ऊनी कपड़े, कंबल और गलीचे भोज्य पदार्थ तो नहीं ॐ है, लेकिन आश्चर्य की बात। है कि कुछ ऐसे कोड़े हैं, जो अपने भोजन के लिए इन कपड़ों पर ही निर्भर रहते हैं. इन्हें कपड़े खाने वाले कोड़े कहा जाता है. इनकी कई किस्में होती हैं. अंग्रेजी में इन्हें क्लॉथ मॉच, टेपेस्ट्री मॉथ, केस मेकिंग मॉथ तथा फर माँथ कहते हैं. सामान्य कपड़े खाने वाले कीड़े का नाम टिनोला बिसेलीला (Tincola Bisselliella) है. कपड़ों में सूराख करने का काम कीड़ा (Moth) नहीं करता, बल्कि इस कीड़े के लार्वा ऊनी कपड़ों को भोजन के रूप में इस्तेमाल करते हैं, जिससे कपड़ों…
Author: Shailja Dubey
द्वितीय महायुद्ध के बाद संसार में शांति स्थापित करने और युद्ध समाप्त करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई थी. इसका यह उद्देश्य भी था कि आपसी झगड़ों का निबटारा युद्ध से नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग द्वारा किया जाना चाहिए, संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणा पत्र पर, 51 राष्ट्रों के प्रतिनिधियों ने सैन फ्रांसिस्को में हुई एक गोष्ठी में 26 जून सन् 1945 को दस्तखत किए थे. यह घोषणा-पत्र भारत, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, रूस, अमेरिका तथा दूसरे देशों को सरकारों का समर्थन प्राप्त करके 24 अक्तूबर सन् 1945 को लागू किया गया. इस संघ का नाम…
हम में से अधिकतर लोगों ने अजंता (Ajanta Caves) और एलोरा (Ellora Caves) की गुफाओं के बारे में सुना ही होगा. ये गुफाएं चट्टानों में से काटे गए अपने मंदिरों के लिए प्रसिद्ध हैं. अजंता की गुफाएं अजंता गांव के पास हैं, जो महाराष्ट्र राज्य में औरंगाबाद नामक स्थान के उत्तर में लगभग 102 किमी. की दूरी पर हैं. इसी प्रकार एलोरा को गुफाएं एलोरा गांव के पास हैं, जो औरंगाबाद के उत्तर-पूर्व में लगभग 29 किमी. की दूरी पर स्थित हैं. अजंता के पास का रेलवे स्टेशन जलगांव है. औरंगाबाद का स्टेशन भी बहुत अधिक दूर नहीं है. दर्शकों…
हम सभी ने नेपोलियन बोनापार्ट (Napoleon Bonaparte) का नाम सुना है. इतिहास में कुछ ही लोग इतने शक्तिशाली और प्रभावशाली हुए हैं, जितना कि नेपोलियन था. वह एक ऐसा उदार तानाशाह था. जिसने अपनी शक्ति को लोगों के हित के लिए ही प्रयोग किया, केवल अपने स्वार्थों के लिए नहीं. नेपोलियन बोनापार्ट का जन्म कोर्सिका टापू के अजासिओ (Ajaccio) नामक स्थान पर 15 अगस्त सन् 1769 में हुआ था. जब वह छोटा ही था, तभी अपनी तुलना वह इतिहास के महान वीरों से किया करता था. नेपोलियन की शिक्षा फ्रांस में हुई. 16 साल की उम्र में ही उसने पेरिस…
ईसा से 800 वर्ष पहले एशिया माइनर के मैगनीसिया नामक स्थान पर काले रंग का एक पत्थर मिला जिसमें लोहे को अपनी ओर आकर्षित करने का गुण था. इस पत्थर को लोडस्टोन (Loadstone) कहा जाता है. चूंकि यह सबसे पहले मैगनोसिया में मिला था, इसलिए इसे मैगनेट (Magnet) के नाम से पुकारा जाने लगा. वास्तव में यह पत्थर लोहे का एक अयस्क (Ore) था, जिसे आज मैगनेटाइट कहते हैं. प्रयोगों से पता चला कि इस पत्थर को लोहे के बुरादे में रखने पर लोहे का बुरादा इससे चिपक जाता था. लोहे का बुरादा कहीं अधिक मात्रा में चिपकता था. तो…
रात्रि में जब हम आकाश की ओर देखते हैं, तो लाखों-करोडों मील की दूरी पर स्थित सूर्य, चांद और तारे हमें स्पष्ट दिखाई देते हैं, लेकिन धरती की सतह पर हम कुछ किलोमीटर से अधिक दूर की वस्तुओं को नहीं देख पाते. क्या तुम जानते हो कि इसका क्या कारण है? यह हम सभी को भली-भांति पता है कि हमारी धरती की बनावट नारंगी जैसी है, अर्थात् गोलाकार है. यद्यपि धरती दोनों ध्रुवों पर काफी समतल है, लेकिन बाकी के स्थानों पर इसकी बनावट वक्राकार है. पृथ्वी की गोलाकार बनावट के कारण ही हम इसकी सतह पर अधिक दूर तक…
जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर (Jalaluddin Muhammad Akbar) ने, जो मुगलों के सबसे बड़े बादशाह थे, सन् 1582 में एक नया धर्म चलाया, जो दीने-इलाही के नाम से जाना जाता है. इस धर्म में हिंदू और धर्म की सभी उत्तम बातें सम्मिलित की गई थीं. वास्तव में दीन-ए-इलाही हिंदू और इस्लाम धर्म की अच्छाइयों का मिला-जुला रूप था. इस धर्म को स्थापित करने में अकबर का उद्देश्य एक ऐसे धर्म को लाना था, जिसे हिंदू और मुसलमान दोनों ही आदर भाव से मानें और एक ही पूजा-स्थल में श्रद्धाभाव से एक ही ईश्वर की पूजा अर्चना कर सकें. लेकिन इस धर्म ने लोगों…
पक्षी वैज्ञानिकों का मत है कि पक्षियों की सुनने की क्षमता लगभग मनुष्यों समान होती है. लेकिन इनकी सुनने की शक्ति कुछ कमजोर होती है. क्या आप जानते हो कि पक्षी किस तरह सुनते हैं? सुनने के लिए पक्षियों के पास भी कान होते हैं. ये कान कई बातों में रेंगने वाले जंतुओं के समान होते हैं. कान के बाहरी हिस्से में एक पतली नाली होती है, जो कनपटी के पंखों में छुपी रहती है. अधिकांश पक्षियों की इस नाली के चारों तरफ की खाल में एक मांसपेशी ऐसी होती है, जो इस नाली के मुंह को पूरी तरह या…
समुद्र की गहराइयों को छोड़कर कीड़े लगभग दुनिया में हर जगह पाए जाते हैं. जीवाश्मों के अध्ययनों से पता चलता है कि कीड़ों का जन्म धरती पर आज से लगभग 40 करोड़ वर्ष पहले हुआ था. तब से ये बराबर मौसम और वातावरण के परिवर्तनों के अनुरूप बेहद शीघ्रता और सफाई से अपने आपको ढालते रहे हैं. सरसरी निगाह से देखने पर यह विश्वास नहीं होता कि इनके छोटे से शरीर में रक्त संचार प्रणाली और खून भी सकता है, लेकिन आश्चर्य की बात है कि कोड़ों के शरीर में खून और दिल ही नहीं होता, बल्कि अन्य सभी आवश्यक…
गर्मी के दिनों में कागज के टुकड़े या दूसरी वस्तुएं धूप में रख दी जाएं तो वे थोड़ी ही देर में गर्म हो जाती हैं. यदि कोई धातु का टुकड़ा कुछ देर के लिए धूप में छोड़ दिया जाए तो वह इतना गर्म हो जाता है कि उसे छूना भी मुश्किल हो जाता है. लेकिन आश्चर्य की बात है पेड़ों की पत्तियां सारे दिन धूप में रहने पर भी गर्म नहीं होतीं. वे सदा ही हरी तरोताजा, और ठंडी रहती हैं. ऐसा लगता है जैसे धूप उन पर पड़ी ही न हो. क्या आप जानते हो कि धूप में पेड़ों…