हरियाणा की भौगोलिक स्थिति
हरियाणा 27° 30′ से 30°50′ उत्तरी अक्षांश एवं 74° 30′ से 77° 34′ पूर्वी देशान्तरों के बीच स्थित है। राज्य का मैदानी भाग उपजाऊ है। समुद्रतल से इसकी औसत ऊंचाई 700 से 900 फीट के बीच है। राज्य का दक्षिणी-पश्चिमी भाग सूखा एवं रेतीला है। इस भाग में खेती नहीं होती है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
हरियाणा को भरत वंश के राजाओं का स्थान कहा जाता है। हरियाणा के पानीपत नामक स्थान पर 1526 में बाबर एवं इब्राहिम लोदी के मध्य, 1556 में अकबर व हेमू के बीच तथा 1761 में मराठों व अहमदशाह अब्दाली के मध्य युद्ध हुआ था। 1857 के विद्रोह के बाद ब्रिटिश शासन पुनः स्थापित होने के बाद बहादुरगढ़ के नवाब, बल्लभगढ़ के राजा और रेवाड़ी के राव तुलाराम को सत्ता से निष्कासित कर दिया गया। इन इलाकों को ब्रिटिश इलाकों में मिला लिया गया था नाभा, पटियाला और जींद के शासकों को दे दिया गया था। इस प्रकार हरियाणा, पंजाब राज्य का हिस्सा बन गया। 1 नवम्बर, 1966 को पंजाब के पुनर्गठन के बाद हरियाणा पूर्ण राज्य बना।
राज्य की आर्थिक स्थिति
प्रदेश में यमुना-घग्घर, मारकंडा नदियां हैं। राज्य की 70 प्रतिशत जनसंख्या की जीविका का आधार कृषि है। यहां चावल, गेहूं, ज्वार, बाजरा, मक्का, जौ, गन्ना, कपास, तिलहन, आलू एवं कई प्रकार की सब्जियां, सूरजमुखी, सोयाबीन, मूंगफली की भी पैदावार होती है। राज्य के प्रत्येक गांव का विद्युतीकरण होने से सिंचाई की पर्याप्त सुविधा है। वैज्ञानिक विधियों से खेती के कारण प्रति हेक्टेयर उत्पादन भी अन्य राज्यों की अपेक्षा अधिक है। कपास की 11 जिनिंग फैक्ट्रियां हैं, जिसके कारण कपड़ा उद्योग अधिक उन्नत है यहां चीनी, हैण्डलूम, इंजीनियरिंग, मोटर, कागज व इलेक्ट्रोनिक्स अन्य प्रमुख उद्योग है।
राज्य के परिवहन
राज्य में सड़क मार्ग की कुल लम्बाई 28,203 किमी. है। राष्ट्रीय राजमार्ग 1,468 किमी. है। रेल मार्ग की लम्बाई 1,623 किमी. है। इसमें 1,302 ब्रॉडगेज,318 मीटर गेज और नैरो गेज 3 किलोमीटर है। अम्बाला, पानीपत और ज्वाला प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं। हिसार, करनाल, पिंजौर, नारनौल एवं भिवानी पांच असैनिक हवाई अड्डे हैं।
हरियाणा के त्योहार
लोहड़ी यहां का प्रमुख त्योहार माना जाता है। इसके अलावा यहां बसंत पंचमी, बैसाखी, दिवाली, दशहरा, होली गोगा नवमी, नवरात्रि आदि भी मनाए जाते है। सूरजकुंड में विश्व प्रसिद्ध शिल्प मेला हर वर्ष फरवरी में आयोजित होता है। इसके अलावा यहां मनसा देवी मेला, चैत्र चौदस मेला और सिली सेत मेले भी भरते है।
हरियाणा के पर्यटन स्थल
पिंजौर
पिंजौर मुगल साम्राज्य तथा पटियाला शाही घराने से संबंध रखता है। यहां मुगल शैली का खूबसूरत बाग यदुवेंद्र गाईन स्थित है। इसमें शीशमहल, रंगमहल तथा जलमहल के कारण पर्यटक आकर्षित होते हैं। बाग में फव्वारों की खूबसूरती और कृत्रिम साजसज्जा का आकर्षण सैलानियों में रहता है। यहां एक चिड़ियाघर भी है। इसके अलावा पिंजौर फ्लाइंग क्लब में वायुयान तथा ग्लाइडर उड़ान का प्रशिक्षण दिया जाता है।
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कुरुक्षेत्र
कुरुक्षेत्र महाभारत की लड़ाई के लिए जाना जाता है। यहां पाण्डवों व कौरवों के बीच महाभारत का युद्ध हुआ था। ब्रह्मा सरोवर-यह धार्मिक पवित्र स्थल है। इसके बीचोंबीच सर्वेश्वर महादेव का मंदिर है, जो कमल सदृश्य दिखता है। यह सरोवर 15 फीट गहरा है।
इस सरोवर के आस-पास कई छोटे-बड़े मंदिर हैं, जिसमें लक्ष्मी नारायण का मंदिर बहुत प्रसिद्ध है । इसके अलावा यहां सिखों के गुरुद्वारे भी हैं। यहां श्रीकृष्ण म्यूजियम भी स्थित है। इसमें ब्रह्मा, विष्णु सहित अन्य कई देवताओं की महिमा को उकेरा गया है। राज्य में ब्लू जे [समालखा], स्काई लार्क [पानीपत],चक्रवर्ती झील, ओएसिस [उचाना], पराकीट [पीपली], किंगफिशर [अम्बाला], मैगपाई
[फरीदाबाद], डबचिक [होडल], जंगल बबलर [धारूहेड़ा], रोड बिशप [पंचकुला], ब्लू बर्ड [हिसार], शमा [गुड़गांव), गौरैया [बहादुरगढ़], पिंजौर गार्डन [पिंजौर], दिल्ली के पास सूरज कुंड, बड़खल झील, सुल्तानपुर पक्षी बिहार, दमदमा [गुड़गांव], चीड़ वन मोरनी हिल्स सहित कई पर्यटन स्थल हैं।
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चंडीगढ़
चंडीगढ़ का नाम चंडी मंदिर और गढ़ किले के कारण पड़ा, जो पास-पास स्थित है। यह भारत के सबसे खूबसूरत और नियोजित शहरों में एक है। इस शहर को प्रसिद्ध फ्रांसीसी वास्तुकार ली कार्बुजिए ने अभिकल्पित किया था। आधुनिक वास्तुकला की दृष्टि से यह दुनिया के सुंदर शहरों में गिना जाता है। शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी में बसा यह शहर साफ-सुथरा, प्रदूषण रहित व प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी मशहूर है। पचास सेक्टरों में बंटे इस शहर में बड़ी संख्या में पार्क हैं।
रोज गार्डन– यह एशिया का सबसे बड़ा गुलाब उद्यान है। इसमें करीब डेढ़ हजार से अधिक गुलाब की प्रजातियां देखी जा सकती हैं। यहां दुर्लभ किस्म के फूलों की नर्सरी भी है।
रॉक गार्डन– रॉक गार्डन चंडीगढ़ आने वाले सैलानियों की पहली पसंद होती है। इसकी खासियत है कि इसे टूटी-फूटी चूड़ियों, कप-प्लेट तथा पत्थर के छोटे छोटे टुकड़ों से बनाया गया है। इनसे बनी मूर्तियां, जानवर, गुड़िया आदि देखने लायक हैं।
सुखना झील– एक कृत्रिम झील में नौका विहार का आनंद लिया जा सकता है। पिकनिक मनाने के लिए सैलानी अक्सर यहां आते रहते हैं। लेजर वैली-शहर के बीचोंबीच आठ किलोमीटर लम्बी सैरगाह है। हरे भरे बागों से घिरी यह घाटी शांत एवं प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है।
म्यूजियम और आर्ट गैलेरी– यहां चित्रकला और मूर्तिकला का विशाल संग्रहालय है । मुगलकालीन राजस्थानी एवं कांगड़ा शैली की दुर्लभ कलाकृतियां यहां देखी जा सकती हैं।