मध्य प्रदेश अपनी ऐतिहासिक संस्कृति व ऐतिहासिक खजानों में भी भारत के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक है। मध्य प्रदेश में भारतीय ऐतिहासिक संस्कृति के अनेक अवशेष, जिनमें पाषाण चित्र और पत्थर व धातु के औजार शामिल हैं, नदियों, घाटियों और अन्य इलाकों में मिले हैं।
वर्तमान मध्य प्रदेश का सबसे प्रारम्भिक अस्तित्वमान राज्य अवंति था, जिसकी राजधानी उज्जैन थी। इसी तरह भारत का इतिहास, मध्य प्रदेश से बहुत मजबूती से जुड़ा हुआ है। चलिए आज हम मध्य प्रदेश के उन्हीं इतिहास से जुड़े किलों की समृद्धि की झलक देखते हैं, जिनकी वजह से भारत का इतिहास पूरी दुनिया में अब तक समृद्धि पा रहा है।
आइए जानते हैं मध्य प्रदेश के प्रमुख 17 किलों के बारे में
1. चंदेरी का किला
चंदेरी का किला सबसे प्रसिद्ध स्मारक है। यह किला शहर से 71 मीटर की ऊंचाई पर एक पहाड़ी पर स्थित है। यह किलो 5 किलोमीटर लंबी दीवार से घिरा हुआ है। चंदेरी के इस महत्वपूर्ण स्मारक का निर्माण राजा कीर्ति पाल ने 11वीं शताब्दी में करवाया था । इस किले पर कई बार आक्रमण किए गए और अनेक बार इसका पुनः निर्माण किया गया।
2. असीरगढ़ का किला
असीरगढ़ का किला या असीरगढ़ किले को अहीर राजवंश के राजा, आसा अहीर ने बनाया था। पहले इस किले को आसा अहीर गढ़ कहा जाता था, लेकिन समय के साथ इस किले का नाम छोटा कर दिया गया, और आज अपने मौजूदा नाम से जाना जाता है स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार यह माना जाता है कि इस किले को बल से नहीं जीता जा सकता।
3. बजरंगगढ़ का किला
मध्य प्रदेश के गुना आरोन रोड पर स्थित बजरंगगढ़ किले की प्रसिद्धि झारकोन के रूप में भी है। भले ही आज यह किला पूरी तरह से नष्ट हो गया है, फिर भी यह देखने में अद्भुत है, जिससे यहां आने वाले पर्यटक रोमांचित हुए बिना नहीं रह सकते। बजरंग गढ़ किला 92.2 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसके अंदर तोपखाना के पास बड़ी सीढ़ी वाला एक कुआं हुआ करता था।
4. बांधवगढ़ का किला
बांधवगढ़ किले का निर्माण कब किया गया इस संबंध में कोई ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। चूंकि इस किले का विवरण नारद-पंच रात्र और शिव पुराण में मिलता है, इसलिए ऐसा माना जाता है कि, यह किला 2000 साल पुराना है। कहने की जरूरत नहीं है कि यह किला एक प्राचीन अवशेष है, जो 2000 साल से भी ज्यादा पुराना है।
5. गढ़-कुंडार का किला
गढ़-कुंडार मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में स्थित एक गांव है। इस गांव का नाम यहां स्थित प्रसिद्ध दुर्ग (या गढ़) के नाम पर पढ़ा है। यह किला उस काल की न केवल बेजोड़ शिल्पकला का नमूना है, बल्कि उस खूनी प्रणय गाथा के अंत का गवाह भी है, जो विश्वासघात की नींव पर रची गई थी। गढ़ कुंडार का प्राचीन नाम गढ़ कुरार है।
6. गोहद का किला
मध्य प्रदेश के भिंड जिले में स्थित छोटे से नगर गोहद का ऐतिहासिक किला है। यह जाट राज्य का मुख्य दुर्ग था। इसे देखकर जाट शासकों की समृद्धि का सहज अनुमान लगाया जा सकता है। यह दुर्ग स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। इस दुर्ग को एक ओर से शत्रुओं से प्राकृतिक सुरक्षा, बेसली नदी प्रदान करती है तो, दूसरी ओर से खाई खोद कर कृत्रिम सुरक्षा प्रदान की गई है। गोहद दुर्ग की स्थापत्य कला, राजपूताना स्थापत्य कला से मेल खाती है।
7. ग्वालियर का किला
मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर का प्रमुखतम स्मारक है। भारत का शानदार और भव्य स्मारक, ग्वालियर का किला ग्वालियर के केंद्र में स्थित है पहाड़ी की चोटी पर स्थित इस स्थान से घाटी और शहर सुंदर दृश्य देखा जा सकता है। पहाड़ी की ओर जाने वाले वक्र रास्ते की चट्टानों पर जैन तीर्थकरों की सुंदर नक्काशियां देखी जा सकती हैं। वर्तमान में स्थित ग्वालियर किले का निर्माण तोमर वंश के राजा मान सिंह तोमर ने करवाया था।
8. हिंगलाज गढ़ किला
मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में भानपुरा तहसील के नवाली गांव के पास ही स्थित है। यह किला परमारों के शासन के दौरान अपनी भव्यता की चरम सीमा पर था। किले के अंदर विभिन्न अवधियों की कई कलात्मक मूर्तियां स्थापित हैं। हिंगलाज गढ़ का नाम मुख्यतः यहां विराजमान हिंगलाज देवी के नाम पर पड़ा है।
9. मदन महल किला
मध्यप्रदेश में जबलपुर का मदन महल किला, उन शासकों के अस्तित्व का साक्षी है, जिन्होंने यहां 11वीं शताब्दी में काफी समय के लिए शासन किया था। राजा मदन सिंह द्वारा बनवाया गया यह किला, शहर से करीब दो किलोमीटर दूर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यह किला राजा की मां रानी दुर्गावती से भी जुड़ा हुआ है, जो कि एक बहादुर गोंड रानी के रूप में जानी जाती है।
10. मंदसौर का किला
मंदसौर के किले को दासपुर के किले के नाम से भी जाना जाता है, जो मंडसौर जिले में स्थापित है। चारों तरफ से ऊंची दीवारों से घिरे हुए इस किले के 12 प्रवेशद्वार हैं। इसका दक्षिण पूर्वी द्वार नदी दरवाजा के नाम से जाना जाता है। द्वार के पास ही एक शिलालेख स्थापित है, जिससे पता चलता है कि इस किले का निर्माण, एक सेना के अधिकारी मुकबिल खान द्वारा सन 1490 ईसवीं में गियास शाह के शासनकाल में करवाया गया था।
11. नरवार का किला
शिवपुरी के बाहरी इलाके में शहर से 42 किमी की दूरी पर स्थित है, जो काली नदी के पूर्व में स्थित है। यह भारत के देदीप्यमान अतीत का एक अवशेष है। यह किला एक शाही किला है, जो क्षेत्र के शाही साम्राज्य के बारे में बतलाता है। यह एक शानदार अनुस्मारक और क्षेत्र के विस्तार के बारे में उल्लेख करता एक स्थान है जो निरंतर चलने वाले युद्धों के बारे में भी कुछ जानकारी देता है।
12. रायसेन किला
कई खूबियों के लिए तो जाना ही जाता है। लेकिन सबसे ज्यादा यहां जो हैरान करता है, वह है यहां के 800 साल पुराने वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम । रायसेन का किला रूफ वाटर हार्वेस्टिंग का अनूठा उदाहरण है। किले पर 4 बड़े तालाब और 84 छोटे टांके है। यह सभी बिना किसी साधन के सिर्फ बारिश के पानी से हमेशा लबालब रहा करते थे।
13. सबलगढ़ का किला
मुरैना के सबलगढ़ नगर में स्थित यह किला मुरैना से लगभग 60 किमी की दूरी पर है। मध्यकाल में बना यह किला एक पहाड़ी के शिखर बना हुआ है। इस किले की नींव सबला गुर्जर ने डाली थी जबकि करौली के महाराजा गोपाल सिंह ने 18वीं शताब्दी में इसे पूरा करवाया था। कुछ समय बाद सिंकदर लोदी ने इस किले को अपने नियंत्रण में ले लिया था लेकिन बाद में करौली के राजा ने मराठों की मदद से इस पर पुनः अधिकार कर लिया।
14. मांडू का किला
मांडू का किला मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित एक पर्यटन स्थल है। मांडू के किले में दाखिल होने के लिए 12 दरवाजे हैं। मुख्य द्वार दिल्ली दरवाजा कहलाता है। दूसरे दरवाजे रामगोपाल दरवाजा, जहांगीर दरवाजा और तारापुर दरवाजा कहलाते हैं। परमार शासकों द्वारा बनाए गए इस किले में जहाज और हिंडोला महल खास हैं। यहां के महलों की स्थापत्य कला देखने लायक है।
15. धार का किला
धार नगर के उत्तर में स्थित धार का किला एक छोटी पहाड़ी पर बना हुआ है। लाल बलुआ पत्थर से बना यह विशाल किला समृद्ध इतिहास के आइने का झरोखा है, जो अनेक उतार-चढ़ावों को देख चुका है। 14वीं शताब्दी के आसपास सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक ने यह किला बनवाया था। 1857 के विद्रोह के दौरान इस किले का महत्व बढ़ गया था। क्रांतिकारियों ने विद्रोह के दौरान इस किले पर अधिकार कर लिया था। हिन्दु, मुस्लिम व अफगान शैली में बना यह किला पर्यटकों को हर बार लुभाने में सफल होता है।
16. अहिल्या का किला
मध्यप्रदेश के महेश्वर में 18वीं सदी में निर्मित होल्कर किला एक आश्चर्यजनक पर्यटक आकर्षण है। नर्मदा नदी के सुंदर तट पर स्थित यह किला अहिल्या किला के रूप में भी प्रसिद्ध है। अहिल्या किला मालवा की तत्कालीन रानी अहिल्याबाई होल्कर का निवास था।
17. ओरछा का किला
मध्यप्रदेश के ओरछा नगर में कई महलों, किलों, मंदिरों व अन्य स्मारकों का समूह है। इस किले और अन्य स्मारकों का निर्माण 16 वीं शताब्दी में बुंदेला राजपूत के शासक रूद्र प्रताप सिंह द्वारा करवाया गया था। बेतवा नदी के किनारे किले के पास कई स्मारक और छतरियां हैं। यह किला अपने आप में एक शानदार इमारत है।