Author: Shailja Dubey

"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल लोगों को सही दिशा देने में कर सकें।" इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 5 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। अभी मैं दैनिक अपडेट, मनोरंजन, सामान्य ज्ञान और जीवनशैली समेत अन्य विषयों पर काम कर रही हूं।

आर्यों का मूल निवास स्थान आर्यों के भारत आगमन के साथ भारतीय इतिहास में नया मोड़ आया।‌ ऋग्वेद में ‘दक्षिणापथ’ और ‘रेवांतर’ शब्दों का प्रयोग किया गया।इतिहासकार डैवर के मत से आयाँ को नर्मदा और उसके प्रदेश की जानकारी थी।‌ आर्य पंचनद प्रदेश (पंजाब) से अन्य प्रदेश में गए। महर्षि अगस्त (Maharishi Agastya Muni) के नेतृत्व में यादवों का एक कबीला इस क्षेत्र में आकर बस गया। इस तरह इस क्षेत्र का आयीकरण प्रारंभ हुआ।‌ शतपथ ब्राहम्ण के अनुसार विश्वामित्र के 50 शापित पुत्र यहां आकर बसे। कालांतर में अत्रि, पाराशर, भारद्वाज, भार्गव आदि भी आए। लोकमान्य तिलक तथा स्वामी दयानंद ने…

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गुजरात की भौगोलिक स्थिति गुजरात राज्य 21°1′ उत्तरी अक्षांश से 24°7′ उत्तरी अक्षांश एवं 68°4′ पूर्वी देशांतर से 74°4′ पूर्वी देशांतरों के बीच स्थित है। यह राज्य भारत के पश्चिमी समुद्र तट के उत्तरी सिरे पर स्थित है। इसमें तीन भौगोलिक क्षेत्र हैं- 1. सौराष्ट्र प्रायद्वीप- यह मुख्यतः पहाड़ी क्षेत्र है। इसमें बीच-बीच में मध्यम दर्जे के पर्वत हैं। 2. कच्छ के पूर्वोत्तर में उजाड़ एवं चट्टानी क्षेत्र हैं। कच्छ का प्रसिद्ध रण इसी क्षेत्र में है। 3. मुख्य भूमि क्षेत्र जो कच्छ और अरावली की पहाड़ियों से लेकर दमन गंगा तक फैला है। राज्य में साबरमती, माही, नर्मदा, ताप्ती,…

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उत्तरी मैदान में नदी मार्गों ने जलोढ़ राशि को तोड़कर अपने लिए पार्श्व में वप्र जिन्हें स्थानीय निवासियों की भाषा में धाया कहते हैं। शिवालिक की पहाड़ियों में बड़ी संख्या में खड्डे मिलते हैं। इन खड्डों को वहां के लोग ‘चो’ कहते हैं। गंगा का मैदान गंगा का मैदान उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पश्चिमी बंगाल तक विस्तृत है। इसका डेल्टाई विश्व में सबसे बड़ा डेल्टा है। गंगा तथा इसकी सहायक नदियों की निपेक्ष क्रिया द्वारा यह मैदान बना है। दक्षिण पठार से निकलने वाली नदियों (चम्बल, बेतवा, केन तथा सोन) ने भी इस मैदान के निर्माण में अपना योगदान दिया…

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