्ट्रीय राजमार्ग 1,991 किमी. है। रेल लाइन की लम्बाई 345 किमी. है, जिसमें ब्रॉडगेज 284 और मीटर गेज 61 किमी. है। मुख्य रेलवे स्टेशन देहरादून, हरिद्वार, रूड़की, कोटद्वार, काशीपुर, हल्द्वानी, उधमसिंह नगर, रामनगर एवं काठगोदाम है। जौली ग्रांट (देहरादून) और पंतनगर (ऊधमसिंह नगर) में हवाई पट्टियां हैं। नैनी-सैनी (पिथौरागढ़), गौचर (चमोली) और चिनयालिसौर (उत्तरकाशी) में हवाई पट्टियां बनाई जा रही हैं।

उत्तराखंड के त्योहार

उत्तराखण्ड में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहार है- बसंत पंचमी, भिटौली, हरेला, फूल देवी, वटसावित्री, गंगा दशहरा, घी संक्रांति, कुमाऊं होली आदि। विश्व प्रसिद्ध कुंभ मेला/अर्द्ध कुंभ मेला हरिद्वार में प्रति बारहवें/छठे वर्ष के अंतराल में मनाया जाता है। अन्य प्रमुख मेलों में देवीधुरा मेला (चंपावत), पूर्णागिरि मेला (चंपावत), नंदा देवी मेला (अल्मोड़ा), गौचर मेला (चमोली), बैसाखी (उत्तरकाशी), माघ मेला (उत्तरकाशी), उत्तरायणी मेला (बागेश्वर), विशु मेला (जौनसार बावर), पीरान कलियार (रूड़की) आदि शामिल हैं।

उत्तराखंड के पर्यटन स्थल

हरिद्वार

हरिद्वार (Haridwar)

हरिद्वार यानी ‘हरि का द्वार’। हिन्दुओं इस प्रसिद्ध तीर्थस्थल में रोजाना हजारों श्रद्धालु आते हैं। पावन गंगा नदी के किनारे बसे इस नगर का सौंदर्य यहां बने घाटों पर स्नान करते श्रद्धालुओं से है। यहां 12 साल बाद कुम्भ व 6 साल बाद अर्द्धकुम्भ का मेला लगता है। इसमें देश के दूर-दराज स्थानों से भक्तगण गंगास्नान कर पुण्य कमाते हैं। यहां के दर्शनीय स्थलों में हर की पौड़ी, चंडीदेवी का मंदिर, भारत माता मंदिर, मनसा देवी मंदिर आदि हैं। मनसा देवी व चंडी देवी मंदिर जाने के लिए रोप-वे बनाया गया है, जो यहां आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। मसूरी प्रकृति के मनमोहक दृश्य यदि देखने हैं तो मसूरी बेहतरीन पर्यटक स्थल है। ‘पर्वतों की रानी’ के नाम से मशहूर मसूरी एक ओर जहां विशाल हिमालय की चमचमाती बर्फीली श्रृंखलाओं का सुंदर नजारा दिखाती है, वहीं दूसरी ओर दून घाटी में बिखरी पड़ी प्रकृति की अद्भुत ‘सुंदरता पर्यटकों का मन मोह लेती है। नवयुगल दम्पती यहां हनीमून मनाने आते हैं और यहां की सुनहरी यादों को जीवनभर सहेज कर रखते हैं। यहां के पर्यटन स्थलों में गनहिल, कैम्पटी फॉल, म्युनिसिपल गार्डन, चाइल्डर्स लॉज, कैमल्स बैक रोड, मसूरी झील, लेकमिस्ट, झडीपानी फॉल आदि हैं।

बद्रीनाथ

हिंदुओं की चारधाम यात्रा बद्रीनाथ की यात्रा के बिना अधूरी है। प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद उठाने वाले देशी तथा विदेशी पर्यटकों की भारी संख्या हर साल बद्रीनाथ आती है। यहां पहुंचने का मार्ग दुर्गम होने केे बावजूद पर्यटकों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। बद्रीनाथ की घाटी में प्रवेश करते ही नीलकंठ पर्वत की श्रृंखलाएं दिखाई देती हैं। यहां के दर्शनीय स्थलों में भीमपुल, वसुधारा, पांडुकेसर व हनुमान चट्टी आदि हैं। उत्तराखण्ड में कई अन्य पर्यटक स्थल भी हैं। इनमें ऋषिकेश, औली, गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, देहरादून, फूलों की घाटी, अलमोड़ा, रानीखेत, कौसानी व पिथौरागढ़ शामिल हैं।

नैनीताल

चारों ओर पर्वत श्रृंखलाओं से घिरी सरोवर नगरी नैनीताल को आधुनिक सैरगाह के रूप में विकसित करने का श्रेय अंग्रेजों को जाता है। नैनीताल के आसपास भीमताल, सातताल, नौकुचियाताल आदि कई पर्यटक स्थल हैं। इसके अलावा नैनीपीक, स्नोव्यू, हनुमानगढ़ी, नैनामंदिर आदि पर्यटक स्थल भी प्रसिद्ध हैं।

केदारनाथ

केदारनाथ मंदिर (Kedarnath temple)

केदारनाथ मन्दिर उत्तराखंड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह शिव का रुद्ररूप केेेेेे दर्शन मिलतेे हैं। इसलिए जिलेे को रूद्ररप्रयाग दिया गया। विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ मन्दिर में स्थित शिवलिंग बारह ज्योतिर्लिंग में से एक है। यह मंदिर महाभारत कालीन है। मंदिर तीनों ओर केदारनाथ, खर्चकुंड और भरतकुंड पहाड़ियों से घिरा हुआ है।

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