Monday, 16 December

हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक स्थिति

हिमाचल प्रदेश 30°22′ से 33°12′ उत्तरी अक्षांश एवं 76°47′ से 97°4′ पूर्वी देशान्तरों के बीच स्थित है। प्रदेश का उत्तरी-पूर्वी भाग हिमाच्छादित, रूपहले पर्वत शिखरों, प्राकृतिक दृश्यों से सुसज्जित है। यहां पहाड़ों की ऊंचाई समुद्र तल से 460 से 6,600 मीटर तक है। राज्य में उप-उष्णकटिबंधीय किस्म की वनस्पतियां पाई जाती हैं। यहां गर्मी की ऋतु सुहावनी एवं सर्दी की ऋतु में अधिक ठंड पड़ती है। भारी बर्फ गिरती है। राज्य में शिमला और सिरमौर जिलों की भूमि उपजाऊ है। अन्य जिलों में जंगल और पहाड़ी भूमि है। वर्षा का औसत 181.6 सेमी. है। बर्फ पिघल कर बहने से राज्य की चिनाब, रावी, व्यास, सतलज और यमुना नदी वर्ष भर बहती रहती है। शिवालिक, पीरपंजाल, जास्कर एवं महाहिमालय पर्वतों की चोटियां हैं। यहां शिल्ला [7,026 मी.], को फरग्याल [6,791 मी.], चूड़धार 3,637 मी. व देव टिब्बा [6,000 मी.]प्रमुख शिखर हैं। राज्य में बारा लाचा ला [4,883 मी., लाहौल-लद्दाख], पिन पार्वती [3,319 मी., कुल्लू-लाहौल] एवं जुआरी 3,150 मी., चम्बा-कांगड़ प्रमुख रे हैं।

यहां की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

हिमाचल प्रदेश लोक गाथाओं और सौंदर्य की भूमि है। इसे यक्षों, गंधवों और किन्नरों का प्रदेश माना जाता है। हिमालय पर्वत की गोद में बसे होने के कारण इसे हिमाचल प्रदेश कहते है। इस प्रदेश पर मौर्य, कुषाण, गुप्त एवं कन्नौज वंश के राजाओं का शासन रहा।

अंग्रेजों ने यहां के गोरखा लोगों को पराजित करके कुछ राजाओं से संधि कर ली और कुछ अन्य राजाओं की रियासतों को अपने साम्राज्य में समाहित कर लिया। स्वतंत्रता के पश्चात 15 अप्रैल, 1948 को इस राज्य को बनाया गया। पंजाब पुनर्गठन एक्ट-1966 के अंतर्गत पंजाब के कुछ इलाके को हिमाचल प्रदेश में विलय किया था। हिमाचल को 25 जनवरी, 1971 को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला।

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हिमाचल की अर्थव्यवस्था

यहां की अर्थव्यवस्था कृषि एवं चरागाहों पर आश्रित है। यहां गेहूं, मक्का, धान, सेब, अदरक, गलगल, चिलगोजा एवं सब्जियों की पैदावार की जाती है। बागवानी के तहत सेब, नाशपाती, आडू, बेर, खुबानी, गुठली, नींबू, लीची, अमरूद और झरबेरी का उत्पादन होता है। प्रदेश में औद्योगिक क्षेत्र के तहत लगभग 341 फैक्ट्रियों में करीब 60 हजार व्यक्तियों को रोजगार प्राप्त है। यहां कृषि एवं बागवानी के अतिरिक्त औषधि, रेशम, इलेक्ट्रॉनिक एवं कलपुर्जे के उद्योगों को प्राथमिकता दी गई है। राज्य में प्रमुख खनिज नमक [रॉक साल्ट], स्लेट, जिप्सम, चूना- पत्थर, बेराइट, डोलोमाइट और पाइराइट हैं।

राज्य का परिवहन

प्रदेश में सड़कों की कुल लम्बाई 29,617 किमी. है। राष्ट्रीय राजमार्ग 1,208 किमी. है। रेलमार्ग की कुल लम्बाई 269, ब्रॉडगेज- 23 और नैरोगेज- 246 किलोमीटर है। पठानकोट से जोगिंदर नगर मीटर गेज और कालका से शिमला नैरोगेज लाइनें हैं। राज्य में नंगल से तलवाड़ा के मध्य बन रही बड़ी रेल लाइन पर [अम्ब] ऊना तक रेलगाड़ियों का आवागमन शुरू हो चुका है। भुंतर [कुल्लू घाटी], जब्बारहट्टी [शिमला] और गूगल [धर्मशाला] में तीन हवाई अड्डे हैं।

हिमाचल प्रदेश के त्योहार

यहां के लोगों में त्योहारों के प्रति विशेष लगाव है। वे मेलों और त्योहारों में बढ़चढकर उमंग के साथ हिस्सा लेते है। यहां के प्रमुख त्योहारों में पोरी, लोहड़ी, होली कुल्लू दशहरा, फुलेछ, बसोआ, गोगानवमी, लोसर, राखी, दिवाली, करवा चौथ आदि शामिल है।

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हिमाचल प्रदेश के पर्यटन स्थल

शिमला

शिमला का प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करता है। इसकी गिनती भारत के सर्वाधिक खूबसूरत हिल स्टेशनों में होती है।

जाखू हिल– यह शिमला की सबसे ऊंची चोटी है। यह आसमान छूते देवदारों और कूदते-फादते बंदरों के लिए प्रसिद्ध है।

कुफरी– यह सुंदर स्थल बर्फ के खेलों, याक की सवारी तथा कस्तूरी मृग प्रजनन केंद्र के लिए प्रसिद्ध है सर्दियों में यहां बर्फ पर स्कीइंग का आनंद लिया जा सकता है।

प्रास्पेक्ट हिल– इस खूबसूरत पहाड़ी से आसपास के प्राकृतिक दृश्यों को कैमरे में कैद किया जा सकता है।

चाडविक फाल-यह जलप्रपात बड़ी ऊंचाई से आवाज करता हुआ गिरता है। यह एक लोकप्रिय स्थल है।

डलहौजी

धौलाधर शृंखलाओं की पांच पहाड़ियों – पैट्रिन, बकरोटा, बलून, कठलोग व टिहरा से घिरा गगनचुंबी देवदार बलूत व चीड़ के वृक्षों से शोभायमान डलहौजी देश का खूबसूरत व ऐतिहासिक स्थल है। अंग्रेजों को यहां की आबोहवा इतनी पसंद आई कि उन्होंने यहां कई सैरगाह विकसित की।

जंदरीघाट– यहां पाइन वृक्षों के मध्य पूर्व चम्बा राज्य के शासकों के महल दर्शनीय है। यह पिकनिक के लिए खूबसूरत स्थल है।

कालाटोप– देवदार के काले घने जंगलों से घिरा कालाटोप एक खूबसूरत सैरगाह है। यह वन्य प्राणियों की शरण स्थली भी है।

शिमला-कालका रेल लाइन

पुराने भाप के इंजन से चलने वाली शिमला-कालका रेल लाइन को जुलाई, 2008 को यूनेस्को ने विश्व धरोहर का दर्जा दिया। इस रेल लाइन में संचार का बरसों पुराना तंत्र काम कर रहा है। 96 किलोमीटर लम्बी शिमला-कालका रेल लाइन पर गाड़ी रोकने रवाना करने के लिए लालटेन का इस्तेमाल किया जाता है। तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन ने 1903 में इस रेल लाइन का उद्घाटन किया था। देवदार, ओक व अल्पाइन के घने जंगलों से होकर गुजरने वाली शिमला कालका ट्रेन से यात्रा अपने आप में काफी मजेदार और यादगार अनुभव होता है। छोटी रेल लाइन पर शिमला-कालका अपना सफर 102 सुरंगों से गुजरकर पूरा करती है। इनकी ऊंचाई भी समुद्र तल से बहुत ज्यादा है।

डायना कुण्ड– यहां हर मौसम में सैलानियों की आवाजाही रहती है। यह इतनी ऊंचाई पर स्थित है और यहां मे रावी व्यास और चिनाब नदी बहती है।

पंजपुला– यहां पर भगत सिंह के चाचा सरदार अजीत सिंह को सम्माधि हैं। यहां पांच छोटी-छोटी पुलियाओं के नीचे से बहती जलधाराओं का दृश्य अलौकिक लगता है।

कुल्लू -मनाली

कुल्लू और मनाली दोनों पास-पास हैं। हर नवयुगल का पना रहता है कि वे हनीमून के लिए यहां की सैर करें। हर साल लाखों पर्यटक यहां की सैर का लुत्फ उठाते हैं।

बोटाड– यह रमणीक स्थल मत्स्य आखेट तथा शिकार के लिए प्रसिद्ध है। नग्गर- यहां पर त्रिपुरा सुंदरी का मंदिर व रॉक कला दीर्घा कलाप्रेमियों के आकर्षण का केन्द्र है। मणिकर्ण- यहां विशाल गुरुद्वारा है। पार्वती नदी यहां वेग से बहती है। पुल पार कर रामकुण्ड या सीता कुण्ड के गरम सरोवर में स्नान किया जा सकता है। इसके अलावा लारजी, बिजली महादेव, कटरई, बाबेली अन्य दर्शनीय स्थल हैं।

मनाली

सोलंग-यहां पैराग्लाइडिंग व आइस स्केटिंग

का मजा लिया जा सकता है। बच्चों के लिए घुड़सवारी की भी व्यवस्था है। रोहतांग दर्रा-मनाली से 51 किलोमीटर दूर स्थित यह काफी लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। चारों तरफ फैली बर्फ को देख सैलानी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। हिडिंबा मंदिर-पैगोडा शैली में इस मंदिर में लड़की की सुंदर नक्काशी की हुई है। इसके चारों ओर विशाल चट्टानें बिखरी हुई हैं। इसके अलावा अन्य दर्शनीय स्थलों में वशिष्ठ मंदिर, रहाला फॉल, कोठी आदि मुख्य हैं।

सोलन

यह कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है यहां शुलिनी मेला व ठोड़ा नृत्य होता है।

कसौली– कसौली गर्मियों में अपने चारों ओर फैले चीड़ व देवदार के घने वृक्षों से व सर्दियों में बर्फ की चादर ओढ़कर पर्यटकों को मंत्र मुग्ध कर देती है। सनावर- अंग्रेजी ने इस शहर को बसाया था। उनकी स्मृति में एक स्मारक भी बनाया गया है। यह सौर ऊर्जा चालित स्वीमिंग पूल के लिए भी प्रसिद्ध है। छैल- यह जगह पैलेस होटल, विश्व के सबसे ऊंचे क्रिकेट मैदान तथा आर्मी पब्लिक स्कूल के लिए प्रसिद्ध है।

हिमाचल प्रदेश में हरे-भरे पेड़ों व प्राकृतिक दृश्यों की भरमार है। इनके अलावा यहां पटनीटॉप, चम्बा, लाहौल स्पीति, धर्मशाला आदि अन्य दर्शनीय स्थल है।

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