मिजोरम की भौगोलिक स्थिति
प्रदेश का मौसम वर्ष भर सुहावना रहता है। यहां गर्मी में ठण्डक एवं जाड़ों में अधिक सर्दी नहीं पड़ती है। मई से सितम्बर तक औसत वर्षा 254 सेमी. होती है। राज्य में लावंग, कोलोदिन, सोनी, कर्णफुली एवं बराक नदियां प्रमुख हैं। यहां का प्रमुख शिखर ब्लू पर्वत [2,165 मी.] है। यह प्रदेश भारत के सुदूर पूर्व में स्थित है। त्रिपुरा, असम और मणिपुर इसके उत्तर में स्थित हैं। पूर्व और दक्षिण में म्यांमार और पश्चिम में बांग्लादेश है।
मिजोरम की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
मिजोरम में प्राकृतिक सौंदर्य चहुंओर बिखरा हुआ है। यहां विभिन्न प्रजातियों के जीव एवं वनस्पतियां मिलती हैं। यह पहले असम का एक जिला था। 1871 में ब्रिटिश शासन के अधीन उत्तर का लुशाई पर्वतीय क्षेत्र असम और दक्षिणी भाग बंगाल के आधिपत्य में रहा। 1878 में इन दोनों भागों को मिलाकर एक जिला बनाया गया, जिसका नाम लुशाई हिल्स रखा गया। 1972 में पूर्वोत्तर क्षेत्र पुनर्गठन अधिनियम कानून लागू होने के बाद मिजोरम को केंद्र सरकार के अधीन केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया गया। भारत सरकार एवं मिजो नेशनल फ्रंट के बीच हुए एक सूलाह के अन्तर्गत 20 फरवरी, 1987 को मिजोरम को भारत का 23वां राज्य घोषित कर दिया गया।
मिजोरम की आर्थिक स्थिति
मिजोरम में लगभग सत्तर प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर हैं। चावल प्रमुख खाद्यान्न है। यहां मक्का, दालें मिर्च, तिलहन, गन्ना, अदरक, तम्बाकू, अनानास, पपीता उत्पादित किए जाते हैं। प्रदेश में हस्तकरघा, फर्नीचर, टी.वी. सेट, कृत्रिम रेशा, बसों-टीकों का ढांचा सहित अन्य वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। प्रदेश में सड़कों की कुल लम्बाई 5,075 किमी. है। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या- 54 [927 किमी.] मिजोरम से होकर गुजरता है। राज्य में सिर्फ दो किलोमीटर [मीटरगेज] रेल लाइन है। मुख्य रेलवे स्टेशन बैरावी है राज्य की राजधानी आइजोल विमान सेवा से जुड़ी है।
मिजोरम के पर्यटन स्थल
तामदिल, तवांग जलप्रपात, जवाहर आइजोल आदि यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। म्यांमार सीमा के पास चमफाई पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। समुद्र तल से लगभग 4,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित पर्वतीय नगर आइजोल’ मिजो लोगों का एक धार्मिक एवं सांस्कृतिक केन्द्र है। राज्य में वानतांग जलप्रपात सबसे ऊंचा जलप्रपात है।