Sunday, 8 September

गुजरात की भौगोलिक स्थिति 

गुजरात राज्य 21°1′ उत्तरी अक्षांश से 24°7′ उत्तरी अक्षांश एवं 68°4′ पूर्वी देशांतर से 74°4′ पूर्वी देशांतरों के बीच स्थित है। यह राज्य भारत के पश्चिमी समुद्र तट के उत्तरी सिरे पर स्थित है। इसमें तीन भौगोलिक क्षेत्र हैं- 1. सौराष्ट्र प्रायद्वीप- यह मुख्यतः पहाड़ी क्षेत्र है। इसमें बीच-बीच में मध्यम दर्जे के पर्वत हैं। 2. कच्छ के पूर्वोत्तर में उजाड़ एवं चट्टानी क्षेत्र हैं। कच्छ का प्रसिद्ध रण इसी क्षेत्र में है। 3. मुख्य भूमि क्षेत्र जो कच्छ और अरावली की पहाड़ियों से लेकर दमन गंगा तक फैला है। राज्य में साबरमती, माही, नर्मदा, ताप्ती, बनास, सरस्वती एवं दमन गंगा नदियां हैं।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

गुजरात का इतिहास 2000 वर्ष ईसा-पूर्व पुराना है। भगवान वासुदेव श्री कृष्णा मथुरा छोड़कर सौराष्ट्र के पश्चिमी तट पर द्वारका शहर बसाया, जो गुजरात का प्रवेश द्वार कहलाया इसके बाद मौर्य, गुप्त, प्रतिहार एवं अन्य वंशों के कई राजाओं ने इस पर राज किया। भारत की स्वतंत्रता से पहले राज्य का वर्तमान क्षेत्र मुख्य रूप से दो भागों में विभक्त था। एक ब्रिटिश क्षेत्र एवं दूसरा देशी रियासतें। राज्यों के पुनर्गठन के परिणाम स्वरूप सौराष्ट्र, कच्छ एवं ब्रिटिश गुजरात को मिलाकर द्विभाषी मुंबई राज्य बनाया गया। 1 मई, 1960 को मुंबई राज्य के विभाजन के बाद गुजरात बना।

गुजरात की आर्थिक स्थिति

राज्य में तम्बाकू, जूट, मूंगफली, धान, गेहूं, बाजरा, इसबगोल, गन्ना, जीरा, केला तथा आम का उत्पादन होता है। सूती ऊनी वस्त्र उद्योग, तम्बाकू, रसायन, कागज, चीनी, नमक, इंजीनियरिंग सामान, उर्वरक, सीमेंट, तेल शोधक कारखाने, दवाएं सहित अन्य उद्योग काफी संख्या में हैं। गुजरात में सोना उत्पादन का 90.4 प्रतिशत एवं नमक का 60 प्रतिशत उत्पादित होता है। प्रदेश में तेल, प्राकृतिक गैस, कोयला, चूना-पत्थर, बॉक्साइट, फायरक्ले, चीनी मिट्टी, बॉक्साइट, क्वार्ट्ज, सिलिका, लिग्नाइट खनिज मिलते हैं।

राज्य का परिवहन

गुजरात में सड़क मार्ग की कुल लंबाई 1,37,617 किमी. है। इसमें राष्ट्रीय राजमार्ग 2,871 किमी. है रेलमार्ग की कुल लंबाई 5,283 किमी. है। इसमें ब्रॉडगेज 2,682, मीटरगेज 1,814 व नैरोगेज 787 किलोमीटर है। राज्य का प्रमुख हवाई अड्डा अहमदाबाद में है। इसके अलावा भावनगर, वडोदरा, जामनगर, भुज, केशोद, कांडला, राजकोट एवं पोरबंदर में भी हवाई अड्डे हैं। राज्य में कांडला सबसे बड़ा बंदरगाह है। कुल 40 जहाजी बंदरगाह में 11 मध्यम एवं 28 छोटे बंदरगाह हैं। राज्य में बड़ोदरा के पास कोयली, गंधार में पेट्रो केमिकल तेल शोधक कारखाना है। देश के 63 प्रतिशत डिब्बाबंद दूध का उत्पादन यहां होता है।

यहां के त्योहार

अक्टूबर महीने में मनाया जाने वाला नवरात्रि यहां का मुख्य रंग-बिरंगा त्योहार है। यह नौ रातों तक चलता है इसमें हर आयु के लोग मंदिर परिसर में इकट्ठे होकर नाचते-गाते है। अन्य मुख्य त्योहारों में दशहरा, दिवाली, होली, जन्माष्टमी और रक्षाबंधन शामिल है यहां का अंतरराष्ट्रीय पतंग उत्सव, मोधेरा नृत्य उत्सव और सप्तक संगीत उत्सव भी काफी प्रसिद्ध है। तरणेतर मेला, अंबा जी मेला, माधवराय मेला, यहां के मुख्य मेले है। राज्य का सबसे बड़ा वार्षिक मेला द्वारिका और डाकोर में जन्माष्टमी के अवसर पर बड़े स्तर पर आयोजित होता है।

गुजरात के पर्यटन स्थल

सोमनाथ मंदिर-‌ इस मंदिर की गिनती दुनिया के सबसे धनी मंदिरों में होती थी इसलिए तो इस पर 17 बार आक्रमण हुए लेकिन हिंदू राजाओं ने फिर इसका पुनर्निर्माण करा दिया। सोमनाथ ज्योतिर्लिंग देश में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

मान्यता है कि सोमनाथ मंदिर का निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित है ‌अरब‌ यात्री अल-बरुनी ने अपने यात्रा वृत्तान्त में इसका विवरण लिखा, लुटेरे महमूद गजनवी ने सन् 1024 में सोमनाथ मंदिर पर हमला किया। मंदिर की सम्पत्ति लूटी और मंदिर को तोड़ दिया था। फिर से इसे भारत के पूर्व गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल ने इसे बनवा दिया।

गिर अभयारण्य-‌‌ यह अभयारण्य भारत के प्रमुख वन्य जीव अभयारण्यों में से एक है। अफ्रीका के अलावा विश्व का यही एक ऐसा स्थान है, जहां पर बब्बर शेरों (सिंहों, लॉयन) को अपने प्राकृतिक आवास में रहते हुए देखा जा सकता है। भारत के सबसे बड़े कद का हिरण भी यहां देखा जा सकता है। हालांकि यह सही है कि इसकी ख्याति यहां मिलने वाले बब्बर शेरों की वजह से है लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम है कि यह एक अच्छा पक्षी अभयारण्य भी है।

अहमदाबाद

साबरमती नदी के किनारे बसा अहमदाबाद शहर महात्मा गांधी की कर्मस्थली रहा है। यहीं पर उनके द्वारा स्थापित साबरमती आश्रम है। महात्मा गांधी की दांडी यात्रा का शुभारम्भ भी यहीं से हुआ था।

शाही बाग पैलेस– इस खूबसूरत महल को शाहजहां ने बनवाया था। इसके अलंकृत खम्बे व प्राचीन दीवारें पर्यटकों को खूब लुभाती हैं।

अहमदशाह का मकबरा– यहां अहमदशाह व उसकी बेगमों का खूबसूरत मकबरा है। इसकी सादगी और सुंदरता देखने लायक है।

हठीसिंह मंदिर– इस मंदिर परिसर में 52 छोटे-छोटे मंदिर बने हुए हैं। यहां की नक्काशी शिल्पकला भी अनूठी है।

भद्रा किला– यह वास्तुकला का सुंदर उदाहरण है। इसका निर्माण अहमदशाह ने करवाया था। यहां भद्रकाली का मंदिर भी है।

गांधी आश्रम-इसे महात्मा गांधी ने बनवाया था। यहां एक संग्रहालय भी है। इसमें गांधीजी के दैनिक उपयोग की वस्तुओं का विशाल संग्रह है।

जुम्मा मस्जिद-इस मस्जिद की गिनती विश्व की खूबसूरत मस्जिदों में की जाती है। यह हिन्दू मुस्लिम स्थापत्य कला का मिला-जुला नमूना है।

कांकरिया झील– इसे कुतुबुद्दीन ने बनवाया था। इस गोलाकार झील के आसपास छोटे-छोटे पार्क बने हैं, जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं।

भरूच

सल्लू भाई की हवेली– 1721 में भरूच के दीवान‌‌ लल्लूभाई ने इस हवेली का निर्माण करवाया था। लल्लूभाई यहां पर अपना दरबार लगाते थे। हवेली के आगे का भाग काष्ठ की नक्काशी से सुशोभित है। रोमन कैथोलिक चर्च यह चर्च लगभग 200 वर्ष पुराना है। 1871 में इसका नवीनीकरण किया गया। मदरसा मस्जिद- इसकी स्थापना 1038 में महमूद ने की थी। गुजरात की सबसे प्राचीन मानी जाने वाली इस मस्जिद में फारसी भाषा में तीन काष्ठ प्लेट दर्शनीय है। मस्जिद का अग्र प्रवेश द्वार दो सौ वर्ष पुराना है। यह सुंदर नक्काशी से सजाया गया है। पास में मौलाना इश्वाकु की दरगाह भी देखने लायक है।

चंपानेर

काली माता का मंदिर– पावागढ़ के शिखर पर‌‌ स्थित काली माता का मंदिर महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान है। हिर साल हजारों श्रद्धालु इसके दर्शनार्थ आते हैं। यहां पर मुगल स्थापत्य का वैभव भी देखने को मिलता है। पुरातत्वीय उद्यान- यहां स्थित महमूद बेगड़ा की राजधानी के हिंदू स्थापत्य मंदिर, धार्मिक महत्व के स्थल व सुंदर नक्काशी वाली दीवारें अद्भुत हैं। जुम्मा मस्जिद-सुंदर निर्माण शैली से इस मस्जिद को बनाया गया है। पश्चिमी भारत के उत्कृष्ट इस्लामिक स्थापत्यों में इसकी गिनती होती है। नगीना मस्जिद-सफेद संगमरमर के पत्थरों से बनी यह मस्जिद मस्जिदों का मोती कही जाती है।

वडोदरा

लक्ष्मी विलास पैलेस-इस महल का निर्माण सयाजीराव तृतीय ने करवाया था। लक्ष्मी विलास पैलेस के दरबार हाल में शस्त्रों, कांसे एवं मिट्टी के बने शिल्पों का सुंदर संग्रह है। कीर्ति मंदिर- यह गायकवाड़ शासकों की याद में बनाया गया भव्य स्थापत्य है। हिंदू स्थापत्य शैली के अनुसार बनाई गई यह इमारत भव्य गुम्बद, शिल्प, गैलेरी एवं झरोखों से सुशोभित है। यहां पर प्रसिद्ध चित्रकार नंदलाल बोस द्वारा चित्रित भित्तिचित्र दर्शनीय है।

हजीरा– 1586 में निर्मित यह स्थापत्य अकबर के सेनापति कुतुबुद्दीन की कब्रगाह है। यहां पर सुंदर नक्काशी की गई खिड़कियां एवं निकट ही बावडी दर्शनीय है। यह शहर का सबसे प्राचीन मुगल स्थापत्य है। अन्य स्थलों में नजरबाग प्रमुख है।

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