Sunday, 22 December

झारखंड की भौगोलिक स्थिति

राज्य 21°51’10” से 25°19’15” उत्तरी अक्षांश एवं 83°20*50″ से 88° 4’40” पूर्वी देशान्तर के बीच स्थित है। यह राज्य पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़, उत्तर में बिहार एवं दक्षिण में उड़ीसा से घिरा हुआ है। उत्तरी कोयल, दक्षिणी कोयल, फल्गु, सकरी, पंचाने, दामोदर, स्वर्ण रेखा, बराकर यहां की प्रमुख नदियां हैं। यहां रांची, पूर्व एवं पश्चिमी सिंहभूमि, हजारीबाग, गिरीडीह, पलामू सहित अनेक जिलों में जलप्रपात हैं।

झारखंड की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

इस क्षेत्र में ब्रिटिश शासन काल के दौरान [1895-1900] बाहरी दिकू प्रजाति के लोगों के विरुद्ध बिरसा मुंडा के नेतृत्व में एक महत्त्वपूर्ण आंदोलन हुआ। इसके कारण 1915 में छोटा नागपुर उन्नति समाज बनाया गया। इससे पूर्व 12 दिसम्बर, 1911 से पहले तक झारखण्ड बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा था। 2 अगस्त, 2000 को दक्षिण बिहार के 18 जिलों को मिलाकर बने झारखण्ड राज्य का विधेयक लोकसभा में ध्वनिमत से पारित होने के बाद 11 अगस्त, 2000 को इस विधेयक को राज्यसभा की मंजूरी मिली। इसके बाद 15 नवम्बर, 2000 से झारखंड राज्य बना।

झारखंड की आर्थिक स्थिति

यहां यूरेनियम, काइनाइट, तांबा, एस्बेस्टस, मैंगनीज, लोहा, क्रोमाइट, माइका, कोयला, लाइम स्टोन, सिलिका, एल्यूमीनियम, क्रोमाइट क्ले, बॉक्साइट, स्वर्ण, चांदी सहित अन्य खनिज पाए जाते हैं। यहां हैवी इंजीनियरिंग कारखाना रांची], स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया का बोकारो इस्पात, हिन्दुस्तान कॉपर घाटशिला, ऊषा मार्टिन, उषा एलाएंज रांची, बिहार कास्ट एण्ड केमिकल्स पलामू, बिहार स्पंज आयरन लि. सिंहभूमि, हिन्दुस्तान जिंक लि. धनबाद, टाटा आयरन एण्ड स्टील टाटा नगर, यूरेनियम कारपोरेशन ऑव इंडिया एवं अन्य उद्योग हैं। राज्य में 18,423 वर्ग किमी. में वन हैं। 

झारखण्ड राज्य पहले बिहार का अंग था। यह खान खनिज और औद्योगिक दृष्टि से काफी संपन्न है। पर्यटन की दृष्टि से अब इसका महत्त्व धीरे-धीरे बढ़ रहा है। राज्य सरकार भी नए पर्यटन स्थल विकसित कर रही है।

राज्य के परिवहन

सड़कों की कुल लम्बाई 11,486 किमी. है। इसमें 1,805 किमी. राष्ट्रीय राजमार्ग है। झारखण्ड में रेल मार्ग की कुल लम्बाई 1,943 किलोमीटर, ब्रॉडगेज 1,874 व नैरोगेज 69 किलोमीटर है। यहां रांची, बोकारो, धनबाद, जमशेदपुर प्रमुख रेलवे स्टेशन है।

त्योहार

यहां के लोग बसंत ऋतु में सरहुल त्योहार मनाते है। जिसमें वे अपने देवता की पूजा करते है। उनकी मान्यता है कि देवता उनकी रक्षा करता है। अन्य प्रमुख त्योहारों में करमा, सोहराइ, बडना, टूसू आदि प्रमुख है। यहां क्रिसमस, होली, बसंत पंचमी, दिवाली, दशहरा आदि त्योहार भी मनाए जाते है। छात्र मेला यहां का प्रमुख पशु मेला है, जिसमें बड़ी संख्या में पशुओं की खरीद और बिक्री होती है।

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झारखंड के पर्यटन स्थल

रांची

झारखण्ड की राजधानी रांची प्राकृतिक सौंदर्य और सम्पदाओं से भरपूर रही है। छोटा नागपुर पठार का मौसम हमेशा सुहावना रहता है।

टैगोर हिल-का पहाड़ अपनी कुदरती सुंदरता के लिए मशहूर है। 1908 में रवींद्रनाथ टैगोर के भाई ज्योतिंद्रनाथ टैगोर यहां आए और यहां की आबोहवा से काफी प्रभावित हुए उन्होंने मोराबादी पहाड़ी खरीद ली और यहीं रहने लगे। तभी से इसका नाम टैगोर हिल पड़ गया।

रांची हिल– इस पहाड़ी पर से सैलानी पूरे रांची का विहंगम दृश्य देख सकता है। इसके पास एक मनोरम झील भी है। मैथन बांध- यह दामोदर घाटी का सबसे बड़ा जलाशय है। जलाशय के बीचो बीच रेस्ट हाउस से बांध का नजारा बड़ा खूबसूरत दिखाई देता है। इसके पास हिरण पार्क और बर्ड सेंचुरी भी है।

हुडरू फॉल– यहां स्वर्णरेखा नदी का जल 320 फीट ऊंचाई से नीचे गिरता है। इससे बड़ा सुंदर दृश्य उत्पन्न होता है। काके डेम-यह स्थान पिकनिक स्थल के रूप में विकसित हो गया है। यहां से गोंडा पहाड़ी की सुंदरता का नजारा लिया जा सकता है।

जमशेदपुर

यह नगर स्वर्णरेखा और खरकई नदी के संगम पर बसा है। यह झारखण्ड की इस्पात नगरी के रूप में प्रसिद्ध है। डिमना झील-यह झील डिमना पहाड़ी की तलहटी में स्थित है। इस झील में पैडल बोटिंग भी होती है। इससे पर्यटक यहां आकर्षित होते हैं। जुबली पार्क-फव्वारों से इस पार्क की खूबसूरती निखर जाती है। टाटा स्टील की गोल्डन जुबली के अवसर पर इसे बनाया गया था। चिड़ियाघर- यहां शेर, बाघ, चीता, सांभर, घड़ियाल और सांपों की कई प्रजाति देखी जा सकती हैं।

नेतरहाट

यह छोटा नागपुर की रानी के नाम से मशहूर है। नेतरहाट को झारखण्ड की मसूरी भी कहा जाता है। यहां कदम-कदम पर कुदरती सौंदर्य बिखरा हुआ है। यहां सनराइज को देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी आते हैं। घने जंगल, घुमावदार सड़क, ठंडी हवाएं यहां के दृश्य को अलौकिक बना देती हैं।

सनराइज प्वाइंट– हरियाली से घिरे उगते सूरज का दृश्य किसी फिल्म की कहानी की शुरुआत जैसा दिखाई देता है। इस मनोहारी दृश्य को देखने के लिए नेतरहाट का यह प्वाइंट काफी मशहूर है।

व्यू-प्वाइंट– व्यू-प्वाइंट से कोयना नदी पानी का विहंगम दृश्य दिखाई देता है। मंगोलिया प्वाइंट यह स्थान भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है।

हजारीबाग

यह शहर उद्यानों के शहर के रूप में प्रसिद्ध है। हजारीबाग जंगलों व पहाड़ों से घिरा हुआ है। सूरजकुण्ड- यहां हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर मेला लगता है। यहां गरम पानी के कुण्ड हैं, जो पर्यटकों को लुभाते हैं। कनहरी हिल यहां एक विशाल टावर बना हुआ है, जहां से समूचे शहर की मनोरम छटा देखने को मिलती है। इसके चारों ओर तीन छोटी-छोटी झीलें इस जगह की खूबसूरती को और निखार देती हैं। हजारी झील-हरे-भरे जंगलों और मखमली घास के मैदानों से पटे इस उद्यान में वन्य जीवों की बहुतायत यह झील वाटर स्पोर्ट्स के लिए भी लोकप्रिय है। है।

रजरप्पा -रांची से करीब 80 किलोमीटर दूर रामगढ – बोकारो मार्ग पर स्थित मां छिन्नमस्तिका का मंदिर यहां अवस्थित है, जो देश भर में प्रसिद्ध हैं। पुराने मंदिर में सिरविहीन देवी कामदेव के शरीर पर खड़ी हुई और रति कमल के आसन पर विराजमान हैं।

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