Sunday, 8 September

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

मराठों एवं पुर्तगालियों के मध्य लम्बे संघर्ष के बाद 17 दिसम्बर, 1779 को मराठा सरकार ने मित्रता सुनिश्चित करने की खातिर इस प्रदेश के कुछ गांवों को 12,000 रुपए की राजस्व क्षतिपूर्ति के तौर पर पुर्तगालियों को सौंप दिया। इसे 2 अगस्त, 1954 में मुक्ति मिली। तब तक पुर्तगालियों ने शासन किया। 1954 से 1961 तक यह प्रदेश लगभग स्वतंत्र रूप से काम करता रहा, जिसे ‘स्वतंत्र दादरा एवं नगर हवेली प्रशासन ने चलाया। परन्तु 11 अगस्त, 1961 को यह राज्य भारतीय संघ में शामिल हो गया। तब से भारत सरकार, केन्द्र शासित प्रदेश के रूप में इसका प्रशासन चला रही है।

भौगोलिक एवं आर्थिक स्थिति

दादरा एवं नगर हवेली मुख्य रूप से ग्रामीण तथा जनजातीय क्षेत्र है। इसमें करीब 79 प्रतिशत आदिवासी लोग निवास करते हैं। गुजरात एवं महाराष्ट्र से घिरे इस क्षेत्र के दो अलग-अलग के हैं- दादरा एवं नगर हवेली। राज्य में चावल, गेहूं, रागी, गन्न लीची, दालें, आम, चीकू एवं केला मुख्य फसलें हैं। यहां सूती वस्त्र, इंजीनियरिंग का सामान, प्लास्टिक, इलेक्ट्रानिक सामान टेक्सटाइल का निर्माण मध्यम एवं लघु उद्योगों में होता है।

परिवहन

सड़क की कुल लंबाई 580 किमी. है। मुख्य रेलवे स्टेशन सिलवासा से 18 किमी. दूर वापी में है। राज्य में हवाई अड्डा नहीं  है।

पर्यटन स्थल

जानिए केन्द्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली के बारे में 1

राज्य में ताड़केश्वर शिव मंदिर, वृंदावन, खानवेल का हिरन पार्क, बाणगंगा झील, द्वीप उद्यान दादरा, वन विहार, लघु विहार, बाल उद्यान, दादरा के चारों ओर झील से घिरे पार्क सहित अन्य स्थल हैं। यहां काली पूजा, रक्षा बंधन, भावड़ा त्योहार मनाए जाते हैं।

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