Tuesday, 17 September

विभिन्न बीमारियों के उपचार के लिए आजकल मूत्र- परीक्षण (Urine Test) करना एक आम पद्धति बन गई है. यद्यपि प्रयोगशाला में विशेष मूत्र परीक्षण द्वारा अनेक बीमारियों का निदान होता है, परन्तु आकस्मिक मूत्र- परीक्षण द्वारा कुछ निश्चित बीमारियों का पता लगाया जा सकता है.

बीमारियों का मूत्र परीक्षण

किडनी द्वारा खून को साफ कर अपशिष्ट पदार्थों को मूत्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है. सामान्यतः मूत्र का रंग पीली घास या पुआल के रंग का होता है, जिसका कारण उसमें ‘यूरोक्रोम’ (Urochrome) रंजक  की उपस्थिति है. यदि किसी व्यक्ति को बुखार हो तो उसके मूत्र का रंग थोड़ा गहरा पीला हो जाता है. रोग होने की दशा में मूत्र का रंग और भी गाढ़ा पीला हो जाता है. विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स की डोज लेने पर भी मूत्र का रंग पीला हो जाता है. क्योंकि बी-कॉम्प्लेक्स में ‘रिबोफ्लेविन’ (Riboflavin) नामक पदार्थ होता है. यदि वायुमंडलीय अपावरण के कारण मूत्र का रंग परिवर्तित होकर भूरा या काला- सा हो जाता है, तो यह संकेत एक जन्मजात रोग का है, जिसे ‘एल्केप्टोन्यूरिया’ (Alkaptonuria) कहा जाता है. यदि सामान्यतौर पर मूत्र का रंग भूरा या काला होता है, तो उपापचयन रुधिर वर्णिका (Haemoglobin Metabolism) में कुछ गड़बड़ी की आशंका व्यक्त की जाती है.

यदि मधुमेह (Diabetes) के रोगी का मूत्र किसी जगह खुले में पड़ा हो तो कुछ देर बाद ही उस पर चींटियां जमा हो जाती हैं. इसका कारण मूत्र में शर्करा (Glucose) का मिला होना है. इसका स्वाद भी मीठापन लिए होता है. मूत्र में शर्करा की उपस्थिति का पता लगाने के लिए मूत्र की कुछ मात्रा को बेनीडिक्ट नामक पदार्थ के घोल में गर्म किया जाता है, यदि कुछ देर बाद लाल रंग का अवक्षेप प्रकट होता है, तो इसका अर्थ है कि मूत्र में शर्करा उपस्थित है.

मूत्र में एलब्यूमिन (Albumin) है या नहीं, इसके लिए मूत्र की कुछ मात्रा में हल्का एसिटिक एसिड मिलाकर उसे गर्म किया जाता है. यदि श्वेत अवक्षेप घोल में दिखाई पड़ता है, तो मूत्र में एलब्यूमिन की उपस्थिति का संकेत मिलता है. सामान्य रूप से मूत्र में एलब्यूमिन नहीं होता.

शरीर में वसा उपापचयन की गड़बड़ी का पता लगाने के लिए दूसरी तरह का परीक्षण किया जाता है. इस परीक्षण में मूत्र की अमोनियम सल्फेट, सोडियम नाइट्रोप्रूसाइड और अल्कली से क्रिया की जाती है. यदि लाल रंग प्रकट होता है, तो यह असामान्यता का द्योतक है. सामान्य मूत्र में उपर्युक्त क्रिया में यह रंग प्रकट नहीं होता.

मूत्र के जीवाणु-समूह परीक्षण (Urine alture) से शरीर में विद्यमान जीवाणु संक्रमण के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है. मूत्र-परीक्षण डॉक्टर की सलाह पर ही कराया जाता है.

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