उड़ते हुए वायुयान का वेग मापने के यंत्र को ऊंचाई मापक (Altimeter) कहते हैं. मुख्य रूप से ऊंचाई मापक पांच प्रकार के होते हैं. पहले प्रकार का ऊंचाई मापक एक प्रकार का वायुदाब मापी है. यह बढ़ती हुई ऊंचाई के साथ घटने वाले दाब को मापता है.
दूसरे प्रकार के यंत्र को रेडियो ऊंचाई मापक कहते हैं. इस यंत्र से एक रेडियो स्पंद को वायुयान से धरती तक आने और वापस जाने में लगे समय को मापा जाता है, इस अवधि को रेडियो स्पंद के वेग से गुणा करने पर हवाई जहाज की दुगुनी ऊंचाई प्राप्त हो जाती है. तीसरे प्रकार के ऊंचाई मापकों में वायुमंडलीय दाब द्वारा किसी द्रव के क्वथनांक में होने वाले परिवर्तनों से मापा जाता है.
दाब ऊंचाई मापक (Pressure Altimeter) एक प्रकार का निद्रव बैरोमीटर होता है. इसमें धातु से बनी एक छोटी डिबिया होती है, जिसमें से वायु बाहर निकाल दी जाती है. इसमें फैलने वाली और सिकुड़ने वाली धौंकनी (Bellows) लगी होती है. ऊंचाई बढ़ने के साथ जैसे-जैसे वायुदाब में परिवर्तन होता है, ये धौंकनियां उसी के अनुसार फैलती या सिकुड़ती हैं. वायु के दाब में वाला परिवर्तन लीवरों और गीयरों द्वारा मापा जाता है, धींकनी का सिकुड़ना या फैलना विशेष यांत्रिक प्रक्रमों द्वारा यंत्रों के डायल पर लगे संकेतक को घुमाता है. संकेतक की डायल पर स्थिति से वायुयान की ऊंचाई पता लग जाती है. इस ऊंचाई मापी में एक कमी होती है कि इसे हर उड़ान से पहले ठीक करना पड़ता है. इसे मौसम के अनुसार वायुमंडलीय दाब में होने वाले परिवर्तनों के लिए भी व्यवस्थित करना होता है.
रेडियो ऊंचाई मापी में वायुयान से रेडियो तरंगों को धरती की ओर भेजा जाता है. ये तरंगें जमीन से टकराकर परावर्तित हो जाती हैं. वायुयान से लगा हुआ एक रिसीवर इन परावर्तित तरंगों को प्राप्त करता है. तरंगों द्वारा यान से धरती तक और धरती से वापस यान तक आने और जाने में लिए गए समय को ज्ञात कर लिया जाता है. इस समय को आधा करके जब रेडियो तरंग के वेग से गुणा किया जाता है, तो हवाई जहाज की ऊंचाई ज्ञात हो जाती है. ये ऊंचाई मापी बहुत ही विश्वसनीय होते हैं.
तीसरे प्रकार के ऊंचाई मापी में रेडियो तरंगों के स्थान पर ध्वनि तरंगें प्रयोग में लाई जाती हैं. ध्वनि तरंगों को वायुयान से धरती की ओर भेजा जाता है. धरती से ये तरंगें परावर्तित होकर वायुयान में लगे रिसीवर तक पहुंचती हैं. इन तरंगों द्वारा यान से जमीन तक आने और लौटकर जाने में लिए गए समय को ज्ञात कर लिया जाता है. जब इस समय को वायु में ध्वनि के वेग से गुणा किया जाता है, तो हमें यान की दोगुनी ऊंचाई प्राप्त हो जाती है. इसकी आधी दूरी ही यान की वास्तविक ऊंचाई होती है.
चौथी प्रकार के ऊंचाई मापी को हिप्सोमीटर कहते हैं. इसमें एक बेलनाकार बर्तन होता है, जिसमें पानी को उबाला जाता है. इस वर्तन के चारों ओर एक जैकेट होता है, जिसमें एक थर्मामीटर लगा होता है. इस जैकेट में जलवाष्म एकत्रित होती रहती है. इस जलवाष्प का तापमान थर्मामीटर द्वारा पढ़ा जाता है. यान की ऊंचाई जितनी अधिक होती है, दाब उतना ही कम होता है और उसी के अनुसार द्रव का क्वथनांक भी कम होता है.
अतः द्रव का क्वथनांक ऊंचाई से व्युत्क्रमानुपाती होता है. इस प्रकार द्रव के क्वथनांक को मापकर वायुयान की ऊंचाई ज्ञात कर ली जाती है. कैपेसिटेंस (Capacitance) अल्टीमीटर पांचवें प्रकार का ऊंचाई मापक है. यह वायुयान और पृथ्वी के विद्युत चार्जेज का पता लगाकर, उनके चीच का अंतर निकाल कर ऊंचाई बताता है.
ऊंचाई मापी वायुयानों के नियंत्रण और पथप्रदर्शन के लिए बहुत ही उपयोगी यंत्र है.