Author: Shailja Dubey

"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल लोगों को सही दिशा देने में कर सकें।" इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 5 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। अभी मैं दैनिक अपडेट, मनोरंजन, सामान्य ज्ञान और जीवनशैली समेत अन्य विषयों पर काम कर रही हूं।

सैक्सटेंट एक ऐसा यंत्र है, जो धरती के किसी स्थान और सूरज या तारों जैसे खगोलीय पिंडों के बीच बनने वाले कोणों को मापने के काम आता है. यह बहुत ही उपयोगी यंत्र है और समुद्री जहाजों के नाविकों द्वारा अक्षांश ज्ञात करने के लिए प्रयोग किया जाता है. इसकी सहायता से ऊंची इमारतों और खंभों की ऊंचाई भी मापी जाती है. सैक्सटेंट शब्द की उत्पति लैटिन भाषा के ‘सैक्सटस’ (Sextus) शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है: ‘छठवां हिस्सा’. वास्तव में इस यंत्र में धातु से बना एक वृत्तखंड होता है, जो एक वृत्त के छठे भाग यानी 60°…

Read More

सेल्यूट करने की प्रथा हमारे इतिहास और संस्कृति में सदा से ही रही है, लेकिन समय-समय पर सेल्यूट करने के तरीकों में परिवर्तन होते रहे हैं. पहले कुछ तरीकों में झुककर या जमीन पर घुटनों के बल माथा टेककर सेल्यूट किया जाता था. इन तरीकों में हाथ को एक विशेष भंगिमा में उठाना होता था. सैनिकों द्वारा सेल्यूट करने में सीधे हाथ को माथे तक या सिर पर रखो टोपी के किनारे तक लाना होता था. सेल्यूट करने का यह तरीका बहुत पुराना नहीं है. अठारवीं शताब्दी के अंत तक कनिष्ठ अधिकारी वरिष्ठ अधिकारियों को टोप उतारकर सेल्यूट करते थे.…

Read More

सांची स्तूप के ऊपर पत्थरों पर भगवान बुद्ध के जीवन की घटनाएं चित्रों के रूप में खुदी हुई हैं सांची के स्तूप बौद्धकालीन शिल्प कला के बेहतरीन नमूने हैं. सांची मध्य प्रदेश में बेतवा नदी के पश्चिम में भोपाल से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर रायसेन जिले का एक विश्व धरोहर स्थल नगर है. यह 90 मीटर ऊंची एक बलुआ चट्टान पर स्थित है. बौद्ध धर्म के ये धर्म-प्रतीक चिह्न एक लंबे समय से इस नगर की गरिमा और महत्व बढ़ा रहे हैं. यह नगर मीलों से दूर दिखाई देता है. सांची के तीन प्रमुख स्तूप हैं. इन्हें स्तूप-1,…

Read More

उत्प्रेरक (Catalyst) वे रासायनिक पदार्थ हैं, जो स्वयं बिना परिवर्तित हुए केवल अपनी उपस्थिति से रासायनिक क्रियाओं को प्रभावित करते हैं. जिन रासायनिक क्रियाओं में उत्प्रेरक प्रयोग होते हैं. उन्हें  उत्प्रेरण प्रक्रम कहते हैं.उत्प्रेरक कई प्रकार के होते हैं, पर मुख्यतः उन्हें दो वर्गों में बांटा जाता है: धनात्मक उत्प्रेरक तथा ऋणात्मक उत्प्रेरक, घनात्मक उत्प्रेरक वे पदार्थ हैं, जो रासायनिक क्रिया की गति तेज करते हैं तथा ऋणात्मक उत्प्रेरक वे पदार्थ हैं, जो क्रिया को गति को मंद करते हैं. उदाहरण के लिए जब पोटाशियम क्लोरेट को 400 सैल्सियस तक गर्म करते हैं, तो ऑक्सीजन निकलनी शुरू हो जाती है,…

Read More

उड़ते हुए वायुयान का वेग मापने के यंत्र को ऊंचाई मापक (Altimeter) कहते हैं. मुख्य रूप से ऊंचाई मापक पांच प्रकार के होते हैं. पहले प्रकार का ऊंचाई मापक एक प्रकार का वायुदाब मापी है. यह बढ़ती हुई ऊंचाई के साथ घटने वाले दाब को मापता है. दूसरे प्रकार के यंत्र को रेडियो ऊंचाई मापक कहते हैं. इस यंत्र से एक रेडियो स्पंद को वायुयान से धरती तक आने और वापस जाने में लगे समय को मापा जाता है, इस अवधि को रेडियो स्पंद के वेग से गुणा करने पर हवाई जहाज की दुगुनी ऊंचाई प्राप्त हो जाती है. तीसरे…

Read More

20 जुलाई 1969 को मानव इतिहास में एक ऐतिहासिक पल आया जब नील आर्मस्ट्रांग और बज़ एल्ड्रिन अपोलो मिशन में (Apollo mission) चांद पर कदम रखने वाले पहले इंसान बन गए। चांद पर अमेरिकी ध्वज फहराते हुए उनकी तस्वीरें आज भी प्रेरणादायी हैं। लेकिन एक सवाल जो अक्सर लोगों के मन में उठता है, वह यह है कि चांद पर हवा न होने के बावजूद झंडा कैसे लहरा रहा था? वास्तव में, चांद पर अमेरिकी झंडा हवा में लहरा रहा था ऐसा नहीं था। यह एक ऑप्टिकल इल्यूजन था। नासा के इंजीनियरों ने इस समस्या को पहले ही दूर कर…

Read More

धनवान व्यक्तियों के मृत शरीरों को उन पर रसायनों का लेप करके और बाद में उन्हें लिनेन के कपड़े में लपेट कर सुरक्षित रखा जाता था ममी (Mummy) उस मृतक शरीर को कहते हैं, जिसे दफनाने से पहले सुरक्षित रखने के लिए विशेष रसायनों के साथ क्रिया कराई जाती है. ममी शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के ममियाह (Mummiyah) शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है मोम या टार (Tar) द्वारा शरीर को सुरक्षित रखना. प्राचीन मिस्र (Egypt) में ममियों को सुरक्षित रखना एक अत्यंत लोकप्रिय तरीका था. चलिए जानते हैं कि मिस्र के लोग मृतक शरीरों को सुरक्षित क्यों…

Read More

जलयान का वेग नॉट (Knot) इकाई में मापा जाता है. नॉट एक नाटीकल मील (Nautical Mile) प्रति घंटे का संक्षिप्त रूप है. एक नॉटीकल मील 6076.12 फुट या 1852 मीटर के बराबर होता है. यह दूरी प्रचलित मोल (5280 फुट) से अधिक है. जलयानों के वेग मापने की इस इकाई का आरंभ कैसे हुआ? प्राचीन काल में नाविकों के पास पानी के जहाजों का वेग मापने का कोई साधन था. इस काम के लिए वे लकड़ी का एक लट्‌ट्ठा प्रयोग में लाते थे. लकड़ी के इस ल‌ट्टे के एक सिरे पर भारी वजन बांध दिया जाता था और दूसरे सिरे…

Read More

हम सभी जानते हैं हैं कि गर्मी के दिनों में मिट्टी में रखा पानी कुछ ही घंटों में ठंडा हो जाता है. क्या आप जानते हो कि ऐसा क्यों होता है? घड़े में पानी के ठंडे होने की क्रिया भौतिकी के एक जाने-माने सिद्धांत के आधार पर समझी जा सकती है. इस सिद्धांत के अनुसार वाष्पीकरण की क्रिया से ठंडक पैदा होती है. जब किसी तरल पदार्थ का वाष्पीकरण होता है, तो इसका तापमान गिर जाता है, क्योंकि वाष्पीकरण के लिए आवश्यक ऊष्मा स्वयं तरल पदार्थ से ही प्राप्त होती है. इस ऊष्मा क्षति के कारण ही तरल पदार्थ का…

Read More

उल्लू का बोलना या बिल्ली के द्वारा रास्ता काट जाना, अंधविश्वास के कारण मौत का पूर्व संकेत और अशुभ समझा जाता है मानव सभ्यता के आरंभ से ही अंधविश्वासों ने समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. आज भी ऐसे अनेक लोग हैं, जो विभिन्न घटनाओं के विषय में अंधविश्वासी हैं. वे किसी न किसी कारण से उन अंधविश्वासों से चिपके हुए हैं. वे इन्हें छोड़ना ही नहीं चाहते. क्या आप जानते हो कि इन अनेक अंधविश्वासों का आरंभ कैसे हुआ? प्राचीन काल में मानव का ज्ञान बहुत ही सीमित था और प्रकृति में होने वाली अनेक घटनाओं जैसे बादलों…

Read More