केरल की भौगोलिक स्थिति
यह राज्य 8°14′ उत्तर से 12°48′ उत्तरी अक्षांश एवं 74°52′ से 78°22′ पूर्वी देशान्तरों के बीच स्थित है। पूर्व में ऊंचे पश्चिमी घाट और पश्चिम में अरब सागर के मध्य इस प्रदेश की चौड़ाई 35 से 120 किमी. तक है। राज्य की कुछ पर्वत चोटियां 6,000 फीट से ऊंची हैं। यहां अनाई मुडी [3,000 मी.] एवं अगस्त्य कुट्टम [2,044 मी.] प्रमुख पर्वत शिखर है। देवी कोलम व मूत्रार दरे हैं। राज्य में समुद्र तट की लंबाई 585 किमी. है। प्रदेश की सीमा उत्तर में कर्नाटक, पूर्व में तमिलनाडु तथा शेष दिशाएं हिन्द महासागर से घिरी हैं। यहां वेम्बनाड एवं शष्ठामकोट्टा प्रमुख झीलें हैं। चालाकुड़ी, पेरियार, पाम्बा एवं मनीमाला सहित 44 नदियां [41 पश्चिम की ओर एवं तीन पूर्व की ओर बहने वाली] हैं।
केरल की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
राज्य का इतिहास पुरानी परम्पराओं व नए मूल्यों के मिश्रण और विलय की कहानी है। पौराणिक कथानुसार महर्षि परशुराम क्षत्रियों का विनाश करके अत्यन्त बेचैन मनःस्थिति में प्रायश्चित करने पहाड़ के शिखर पर पहुंचे और उन्होंने अपना परशु समुद्र में फेंक दिया। जहां परशु गिरा, वहीं गोकर्ण से कन्याकुमारी के बीच] पर अर्द्धचंद्र आकार का भू-भाग सागर से उदित हुआ। राज्य पुनर्गठन अधिनियम-1956 के अनुसार त्रावणकोर कोचीन राज्य [तिरुवनंतपुरम जिले के 4 क्षेत्रों और क्विलोन जिले के शेनकट्टा क्षेत्र को छोड़कर] केरल प्रांत बना।
यहां की आर्थिक स्थिति
राज्य में नकदी एवं व्यापारिक फसलें अधिक उगाई जाती हैं। यहां चावल, टेपियोको, नारियल, काजू, तिलहन, गाना, खड़ी, मिर्च, चाय, कॉफी, कोको एवं इलायची उत्पादित की जाती है। इसके साथ ही यहां केला, अदरक, हल्दी, दालचीनी, लौंग, आम, कटहल, अनानास का भी बहुतायत में उत्पादन होता है। प्रदेश में नारियल जटा, रबड़, चाय, काजू, टाइल्स, तेल, इलेक्ट्रानिक्स, कपड़े, रेयान, सीमेंट, सीसा, माचिस, रसायन, उर्वरक, जस्ता, मशीनी औजार, पेट्रोलियम पदार्थ, पेंट, लुगदी, उर्वरक, अखबारी कागज सहित अन्य उद्योग है। इसके साथ ही देश में नारियल जटा से बने उत्पादों का 90 प्रतिशत निर्माण राज्य में किया जाता है। केरल में इल्मेनाइट, स्टल, मोनाजाइट, जिरकॉन, सिल्लीमेनाइट, चिकनी मिट्टी, रुटाइल, अभ्रक, ग्रेफाइट, चूना पत्थर, लिग्नाइट जैसे खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
राज्य का परिवहन
केरल में सड़क मार्गों की लंबाई 1,50,851 किमी. है। राष्ट्रीय राजमार्ग 1,440 किमी. है। रेल लाइनों की कुल लंबाई 1,050 किमी. है, जिसमें ब्रॉडगेज 933 और मीटर गेज 117 है। यहां तिरुवनंतपुरम, कोच्चि और कोझीकोड प्रमुख हवाई अड्डे हैं। मोजेश्वरम, नीलेश्वरम, कायमकुलम एवं मनाक्कोडम चार नए छोटे बंदरगाह हैं। 1997 में ही इसके सभी गांवों में टेलीफोन एसटीडी की सुविधा उपलब्ध हो गई थी। वहीं इसके कोट्टायम जिले के सभी तालूका कार्यालयों में कम्प्यूटर लगा दिए गए थे। सभी जिलों को भी कम्प्यूटर से जोड़ दिया गया है।
केरल के पर्यटन स्थल
केरला आयुर्वेद परम्परा अत्यन्त प्राचीन एवं समृद्ध है। पंचकर्म चिकित्सा’ जो कि पुनर्योवन चिकित्सा कहलाती है, इसके लिए सैकड़ों विदेशी पर्यटक प्रतिवर्ष केरल आते हैं।
दुनिया के कुछ साफ-सुथरे और शानदार समुद्री तट, रग-रग में स्फूर्ति का संचार पैदा करने वाला आयुर्वेद,समृद्ध कला और रंगारंग उत्सव और इसके अतिरिक्त लजीज व्यंजनों ने केरल को दुनिया भर के प्रकृति के चहेते पर्यटकों का आकर्षण का केन्द्र बना दिया है। नेशनल ज्योग्राफिक ट्रेवलर ने इसे दुनिया की 10 जन्नतों में शुमार किया है। 585 किलोमीटर लम्बी समुद्री सीमा वाले इस राज्य के 14 में से 11 जिलों में ऐसे नयनाभिराम समुद्री तट हैं, जो प्रकृति के आनंद का भरपूर अनुभव कराते हैं। इन शानदार समुद्री तटों के अलावा मन को बाग-बाग कर देने वाले अनेक पर्वतीय पर्यटन स्थल भी हैं, जहां की हवा आपको चाय और मसालों की खुशबू से सराबोर कर देती है।
तिरुवनंतपुरम
केरल प्रदेश की राजधानी तिरुवनंतपुरम प्राचीन काल में चेर राजाओं की राजधानी रहा। यह शहर पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है। यहां रमणीक घाटियां नारियल के पेड़ों की कतारें और हरे-भरे मैदान पर्यटकों का मन मोह लेते हैं।
वैली टूरिस्ट विलेज– यह एक लोकप्रिय पिकनिक मिल है। यहां झील और समुद्र के पानी का संगम होता है। पर्यटन नौकायन के साथ विभिन्न खेलों का आनंद लेते हैं।
कोवलम– शहर से 13 किलोमीटर दूर कोवलम बीच नैसर्गिक प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। चमकीली रेत और ऊंची-नीची पर्वत चोटियों वाला यह बीच पर्यटकों की पसंदीदा जगह है। भारतीय पर्यटन विकास निगम ने यहां एक रिसोर्ट भी बनाया है।
नैयर बांध– यहां पर्यटक झील में नौकायन का आनंद उठाते हैं। इसके अलावा पहाड़ पर भी ट्रेकिंग का मजा ले सकते हैं पद्मनाभ महल-यह राजसी शानोशौकत का प्रतीक अद्भुत दर्शनीय स्थल है। इस महल में नृत्य कक्ष एवं चित्र दीर्घा पर्यटकों का मन मोह लेते हैं। मुंबई- शहर से 61 किलोमीटर दूर स्थित यह पहाड़ी स्थल है। इसके चारों ओर रबड़ व चाय के बागान हैं गर्मियों में यह पर्यटकों के लिए स्वर्ग है।
पद्मास्वामी मंदिर-सात मंजिला यह मंदिर वास्तुशिल्प का अद्भुत नमूना है। मंदिर के स्तम्भों पर द्रविड़ शैली में की गई सुंदर नक्काशी एवं मोहक भित्ति-चित्र देखने लायक हैं। मंदिर के बाहर विशाल सरोवर में पर्यटकों के लिए आकर्षक स्नान करने का स्थल है।
कोच्चि
कोच्चि का पुराना नाम कोचीन है। यहां प्राकृतिक बंदरगाह है। इस शहर को विकसित करने में पुर्तगालियों, डचों, चीनियों, अरेबियनों और अंग्रेजों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। यहां के जन-जीवन पर सभी की संस्कृति, रहनसहन, पहनावे की अमिट छाप आज भी देखने को मिलती है।
बोलघाटी पैलेस-बालाघाट नामक टापू के नाम पर इस महल का नाम पड़ा है। इसे डचों ने बनवाया था। अब यहां केरल पर्यटन विकास संघ की होटल है।
चेराई बीच-धान के खेतों और नारियल के बगीचों से घिरा यह बीच केरल के मुख्य आकर्षणों में से एक है। यह मनोहर बीच तैराकी के लिए भी बहुत लुभावना स्थल है।
मट्टनचेरी पैलेस– इसे पुर्तगालियों ने बनवाया था इस महल की दीवारों पर रामायण, महाभारत, हिंदू धर्म से जुड़ी दंतकथाओं और वीर कथाओं के भित्तिचित्रों में शानदार नक्काशी द्वारा उकेरा गया है।
कुमारकोम
कोच्चि से 90 किलोमीटर दूर यह बैकवाटर डेजीनेशन लेक के किनारे स्थित है। कुमारकोम पक्षी विहार प्रवासी पक्षियों का सबसे पसंदीदा बसेरा है। यहां पर दुनियाभर के पक्षियों की आवाजाही लगी रहती है। कुमारकोम पर हाउसबोट से समुद्री यात्रा करने का लुत्फ भी उठाया जा सकता है।
पेरियार वन्यजीव अभयारण्य– यह केरल का प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान और बाघ संरक्षण केंद्र है। घुमावदार पहाड़ी, चाय और काली मिर्च के बागान पर्यटकों के स्वागत में खड़े प्रतीत होते हैं।