Sunday, 8 September

आंध्र प्रदेश की भौगोलिक स्थिति

राज्य 12° 30′ उत्तर से 19° 45′ उत्तरी अक्षांश एवं 76° 40′ पूर्व से 84° 54′ पूर्वी देशान्तर के बीच स्थित है। यहां की जलवायु उष्णार्द्र है। दक्षिण-पश्चिम मानसून से 2/3 और उत्तरी-पूर्वी मानसून से 1/3 भाग पर वर्षा होती है। यहां कृष्णा एवं गोदावरी नदियां प्रमुख हैं। यहां सर्वोच्च चोटी महेन्द्र गिरी [ऊंचाई समुद्र तल से 1,500 मी.] है। आंध्र प्रदेश की सीमाएं उत्तर में छत्तीसगढ़ तथा ओड़िशा, पश्चिम में कर्नाटक तथा महाराष्ट्र, दक्षिण में तमिलनाडु एवं पूर्व में समुद्र [बंगाल की खाड़ी] है। समुद्र तट की लम्बाई 974 किमी. है। मुख्य वन क्षेत्र तेलंगाना में है, जहां शीशम और टीक जैसी कीमती लकड़ी मिलती है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

आंध्रप्रदेश के बारे में पहला उल्लेख 2000 ई. पू. ऐतरेय ब्राह्मण में मिलता है। आंध्रप्रदेश के इतिहास के बारे में 236 ई. पू. से विस्तार से जानकारी प्राप्त होती है। यहां के लोग मूलतः आर्य नस्ल के हैं। जब वे विंध्याचल के दक्षिण की ओर पहुंचे, उस दौरान इनका मिलाप गैर आर्य नस्ल के लोगों के साथ हुआ। 13वीं शताब्दी में आंध्र प्रदेश पर काकतीय का शासन था। उनकी राजधानी वारंगल थी। 1323 में दिल्ली के सुल्तान तुगलक ने काकतीय शासक को बंदी बना लिया। गोलकुंडा के कुतुबशाही सुल्तान ने हैदराबाद की नींव रखी। मुगल बादशाह औरंगजेब ने कुतुबशाही सुल्तान को हरा दिया और आसफ खां को दक्षिण का गवर्नर नियुक्त कर दिया। स्वतंत्रता के बाद तेलुगू भाषी क्षेत्र को मद्रास प्रेसीडेंसी से अलग करके 1 अक्टूबर, 1953 को नए राज्य का गठन किया गया। राज्य पुनर्गठन कानून-1956 के पारित होने पर हैदराबाद रियासत को भी आंध्र प्रदेश में जोड़ा गया। 1 नवम्बर, 1956 से आंध्र प्रदेश के नाम से यह राज्य बना।

आंध्र प्रदेश की आर्थिक स्थिति

प्रदेश की 62 प्रतिशत जनता कृषि पर निर्भर है। प्रदेश में धान की पैदावार अधिक होती है। यहां ज्वार, बाजरा, मक्का, दालें, तम्बाकू, कपास, तिलहन प्रमुखतः बोई जाने वाली फसलें हैं। यहां की कृषि को तीन भागों में बांटा गया है- रायल सीमा, तेलंगाना एवं तटवर्ती आंध्र। तटवर्ती आंध्र में प्रदेश का एक तिहाई क्षेत्र है। यह क्षेत्र ‘दक्षिण का अन्न भंडार’ कहलाता है।

आंध्र प्रदेश के उद्योग

विशाखापट्टनम में जहाज निर्माण का कारखाना, हिन्दुस्तान मशीन टूल्स (H.M.T.) एवं हैदराबाद में ‘हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स’ तथा सार्वजनिक एवं सरकारी क्षेत्र के प्रमुख उद्योग हैं। यहां लोहा, सीमेंट, सिरामिक्स, औजार, शीशा व दवाएं उत्पादित होती हैं। श्री हरिकोटा उपग्रह प्रक्षेपण केन्द्र (सक्रो, भारतीय जियोफिजिकल संस्थान, केन्द्रीय तम्बाकू अनुसंधान संस्थान (राजमुंदरी) भी यहां स्थापित है।

आंध्र प्रदेश में पाए जाने वाले खनिज

भारत में बैराइट्स के कुल उत्पादन का 93 प्रतिशत इसी प्रदेश में होता है। यह एस्बेस्टस का भी प्रमुख उत्पादक राज्य है। अभ्रक व चूना पत्थर के उत्पादन में यह देश में दूसरे स्क पर है। यहां मैंगनीज, तांबा, कोयला, कच्चा लोहा आदि खनिज पाए जाते हैं। सामरिक महत्त्व के खनिज भंडारों के दृष्टि से आंध्रप्रदेश दूसरे और इनके उत्पादों के मूल्य की दि से छठे स्थान पर है।

आंध्र प्रदेश के लिए परिवहन

राज्य में से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों की लम्बाई 4,647 किमी. के करीब है। वहीं राज्य में सड़कों की कुल लम्बाई 1,96,172 किमी. है। रेलमार्ग की कुल लम्बाई 5,196 किमी. है, जिसमें 4,652 किमी. बड़ी लाइन [ब्रॉड गेज) है। मीटरगेज 508 व नैरोगेज 36 किमी है। प्रमुख हवाई अड्डे तिरुपति, हैदराबाद, विजयवाडा व विशाखापट्टनम में है। प्रमुख बंदरगाह विशाखापट्टनम है।

राज्य का विद्युत उत्पादन

आंध्र प्रदेश की प्रमुख बिजली परियोजनाएं नागार्जुन सागर तथा नीलम संजीव रेड्डी सागर [श्रीसैलम बिजली परियोजना] ऊपरी सिलेरू, निचला सिलेरू तुंगभद्रा पन बिजली परियोजना, वेल्लोर, रामागुंडम, कोठागुडम, विजयवाड़ा एवं गुहा और ताप बिजली परियोजनाएं हैं। राज्य की बिजली की स्थापित क्षमता 7,329 मेगावाट है।

राज्य के त्योहार

यहां पर अनेक धार्मिक त्योहार जैसे दिवाली, होली, रामनवमी, गणेश चतुर्थी, महाशिवरात्रि, संक्रांति आदि मनाए जाते हैं। इसके साथ ही पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार विभिन्न सांस्कृतिक उत्सवों का आयोजन भी करती है। जिनमें लुम्बिनी उत्सव, वैशाख उत्सव, डेक्कन उत्सव, रायलासीमा फुड एवं डांस उत्सव आदि शामिल है। इसके अलावा उगाडी, तिरुपति और पोंगल उत्सव भी मनाए जाते हैं। राज्य का प्रसिद्ध नृत्य कुचिपुड़ी है।

आंध्र प्रदेश के पर्यटन स्थल

देश की उत्तरी व दक्षिणी संस्कृति का संगम राजा महाराजाओं, राजपरिवारों, महलों, हवेलियों और दुर्गों का शहर हैदराबाद अपनी अनोखी सभ्यता और सामाजिक संस्कृति तथा हिन्दी फिल्मों में विशेष लोकप्रिय दक्षिणी बोली के कारण देश भर में प्रसिद्ध है। इस नगर के बीचोंबीच मूसी नदी बहती है।

चारमीनार– हैदराबाद के प्रतीक चिन्ह के रूप में चारमीनार देखने योग्य है। 1591 में इसका निर्माण कुली कुतुब शाह ने करवाया था। इसमें चार मीनारें हैं। प्रत्येक मीनार 53 मीटर ऊंची है। यह हिन्दू-मुस्लिम सौहार्द का प्रतीक भी है।

गोलकुण्डा दुर्ग– आठ सिंहद्वारों वाले इस विशाल दुर्ग में अनेक मनोहारी भवन, सरोवर आदि हैं। यहीं विश्व प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा जगमगाता था। यहां के मुख्य प्रवेश द्वार पर गुम्बद के नीचे खड़े होकर ताली बजाने से उसकी आवाज किले के करीब 120 मीटर ऊंचाई पर सुनी जा सकती है। किले में तारामती मस्जिद, बारूदखाना, हरम, दाद महल आदि स्थित हैं। नेहरू चिड़ियाघर भी यहां के दर्शनीय स्थलों में से एक है।

श्री वेंकटेश्वर मंदिर-यह काले पहाड़ पर स्थित है। इसे बिडला समूह ने बनवाया था। यह सुंदर मंदिर 1976 में जनता के लिए खोला गया।

सालारजंग संग्रहालय– इस संग्रहालय की हर वस्तु को केवल एक व्यक्ति ने संग्रह किया है। ये सालारजंग निजाम के वजीर थे। यहां 35 कक्षों में 35 हजार से अधिक कलाकृतियां सुरक्षित हैं। इनमें संगमरमर से बनी रैबेका की मूर्ति, पुरानी पांडुलिपियां , लघुचित्र, रत्नजडित हथियार, पोशों और औरंगजेब की हीरों से मढ़ी तलवार दर्शनीय है।

तिरुपति-तिरुपति के बालाजी के मंदिर जो प्रसिद्ध है ही, यहां की हरी-भरी पहाड़ियों में घूमने का मजा भी लिया जा सकता है। यहां पहाड़ी पर भव्य मंदिर बना हुआ है जो द्रविड़ वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। इसके ध्वज पर सोने की परत चढ़ी हुई है। यहां साल भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

चंद्रगिरि का किला– यह 856 मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इसे विजयनगर के शासकों ने बनवाया था। इसके समीप ही दो शाही महल हैं।

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