पंजाब की भौगोलिक स्थिति
भौतिक दृष्टि से पंजाब को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है। [1] शिवालिक तराई की पट्टी, [2] सतलुज-घग्घर का मैदान, शिवालिक, धौलाघर, पीरपंजाल पर्वत हैं। यहां सिंधु, रावी, व्यास, सतलुज नदियां हैं।
पंजाब की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
पंजाब शब्द फारसी के दो शब्दों ‘पंज’ और ‘आब’ के साथ मिलकर बना है। पंज का मतलब है पांच और ‘आब’ का मतलब पानी है। इस प्रदेश पर यूनानी, मौर्य, कुषाण, शक, गुप्त सहित अनेक क्शा का शासन रहा। मध्यकाल में यह प्रदेश मुसलमानों के आधिपत्य में रहा। यहां गजनवी, गोरी, खिलजी, गुलाम, तुगलक, लोदी एवं मुगल वंशों का अधिकार रहा। पंजाब में 15वीं और 16वीं शताब्दी में गुरु नानक देव द्वारा सिख धर्म की स्थापना की गई और यहीं से सिख धर्म का उदय एवं विकास हुआ। गुरुनानक के बाद यहां नौ गुरु हुए। गुरु रामदास ने अमृतसर शहर बसाया। गुरु अर्जुन देव ने आदि ग्रंथ का संकलन किया। गुरु गोविन्द सिंह ने सिखों को सैनिक शिक्षा देना शुरू किया। अंग्रेजों और सिखों के बीच दो युद्धों के बाद 1849 में पंजाब प्रांत ब्रिटिश शासन के अधीन हो गया। भारत के बंटवारे के समय पंजाब राज्य दो भागों में बंट गया। पूर्वी पंजाब भारत के हिस्से में आया। पटियाला और पेप्सू दोनों को सम्मिलित करके पंजाब राज्य का गठन किया गया। 1 नवम्बर, 1966 को पंजाब को तीन इकाइयों में बांट दिया गया। पंजाब, में पंजाबी भाषा इलाके शामिल थे। हरियाणा, में हिन्दी भाषी जिले और खरड़ तहसील शामिल थी। चंडीगढ़ को इसकी राजधानी बनाया गया वहीं पहाड़ी इलाकों को हिमाचल प्रदेश में मिला दिया गया।
यह भी पढ़ें : जानिए सिक्किम के बारे में
पंजाब की आर्थिक स्थिति
कृषि पंजाब की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। भौगोलिक क्षेत्र के 86 प्रतिशत भाग पर खेती की जाती है। नदियों की अधिकता से यहां की भूमि उपजाऊ है। चावल और गेहू यहां की मुख्य फसल है। इसके अलावा मक्का, चना, दाल, गन्ना, तिलहन, आलू, मशरूम, शहद, मिर्च एवं कपास का उत्पादन भी किया जाता है। राज्य में ऑटो पार्ट्स, होजरी के वस्त्र, साइकिल, सर्जरी के सामान, खेल के सामान, वनस्पति तेल, ट्रैक्टर, रसायन, औषधि, मशीनी सामान, इलेक्ट्रॉनिक सामान का निर्माण किया जाता है।
पंजाब का परिवहन
राज्य में सड़कों की कुल लंबाई 61,530 किमी है। राष्ट्रीय राजमार्ग 1,557 किमी. है। पंजाब से होकर गुजरने वाले रेल मार्गों की कुल लंबाई 2,098 किमी. है। ब्रॉडगेज 2,086 व नैरोगेज 12 किमी. है। पटियाला, अमृतसर, जालंधर, अम्बाला, भटिण्डा मुख्य रेलवे स्टेशन हैं। यहां कुल चार नागरिक विमानन क्लब अमृतसर, लुधियाना, पटियाला और जालंधर में है। इसके अलावा चंडीगढ़ में एक घरेलू हवाई अड्डा है। राजासांसी [अमृतसर] में एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। पटियाला एवं साहनेवाल [लुधियाना में भी हवाई अड्डे हैं।
यह भी पढ़ें जानिए मिजोरम के बारे में
पंजाब के पर्यटन स्थल
अमृतसर
अमृतसर पानी अमृत का सरोवर। स्वर्ण मंदिर के कारण अमृतसर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। अमृतसर न केवल विश्व भर में रहने वाले सिखों का सर्वाधिक पवित्र तीर्थस्थल है बल्कि इसे सर्वधर्म सद्भाव व मानवता का प्रतीक भी माना जाता है।
अकाल तख्त– यह सिख गुरुओं के आसन के तौर पर इस्तेमाल होता था। समुदाय के लिए यहां से फरमान यानी नीतिगत निर्णय जारी होते हैं। जिनकी समुदाय में काफी मान्यता है।
जलियांवाला बाग– 13 अप्रैल 1919 को यहां ब्रिटिश जनरल डायर ने शांतिपूर्ण सभा कर रहे निहत्थे लोगों को गोलियों से भून डाला था। इन्हीं की याद में यह उद्यान बनाया गया।
दुर्गयाना मंदिर– यह मंदिर चारों ओर से सरोवर से घिरा है। इसके अलावा यहां बाबा अटल राय, खालसा कालेज, गुरुद्वारा शाहिदा आदि भवन देखने लायक हैं। स्वर्ण मंदिर-सोने और संगमरमर से जगमगाता स्वर्ण मंदिर यहां की शोभा है। मंदिर के कलशों व दीवारों पर सोना चढ़ा है। मंदिर परिसर में सेंट्रल सिख म्यूजियम है जहां अनेक कलाकृतियां व पेंटिंग सुरक्षित हैं। ये सिखों के इतिहास से संबंधित हैं।
वाघा बॉर्डर– वाघा बॉर्डर अमृतसर से तकरीबन 28 से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 1999 में अमन सेतु (श्रीनगर व मुजफ्फराबाद के बीच के सड़क मार्ग) के खुलने से पहले भारत-पाक के बीच की आवाजाही के लिए यहीं एकमात्र सड़क मार्ग था। यह आज भी रेल यातायात के लिए उपयोग किया जाता है। यहां से न केवल नागरिकों का आना-जाना बल्कि दोनों देशों के बीच का वस्तुओं का आयात-निर्यात भी होता है। विभाजन के दौरान इसी रास्ते से अधिकांश लोगों का विस्थापन हुआ था जिसके चलते इन स्थानों पर सर्वाधिक खून-खराबा हुआ था। इस बार्डर को एशिया की बर्लिन वॉल भी कहा जाता है।
पटियाला
इस शहर के महल और म्यूजियम काफी लोकप्रिय हैं। पटियाली जूतियां, कुत्ते और पायजामे, और तरह-तरह के डिजाइन कपड़े मशहूर हैं।
मोती बाग पैलेस– यह 19वीं शताब्दी का बना हुआ है। इसे लाहौर के प्रसिद्ध शालीमार गार्डन की तर्ज पर बनाया गया है। यहां आर्ट गैलेरी भी है। शीशमहल- यह महाराजा नरेंद्र सिंह के शासनकाल में बनवाया गया यहां गार्डन, फव्वारे और कृत्रिम झील पर्यटकों का मन मोह लेते हैं।