गोवा की भौगोलिक स्थिति
गोवा की जलवायु गर्म और आर्द्र है। तापमान में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं होता है। गोवा भारतीय प्रायद्वीप के पश्चिमी तट पर स्थित है।
गोवा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
प्राचीन समय में गोवा को गोपकपट्टम, गोमांचल, गोमांतक, गोवापुरी व नागपुरी कहा जाता था। गोवा प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व में सातवाहन साम्राज्य का हिस्सा था। इसके बाद कदम्ब, नलखेड़ा के राष्ट्रकूटों, चालुक्य एवं शिलाहार राजाओं का शासन रहा। 14वीं शताब्दी के आखिर में यादवों का शासन समाप्त होने के बाद दिल्ली के खिलजी वंश ने इस पर अपना प्रभुत्व जमाया। इस प्रकार गोवा मुस्लिम शासकों के अधीन हो गया। वास्कोडिगामा द्वारा 1498 में भारत की खोज के बाद कई पुर्तगाली यात्री यहां आए। 1542 में जेसुइट संत फ्रांसिस जेवियर के आगमन से गोवा में धर्म परिवर्तन आरम्भ हुआ।
17वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में शिवाजी ने गोवा एवं इसके आसपास के कुछ क्षेत्रों को अपने अधीन कर लिया था, लेकिन फिर भी पूरे इलाके में पुर्तगालियों का राज चलता रहा था। गोवा भारत के स्वतंत्र होने के पश्चात भी पुर्तगालियों के अधीन रहा। पुर्तगाली राज में गोवा के निवासियों की आकांक्षाओं पूरा नहीं कर सके। बाद में 19 दिसम्बर, 1961 को गोवा को स्वतंत्र करा लिया गया। इसे दमन एवं दीव के साथ केन्द्र शासित प्रदेश बनाया गया। फिर बाद में गोवा को 30 मई, 1987 को संपूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया गया। तेरेखोल नदी गोवा के उत्तर में बहती है, जो महाराष्ट्र को गोवा से विभाजन करती है।
गोवा की आर्थिक स्थिति
राज्य की मुख्य फसलें चावल, दालें, रागी, काजू, नारियल, गन्ना, नाशपाती, आम, नारंगी, चीकू, पपीता है। यहां प्रिंटिंग प्रेस, लकड़ी, टायर, साबुन, रिबन, बैटरी, कार्बन उद्योग हैं। गोवा में लौह अयस्क, मैंगनीज, फेरो मैंगनीज, बॉक्साइट, सिलिकॉन खनिज निकाले जाते हैं।
गोवा के लिए परिवहन
गोवा में 269 किमी. राष्ट्रीय राजमार्ग है। यहां सड़कों की कुल लम्बाई 9,672 किमी. है। राज्य कोंकण रेलवे के माध्यम से गोवा, दिल्ली, मुम्बई, बंगलौर और तिरुवनन्तपुरम से जुड़ा हुआ है। राज्य में रेल लाइन की कुल लम्बाई 69 किलोमीटर (ब्रॉडगेज) है। यहां के डबोलिम हवाई अड्डे से मुंबई, दिल्ली, कोच्ची, चेन्नई, अगाती और बंगलौर के लिए नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं। प्रमुख बंदरगाह मरमी गांव है।
यहां के त्योहार
शिगमो यहां के प्रमुख उत्सवों में से एक है। इसमें नर्तकों की टोलिया बिना थके नृत्य करती है। ईसाई लोग कार्निवल, क्रिसमस और सेंट फ्रांसिस जेवियर उत्सव आदि मनाते है। गोवा के हिन्दू लोग गणेश चतुर्थी, दिवाली, गुडी पडवा, होली, रक्षाबंधन, रामनवमी, दशहरा और जन्माष्टमी मनाते हैं।
गोवा के पर्यटन स्थल
यह समुद्र के किनारे बसा हुआ है। यहां के समुद्र तट पर देशी-विदेशी पर्यटक समुद्री लहरों व रेत में लेटने का लुत्फ उठाते हैं। यहां पर नारियल, काजू, कटहल जैसे अनेक वृक्षों की भरमार है।
दर्शनीय बीच
मीरामार बीच-मुलायम रेत से भरपूर तथा खूबसूरत ताड़ के पेड़ों से आच्छादित यह तट पणजी के निकट है।
डोना पाउला बीच– इस लुभावने तथा प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पर अरब सागर की हरहराती लहरें सागरतट को छूकर वापिस लौट जाती हैं। यहां से मारमागाओ हार्बर व जुआरी नदी के लुभावने दृश्य देखे जा सकते हैं।
कलंगुट बीच-यह गोवा का सबसे सुंदर तथा लोकप्रिय सैरगाह है। कलंगुट बीच से ही अंजुना बीच लगा हुआ है। यहां के कैंडोलियम सागर तट को मछुआरों के उपयोग के लिए आरक्षित कर दिया गया है। इसके बीच के टूरिस्ट कॉटेज में पर्यटकों के आवास की भी अच्छी सुविधा उपलब्ध है।
इसके अलावा कोलवा बीच, हरमाई बीच, बागमालो बीच, वलसाओ बीच, बेनोलिम बीच, मोबोर बीच आदि भी लोकप्रिय बीच है।
बाम जीजस चर्च-16वीं सदी में बना यह गोवा का सबसे लोकप्रिय चर्च है यहां सेंट फ्रांसिस जेवियर्स का पार्थिव शरीर चांदी के ताबूत में सुरक्षित रखा गया है।
सेंट केथेल– इस चर्च में पांच खूबसूरत घण्टियां लगी हैं। जिनमें सुनहरी घण्टी गोवा की विशालतम तथा विश्व की उत्तम घण्टियों में से एक है। श्री भगवती मंदिर- यहां पर हाथियों की दो प्रतिमाएं काले पत्थर से बनाई गई हैं।
यहां के अन्य दर्शनीय स्थलों में श्रीगणेश मंदिर,चर्च ऑफ अवर लेडी ऑफ़ रोजरी, चर्च ऑफ सेंट फ्रांसिस ऑफ असीसी, अगोडा का किला, मेयम झील, केसरवाल प्रपात, दूध सागर प्रपात, पक्षी अभयारण्य आदि मुख्य हैं।
अन्य पर्यटन स्थल
राज्य में कोलवा, कलंगुट, वागाटोर, हरमल, अंजुना, मीरामार सागर तट बेसीलिका ऑव बोम जीसस और के थे ल चर्च, कावलेम, मारडाल, मंगेशी, वनडोरा मंदिर, अगुदा, तेरेखोल, चपोरा, काबो डि रामा किला, प्राकृतिक सौंदर्य के लिए दूध सागर, हरवालम जल प्रपात एवं माएम झील है। राज्य में बोंडला, कोटी गांव मोलेम और डा. सालिम अली पक्षी उद्यान सहित अन्य समृद्ध वन्यप्राणी उद्यान हैं। इनका कुल क्षेत्रफल 354 वर्ग किमी. है।