Tuesday, 17 September

ऊनी कपड़े, कंबल और गलीचे भोज्य पदार्थ तो नहीं ॐ है, लेकिन आश्चर्य की बात। है कि कुछ ऐसे कोड़े हैं, जो अपने भोजन के लिए इन कपड़ों पर ही निर्भर रहते हैं. इन्हें कपड़े खाने वाले कोड़े कहा जाता है. इनकी कई किस्में होती हैं. अंग्रेजी में इन्हें क्लॉथ मॉच, टेपेस्ट्री मॉथ, केस मेकिंग मॉथ तथा फर माँथ कहते हैं. सामान्य कपड़े खाने वाले कीड़े का नाम टिनोला बिसेलीला (Tincola Bisselliella) है. कपड़ों में सूराख करने का काम कीड़ा (Moth) नहीं करता, बल्कि इस कीड़े के लार्वा ऊनी कपड़ों को भोजन के रूप में इस्तेमाल करते हैं, जिससे कपड़ों में छेद हो जाते हैं. चलिए जानते हैं कि यह कैसे होता है?

मॉथ के जीवन-चक्र के चार स्तर होते हैं. अंडा, लार्वा, प्यूपा और वयस्क, मादा कीड़ा ऊन, फर कंबल या कालीन पर एक बार में 1000 से अधिक अंडे देती है. लगभग एक सप्ताह में ये अंडे केटरपिलर में बदल जाते हैं. तितली, कीड़े और आरा-मक्षिका के लार्वे को कैटरपिलर के नाम से पुकारते हैं. फेटरपिलर का मुख्य काम खाना और अपने शरीर का विकास करना है, केटरपिलर के मुंह होता है, जिसमें बहुत मजबूत तीखा जबड़ा होता है, जिससे वह किसी भी कपड़े या फर को चबा सकता है.

केस-मेकिंग केटरपिलर जो ऊन खाता है, उन में नलिकायुक्त एक केस बनाता है और उसमें रेशम को धारी डालता है. वेबिंग कीड़ा रेशम की एक जाली अपने पीछे छोड़ता है और रेशम का एक गोला बनाता है. टेपेस्ट्री मॉथ ऊन खाता है और अनेक क्रमबद्ध नलिकाएं बनाता है और उन पर रेशम की धारी डालता है. जब यह पूरा विकसित हो जाता है, तो इनमें से किसी भी नलिका में घुस कर बैठ जाता है. और वयस्क कीडा बनने तक वहीं रहता है. इस तरीके से केटरपिलर हमारे कपड़ों में सूराख कर देते हैं.

कपड़ों को इस खतरे से बचाने के लिए यह जरूरी है कि कपड़ों को रखने से पहले यह देख लिया जाए कि उस पर माँथ के अंडे तो नहीं हैं. सर्दी का मौसम बीतने पर जब गर्म कपड़े रखे जाएं तो उनको धूप में सुखा लिया जाए और झाड़ लिया जाए. यानी उन्हें मॉथ या उनके अंडों से मुक्त कर लिया जाए, बेहतर हो कि इन कपड़ों को ड्राईक्लीन करवा कर मोटे कागज में लपेट दिया जाए, क्योंकि कीड़े कागज नहीं खाते हैं. फिनाइल की गोलियां कीड़ों को तो दूर रखती हैं, पर अंडों और लार्वा को वे नष्ट नहीं कर पातीं. इसलिए यदि अंडे या लार्वा कपड़ों में हों तो गोलियां रखने के बावजूद भी कपड़े खराब हो सकते हैं.

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